बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

देखभाल से ही रहेंगी हर उम्र में फिट

गरिमा पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभालती है। मगर परिवार की देखभाल में वह खुद को कभी नहीं भूलती। वह हर महीने स्त्री विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलती है और अपना चेकअप करवाती है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के कारण ही वह पूरे दिन की व्यस्तता के बावजूद खुद को एनर्जेटिक महसूस करती है। अकसर महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा लापरवाह होती हैं। कभी संकोचवश तो कभी कम जानकारी की वजह से वह अपनी समस्याओं को छुपाती रहती हैं। यही नहीं वह डॉक्टर से भी पूरी बात नहीं बता पातीं। लेकिन गरिमा ऐसा नहीं करती। अगर आप भी पूरे साल फिट रहना चाहती हैं, तो स्वास्थ्य समस्याओं पर समय रहते ध्यान दें और हर उम्र में रहें फिट।
टीन एज... नो टेंशन- आमतौर पर 10 से 20 साल की लड़कियों में मासिक धर्म संबंधी परेशानियां ज्यादा होती हैं। इसमें ज्यादा ब्लीडिंग होना, मासिक धर्म की अनियमितता या मासिक धर्म का देर से शुरू होना आम है। हालांकि इसके शुरू होने के एक दो साल तक अनियमितता बनी रहती है, मगर ऐसी ही स्थिति दो साल से ज्यादा समय तक हो, तो डॉक्टर से संपर्क करें। एक्ने और बाल गिरने जैसी सौंदर्य समस्याएं भी इस उम्र में होती हैं। इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर उचित आहार के साथ कुछ दवाइयां ली जा सकती हैं। एहतियात केतौर पर 10-13 साल की उम्र में लड़कियों को एचवीपी वैक्सीन लगवाएं, इससे यौन संबंधी परेशानियों का खतरा कम रहता है। यंग एज की फिटनेस- 20 से 30 की उम्र में आमतौर पर कुछ लड़कियों की शादी हो चुकी होती हैं। जो समस्याएं इस उम्र में सबसे ज्यादा दिखती हैं, उनमें मासिक धर्म संबंधी परेशानियों में अनियमित मासिक चक्र या पीएमएस जैसी समस्याएं आम हैं। इसके अलावा गर्भावस्था की समस्याएं या फिर अनचाहे गर्भ की समस्या, गर्भपात या इससे जुड़ी दूसरी किस्म की समस्याएं हो सकती हैं। जैसे, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से सूजन, ब्रेस्ट पेन, यूरिन इन्फेक्शन, मूड चेंज जैसी समस्याएं। क्या करें : किसी भी तरह की परेशानी हो, तो उसे छुपाने के बजाय स्त्री रोग चिकित्सक को बताएं। कोई भी समस्या हो, तो खाने में नमक की मात्रा में कमी, रिफाइंड आटा और कैफीन का सेवन कम या बंद कर दें। सर्विक्स कैंसर से बचने के लिए रुबैला और एचवीपी वैक्सीन की मदद लें। अनियमित प्रेगनेंसी रोकने केलिए कॉन्ट्रासेप्टिव की जानकारी होना जरूरी है। हारमोन्स अनियमित होने की वजह से पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है, लेकिन इसे दवाइयों, संतुलित आहार और एक्सरसाइज से कंट्रोल किया जा सकता है। साथ ही आहार में विटामिन-ई, फोलिक एसिड, आयरन, बी-कॉपलेक्स आदि को शामिल करें। प्रौढ़ावस्था की मुश्किलें- 40 की उम्र केबाद महिलाएं अनियमित मासिक चक्र की समस्याओं से जूझ रही होती हैं। जो सामान्यतः प्री-मेनोपॉज या मेनोपॉज की स्थिति होती है। इससे फॉयब्राइड्स, हार्मोनल समस्याएं, यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियां भी होने की संभावना बढ़ जाती है। एनीमिया और थायरॉइड की समस्याएं भी इस उम्र में ज्यादा देखने को मिलती हैं। साथ ही हड्डियों से संबंधित परेशानियां भी बढ़ती हैं। क्या करें- ऑवेरियन ट्यूमर, सूजन या कैंसर की जांच में पेल्विक सोनोग्राफी मददगार साबित होती है। मेनोपॉज के बाद फिर से रक्तस्राव होना कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। इसके लिए पेप स्मीयर टेस्ट, सोनोग्राफी और एंड्रोमीट्रियल बायोप्सी आदि जरूरी जांच करवाएं। ज्यादा ब्लीडिंग होने पर हारमोन्स की गोलियां जा सकती हैं। यदि यूट्रस में कोई गांठ हो, तो इसे दूरबीन की मदद से या ओपन सर्जरी के माध्यम से निकलवाएं। इसके अतिरिक्त ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल, शुगर, ईसीजी आदि टेस्ट साल में एक बार जरूर कराएं। स्तन कैंसर से बचाव के लिए हर साल मेमोग्राफी करवाते रहना चाहिए। डॉक्टर की सलाह पर कैल्शियम सप्लीमेंट्स व दूसरी जरूरी दवाएं जरूर लें। योगा और एक्सरसाइज करें। संतुलित आहार के साथ सोया फूड्स की मात्रा बढ़ा देने से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है(डॉ. त्रिपत चौधरी,अमर उजाला,4.10.2010)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।