मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

गर्भवतियों का ब्योरा रखेगी पंजाब सरकार

पंजाब का स्वास्थ्य विभाग अब गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की सेहत का पूरा हिसाब- किताब रखेगा। विभाग को मालूम होगा कि कौन सा शिशु किस दिन, किस समय व कहां पर पैदा हुआ। उसका टीकाकरण हुआ कि नहीं। गर्भवती महिलाओं को चेकअप के दौरान एक आईडी नंबर दिया होगा, जिससे शिशु के जन्म तक उसकी सेहत का हर पहलू रिकार्ड में रहेगा। प्रसूति के समय डॉक्टर को यह रिकार्ड काफी मददगार साबित होगा। बच्चे के जन्म के बाद उसका भी पूरा ब्योरा इसी कार्ड में दर्ज होगा। आक्सलरी नर्स मिडवाइफ (एएनएम) द्वारा भरे जाने वाले गर्भवती महिला और बच्चे से संबंधी कार्ड पहले भी सभी जिलों में भरे जाते थे, लेकिन उनमें गर्भवती महिला व बच्चे के सिर्फ टीकाकरण का ही हिसाब किताब दर्ज होता था। नए कार्ड में गर्भवती महिला व बच्चे का पूरा ब्योरा शामिल है। नए कार्ड में गर्भवती महिला के साथ-साथ उसके पूरे परिवार की जानकारी भी एएनएम को भरनी होगी। गर्भवती महिला को विभाग द्वारा एक आईडी दी जाएगी ताकि प्रसूति तक उसकी सेहत पर लगातार नजर रखी जाए। एएनएम द्वारा कार्ड में दिए गए ब्योरे के आधार पर ही जननी सुरक्षा योजना का फायदा देने या न देने का फैसला भी होगा। चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान ऐसा लगे कि गर्भवती महिला को प्रसूति के मौके पर कोई खतरा हो सकता या किसी खास तरह की सावधानी बरतनी पड़ेगी तो उसका जिक्र भी कार्ड में किया जाएगा। इसके अलावा गर्भवती महिला के लिए तीन बार जरूरी एंटी नैटल चेकअप (एएनसी) को भी इसी कार्ड में दर्ज करना होगा। शिशु के वजन, जन्म स्थान, समय के रिकार्ड के लिए एएनएम को एक काउंटर फाइल भी लगानी होगी, जिसे विभाग द्वारा राज्य के सभी जिलों में भेजा जा चुका है। सभी माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य के कार्ड का रिकार्ड काउंटर फाइल में लगाया जाएगा। जब कार्ड पर रिकार्ड पूरा हो जाएगा अर्थात बच्चे का पूरा टीकाकरण हो जाएगा तो उक्त कार्ड संबंधित गांव/ इलाके की आंगनबाड़ी वर्कर को सौंपा जाएगा, ताकि मालूम पड़ सके कि जो-जो बच्चे आंगनबाड़ी में आ रहे हैं, उनका टीकाकरण पूर्ण हुआ है अथवा नहीं। इस व्यवस्था को तत्काल लागू कराने के लिए सभी जिला सिविल सर्जन कार्यालयों को सूचित कर दिया गया है। नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक डा. सीएल भाटिया ने कहा कि राज्य के सभी सिविल सर्जनों को यह कार्ड अक्टूबर से शुरू करने के लिए कहा गया है। इससे डाटाबैंक बनेगा और जच्चा-बच्चा की सेहत पर और भी बढि़या ढंग से नजर रखी जा सकेगी। देश के 21वींसदी में प्रवेश करने के बाद भी तमाम गर्भवती महिलाएं प्रसव के दौरान दम तोड़ देती हैं। नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा भी कम नहींहै। केंद्र और राज्य सरकारें इन आंकड़ों को कम करने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही हैं। इनका असर दिखाई पड़ने लगा है(रोहित जिंदल,दैनिक जागरण,बठिंडा,19.10.2010)

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