रविवार, 31 अक्तूबर 2010

दुनिया में फैलेगा भारत का औषधीय ज्ञान

उत्तराखंड में बिखरे पारंपरिक औषधीय ज्ञान का उजियारा अब दुनिया भर में फैलेगा। इसका न सिर्फ डॉक्यूमेंटेशन होगा, बल्कि परीक्षण के बाद इसे पेटेंट कराने की कार्रवाई भी की जाएगी। उत्तराखंड राज्य औषधीय पादप बोर्ड और यूएनडीपी-जीएफ की पहल से यह संभव होने वाला है। प्राकृतिक रूप से उगने वाले औषधीय पौधों के सतत विदोहन, संरक्षण व पारंपरिक ज्ञान को सहेजने की उत्तराखंड से फूटने वाली किरणें हिमाचल और जम्मू-कश्मीर तक रोशनी देंगी। औषधीय महत्व के पौधों की बात करें तो देश के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले ऐसे पौधों की आठ हजार से ज्यादा प्रजातियां हैं। उत्तराखंड में भी ये सात सौ के करीब चिन्हित हैं। राज्य में तो औषधीय पौधों से उपचार का सिलसिला सदियों से चल रहा है, लेकिन वक्त की मार इन पौधों और इन पर आधारित लोक स्वास्थ्य परंपरा पर पड़ी है। हालांकि दूरस्थ क्षेत्रों में सेहत सुधारने का जरिया लोक स्वास्थ्य परंपरा ही है, लेकिन यह पारंपरिक ज्ञान धीरे-धीरे सिमटने लगा है। अब पहले जैसे जानकार वैद्य नहीं रहे और नई पीढ़ी इसे अपनाने को तैयार नहीं है। ऐसे में राज्य औषधीय पादप बोर्ड और यूएनडीपी-जीएफ (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम-ग्लोबल इनवायरनमेंट फैसिलिटी) की मुहिम एक संजीवनी की तरह उभरकर सामने आई है। यूएनडीपी परियोजना के तहत जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली जड़ी-बूटियों के सतत विदोहन की शुरुआत की गई है। ताकि संसाधन बचे रहें और विदोहन होने के साथ आर्थिकी भी संवरे। इसी कड़ी में विकसित हो रहे हैं औषधीय पादप संरक्षण क्षेत्र। राज्य औषधीय पादप बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ.आदित्य कुमार और सीईओ जीएस पांडे के मुताबिक वन विभाग के सहयोग से इस मुहिम में जनसामान्य को जोड़ा जा रहा है। पौधे न सिर्फ बचाए जाएंगे, बल्कि इनके कृषिकरण की योजना भी है। परियोजना में न सिर्फ औषधीय पौधों का संरक्षण होगा, बल्कि गांव-देहात में बिखरे पारंपरिक औषधीय ज्ञान का अभिलेखीकरण किया जाएगा। फिर इसका परीक्षण होगा और इसके बाद इसे कम्युनिटी नॉलेज रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। तब इसे पेटेंट कराने की कार्रवाई की जाएगी। मंशा यह है कि यह ज्ञान पूरी दुनिया में फैले। बोर्ड के सीईओ श्री पांडे बताते हैं कि राज्य में औषधीय पादप संरक्षण क्षेत्र मॉडल के रूप में विकसित हो रहे हैं। ऐसे ही मॉडल हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में विकसित करने की जिम्मेदारी भी उत्तराखंड को मिली है(केदार दत्त,दैनिक जागरण,देहरादून,31.10.2010)।

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