मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010

साबुत अनाज से इलाज़

साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों में एक बाहरी खोल, भूसी या ब्रान (ऊपरी सतह), बीज और मुलायम एण्डोस्पर्म पाया जाता है। गेहूं की पिसाई के वक्त ऊपरी भूसी एवं बीज को हटा दिया जाता है एवं स्टार्ची एण्डोस्पर्म ही बच जाता है। भूसी एवं बीज से विटामिन ई, बी और अन्य तत्व जैसे कि जिंक, सेलीनियम, कपर, आयरन, मैगनीज एवं मैग्निशियम आदि प्राप्त होते हैं।

इनमें फाइबर भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है। सभी साबुत अनाजों में अघुलनशील फाइबर पाये जाते हैं जो पाचन तंत्र के लिए बेहतर होते हैं साथ ही कुछ घुलनशील फाइबर भी पाये जाते हैं जो रक्त में वांछित कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ाते हैं। खासतौर से जई, जौ और राई में घुलनशील फाइबर की मात्र अधिक होती है, साबुत अनाजों में रूटीन (एक फ्लेवेनएड जो हृदय रोगों को कम करता है), लिग्नान्स, कई एंटीअक्सीडैंट्स और अन्य लाभदायक पदार्थ पाये जाते हैं।

नवीनतम खोजों से पुष्टि हुई है कि साबुत अनाजों में कई विटामिनों के अनूठे मिश्रण, खनिज-लवण, फाइबर, अघुलनशील एंटी ऑक्सीडेंट्स और फाइटोस्टेरोल्स भी पाए जाते हैं, जो शरीर को कई रोगों से बचाते हैं। जो लोग साबुत अनाज खाते हैं उन्हें डायबिटीज, कोरोनरी धमनी रोग, पेट का कैंसर और हाई ब्लड प्रैशर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। इनमें जटिल काबरेहाइडेट्स का अनूठा मिश्रण, जल व वसा में घुलनशील विटामिन, लवण, फाइबर, अघुलनशील एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोस्टीरल्स पाये जाते हैं।

साबुत अनाजयुक्त पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे ये रक्त में शर्करा का स्तर कम करते हैं। इनमें पाए जाने वाले फाइबर अंश पेट में गैस बनने की प्रक्रिया को कम करते हैं एवं पेट में स्थिरता का आभास होता है, इसलिए ये शारीरिक वजन कम करने में सहायता करते हैं। साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थों से कार्डियोवस्क्युलर बीमारियों एवं पेट के कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

रिफाइन्ड अनाज को पीस कर बनाया जाता है, जिसमें दाने की भूसी और जर्म सतह को हटाया जाता है, जिससे लिनोलेइक एसिड कम हो जाता है साथ ही फाइबर, फोलिक एसिड, सेलेनियम और विटामिन ई जैसे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।

साबुत अनाज खाने को हृदय रोगों और स्ट्रोक के कम होने के लिए भी खाया जाता है। इसके कई कारण हैं जिसमें कि घुलनशील फाइबर में कोलेस्ट्रोल कम करने का गुण, अतिरिक्त विटामिन होना, खनिज लवण, एंटी अक्सीडेंट्स और फाइटोकैमिकल्स का होना शामिल है। इसलिए साबुत अनाजें को अन्य पदार्थों पर वरीयता दी जाती है।

गेहूं की भूसी में, रिफाइन्ड गेहूं के मुकाबले अधिक एंटी ऑक्सीडेंट्स क्षमता होती है। साबुत अनाज रक्त में शर्करा की मत्र को बढ़ने से रोकता है, इससे इन्सुलिन अपना कार्य बखूबी करता है, जो डायबिटीज से बचाता है। साबुत अनाज आंत, पेट और मुंह के कैंसर की आशंका भी कम करता है, फाइबर कब्ज और डाइवर्टिकुलटिस को रोकता है।

साबुत अनाज भारतीय खाने का प्रमुख अवयव है, जो मूलभूत ऊर्जा, प्रोटीन, आयरन फाइबर और कई अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करता है। शाकाहारियों के लिए अपने भोजन में एक प्रकार के अनाज को दाल के सथ मिश्रित करके या दो अलग-अलग अनाज को खाने से ही प्रोटीन की भरपाई हो पाती है। मलकीत सिंह

हेल्थ टिप्स बड़े काम की छोटी-छोटी बातें हमारे आज के नौजवान को बड़ी हर तरह की जल्दी है। उसे शॉर्ट कट से अपना करियर बनाना है, हेल्थ भी और रुपया भी। इन सब के साथ उसे डेशिंग और स्मार्ट भी दिखना है। लेकिन इन्ही सब बातों को लेकर वह इतनी टेंशन में आ जाता है कि वह सबसे ज्यादा अपनी सेहत को ही इग्नोर करने लगता है। सेहत के प्रति यही उदासीनता बीमारियों की बड़ी आइए जानते हैं उनके लिए कुछ खास फिटनेस के टिप्स :

- सुबह जल्दी उठकर सैर करनी चाहिए और व्यायाम भी। यह बात तो सब जानते हैं पर इस पर अमल करने में ही आलस्य कर जाते हैं। इस आलस्य को छोड़ने का संकल्प सबसे पहले लेना होगा। - फिट रहने का दूसरा उपाय है प्राणायाम। इसके लिए 10 से 20 मिनट तक का समय जरूर निकालना चाहिए। और अपनी शक्ति के अनुसार इसका अभ्यास, बढ़ाना चाहिए। - प्राणायाम के बाद क्षमता के अनुसार व्यायाम भी करना जरूरी है। जो लोग जिम नहीं जा पाते उन्हें घर पर ही योग और एक्सरसाइज करनी चाहिए। - हर मौसम में रोजाना ठंडे पानी से नहाना और फिर सूखे तौलिए से बदन को रगड़ कर शरीर को गर्म करना भी फायदेमंद है। - अपनी सामर्थ्यशक्ति के अनुसार सूर्य स्नान भी करना फायदेमंद है जिससे शरीर को विटामिन डी मिलता है। हो सके तो रोज या सप्ताह में एक बार तेल की मालिश भी करना फायदेमंद रहेगा। - हमेशा भोजन करने के लिए बैठने के पहले हाथ अवश्य धोने चाहिए। - भोजन भूख के मुताबिक ही करना - हरी साग-सब्जी और मौसमी फल अधिक खाना। - भोजन खूब चबा चबाकर खाना़ भोजन करते समय अंत में पानी नहीं पीना, भोजन करने के एक घंटे बाद पानी पीना। - भोजन के साथ दही या उसके अंत में छाछ पीना - भोजन करने के बाद कुल्ला कर दांत अवश्य साफ करना। (हिंदुस्तान,दिल्ली,5.10.2010)

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