बुधवार, 13 अक्तूबर 2010

व्यायाम कैसे बने दिनचर्या का हिस्सा

‘समय न मिल पाने’ की शिकायत आम है, पर अपने शरीर के हित की अनदेखी कर ऐसी बात करना ब़डा अजीब लगता है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से सही व्यायाम करना जरूरी है। इस मामले में लापरवाही या आलस दिखाना अच्छी बात नहीं है। अधिकांश लोग गपशप और कुछ अन्य गतिविधियों में आवश्यकता से कहीं अधिक समय गंवाने में जरा भी परहेज नहीं करते। प्रायः तबियत खराब होने पर लोग चिकित्सक के पास तभी पहुंचते हैं, जब काफी देर हो चुकी होती है। इससे पहले वे या तो स्वयं अपने डॉक्टर बने रहते हैं या किसी की सलाह पर कोई भी दवा लेकर लाभ पाने का इंतजार करते हैं या फिर दवा विक्रेता को ही चिकित्सक बना लेते हैं। थ़ोडी सी सावधानी बरतकर आसानी से अप्रिय स्थितियों से बचा जा सकता है। समय की कमी का बहाना करना एक फैशन भी बन गया है। यों पहले की तुलना में आज का जीवन काफी व्यस्तता भरा और भागमभाग वाला है। जीवनशैली और कार्यशैली में बदलाव आया है। खानपान की आदतें भी बदली हैं। ऐसे में समय की कमी स्वाभाविक है, पर अपने लिए तो समय निकालना ही प़डेगा। अन्यथा अस्वस्थ होने पर दिनचर्या में व्यवधान आयेगा या आराम करना प़डेगा। यही जरूरी होगा कि नियमित रूप से थ़ोडा समय अपने लिए निकाला जाए। पहला सुख निरोगी काया सिर्फ कहने और सुनने से भला होने वाला नहीं। व्यायाम, खानपान की सही आदतों और सही दिनचर्या का अपना विशेष महत्व है। प्रतिस्पर्धा के इस समय में हमें दैनिक जीवन में अनेक अप्रिय स्थितियों का सामना करना प़डता है। इसके चलते मानसिक और शारीरिक तनाव आज जीवन का एक हिस्सा बनता जा रहा है। ह़डब़डी, समय की कमी, बदली दिनचर्या और खानपान की आदतों के कारण समयसमय पर अनेक परेशानियों से दोचार होना प़डता है। ऐसे में नियमित व्यायाम, योग, प्राणायाम, ध्यान आदि से जीवन को सहज ही सुखद बनाया जा सकता है। कब्ज, ज़ोडों का दर्द, रक्तचाप, रक्तप्रवाह, मधुमेह, हृदय रोग, सांस संबंधी परेशानियों आदि से थ़ोडा सा नियमित व्यायाम और कुछ सावधानियां मुक्ति दिला सकते हैं और परेशानियां कम कर सकते हैं। शरीर में इससे उत्साह और स्फूर्ति का संचार बना रहता है। शरीर सुडौल और स्वस्थ रहता है। अनेक व्याधियों पर अंकुश बना रहता है। रक्त प्रवाह सही रहने से चेहरे का सौंदर्य और तेज अपनी कहानी स्वयं बताने लगते हैं। असंतुलित और अनुचित खानपान से मोटापे के साथसाथ अन्य परेशानियों का भी आगमन होता है। जानेअनजाने रोगों को भी न्यौता मिलता है। पोषक तत्वों की लगातार कमी का परिणाम देरसवेर सामने आता ही है। युवाओं में गठीले शरीर के प्रति झुकाव निरंतर ब़ढ रहा है। हर नगर-महानगर के गली कूचों में जिम खुल गये हैं। अपने शरीर को पुष्ट दिखाने की चाह में वे आवश्कता से अधिक विभिन्न मशीनों से कसरत करते हैं और सप्लीमेंटपाउडर तथा अन्य खाद्यअखाद्य चीजें भी खाते हैं। अंकुरित चने या अन्य अनाज उनकी खुराक में शामिल नहीं हैं। इसके अलावा सभी जगह सही प्रशिक्षित प्रशिक्षक भी नहीं हैं। इसके परिणाम भी प्रायः सामने आते रहते हैं। अच्छे शरीर सौष्ठव वाले देशीविदेशी बॉडी बिल्डरों की ब़डीब़डी तस्वीरें इन जिमों की शोभा बनी हुई हैं। इनसे ही अधिकांश युवा प्रभावित होते हैं। उपयुक्त जानकारी होने पर योगासनों में से अपने लिए सही आसनों का चयन कर अभ्यास करना कहीं अधिक उपयुक्त है। किसी योग्य प्रशिक्षक से भी सम्पर्क किया जा सकता है। योगासनों के साथसाथ ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करना अतिरिक्त रूप से लाभ पहुंचाता है। यह लाभ स्थायी होता है। अपनी दिनचर्या में कुछ और बातों का ज़ोडना जरूरी है। रात में जल्दी सोएं, सुबह जल्दी जागें, जागते ही २३ गिलास पानी पिएं, टहलेंद़ौडें, नाश्ते और भोजन में पौष्टिक तत्वों को शामिल करें, पूर्णतः या यथासंभव शाकाहारी खाद्य पदार्थ अपनाएं, भोजन सादा और सुपाच्य लें, भोजन में अंकुरित दालअनाज, मौसमी फल व कच्ची खाई जा सकने वाली सब्जियों को अवश्य शामिल करें, फलों के रस और आवश्यकतानुसार चिकनाई सहित या रहित दूधदही मट्ठे का सेवन करें, नाश्ते में दलिये का सेवन करना अच्छा है, साथ ही हरी सब्जियां, चोकर सहित मोटे आटे की बनी रोटियों को महत्व देना चाहिए। हां, यदि बैड टी यानी ‘बुरी चाय’ की आदत है, तो उससे मुक्ति पाएं। इस बारे में कोई अच्छी पुस्तक अपने घर में अवश्य रखें(स्वतंत्र वार्ता,12.10.2010)।

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