बुधवार, 15 सितंबर 2010

जयपुर फुट पर अब इंजीनियरिंग रिसर्च

जयपुर फुट को अब इंजीनियरिंग रिसर्च के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा है।

इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संतोकबा दुर्लभजी के रीहैबिलिटेशन सेंटर में जयपुर फुट की इंजीनियरिंग को समझने के लिए यूएस की मिशिगन यूनिवर्सिटी से बायोमेडिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स रिसर्च के लिए आने लगे हैं। वहीं भगवान महावीर विकलांग समिति के स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ हुए एमओयू के तहत इसकी तकनीक पर जॉइंट रिसर्च किया जाएगा।
एमआईटी और ऑस्ट्रेलिया से इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स इसकी तकनीक को समझने के लिए जयपुर का रुख कर रहे हैं। जयपुर फुट की टैक्नोलॉजी मेडिसन और इंजीनियरिंग बेस्ड है, इसलिए इसे अब इंजीनियरिंग टूल में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। स्टूडेंट्स रिसर्च के लिए यहां आने लगे हैं। इसके साथ ही आने वाले समय में दुनियाभर में हो रहे काम के मद्देनजर और इसके डवलपमेंट को लेकर विभिन्न देशों की टीम को जयपुर में ट्रेंड किया जाएगा। बदल रही है तकनीक जर्मनी और स्विट्जरलैंड से सॉकेट मैटेरियल इम्पोर्ट किया जाने लगा है ताकि जयपुर फुट की ड्यूरेबिलिटी, स्ट्रैंथ और लुक को बेहतर बनाया जा सके। डॉ. अनिल के मुताबिक, अब इसके वजन को कम करने की भी कवायद की जाने लगी है। रबर, वुड और मैटल का यूज होने की वजह से इसका वजन फिलहाल ज्यादा है, इसलिए रबर का सब्सीट्यूट ढूंढ़कर इसकी तकनीक बदल दी जाएगी, ताकि इसकी फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ जाए। हालांकि वैरिएशन, डिजाइन और मॉडिफिकेशन से इसे बेहतर बनाया जा रहा है। आश्चर्य से कम नहीं मॉरीशस, मलेशिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में जयपुर फुट का इस्तेमाल बढ़ने लगा है। हाल ही इन देशों से आए हजारों पेशेंट्स की जिंदगी बदल चुकी है। डॉ. अनिल जैन के अनुसार, सन 1971 से करीब 10 लाख से ज्यादा पेशेंट्स इसे इस्तेमाल कर चुके हैं। इनमें से कुछ केस ऐसे भी थे जिनके दोनों पैर कटे हुए थे और इलाज नहीं होने से निराश थे। विशेषज्ञों के मुताबिक दुनियाभर में जयपुर फुट की तकनीक को अपनाना गौरव की बात है। बनेंगे कृत्रिम घुटने स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से टाइअप के बाद आर्टिफिशियल नी बनाने की कवायद की जा रही है। कंसल्टेंट डॉ.एमके माथुर ने बताया,इसके तहत हायर टैक्नो.इक्विपमेंट इम्पोर्ट कर इसे बेहतर बनाया जाएगा। इसकी पॉपुलैरिटी को देखते हुए टाइम्स मैगजीन ने 50 बैस्ट इंवेंशन में शामिल किया है(दैनिक भास्कर,जयपुर,15.9.2010)।

1 टिप्पणी:

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।