गुरुवार, 16 सितंबर 2010

किस रोटी में क्या

भारतीय खाना रोटी के बिना अधूरा है। हमारे यहां अलग-अलग प्रांतों में कई तरह की रोटियां बनाई जाती हैं। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार हर अनाज में अलग-अलग न्यूट्रीशन वैल्यू और बीमारियों से लड़ने के गुण होते हैं। अगर आप अपनी सेहत को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो एक नज़र इन जानकारियों पर डालिए- रागी: यह भारत में बड़ी मात्रा में पैदा किया जाने वाला अनाज है , जिसकी सबसे ज्यादा खपत कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में होती है । रागी से डोसा, रोटी और दाल भी बनती है और यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती है । इसमें करीब 9.8 फीसदी प्रोटीन, के साथ ही अमीनो एसिड, विटामिन ए, विटामिन बी, कैल्शियम और फास्फोरस मिलता है । ज्यादतर रागी का इस्तेमाल बिस्कुट व के क बनाने में किया किया जाता है । प्रति 100 ग्राम रागी में 3.44 मिग्रा कैल्शियम, 3.6 ग्राम फाइबर मिलता है । बच्चों के शारीरिक विकास, गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों के लिए फायदेमंद होता है , क्योंकि उन्हें अधिक कै ल्शियम व आयरन की आवश्यक ता होती है । रागी मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि इससे शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है। वहीं कब्ज, हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और इंटेस्टाइन के लिए भी फायदेमंद है । बाजरा: सबसे ज्यादा राजस्थान में खाया जाने वाला इस अनाज में भरपूर आयरन और साइटोकेमिकल होता है। यह कोलेस्ट्रॉल, फोलेट , मैग्नीशियम, कॉपर, जिंक , विटामिन ई और बी-कॉम्प्लेक्स से भरपूर होता है । इसमें जरूरी 13 अमीनो एसिड होते हैं और अन्य अनाजों के आटे की तुलना में इसके आटे से सबसे ज्यादा एनर्जी मिलती है । इसके अलावा, बाजरा कैल्शियम और अनसैचुरेटेड फैट से भी भरपूर है । यह हड्डियों के लिए भी अच्छा होता है । यह कम उपजाऊ भूमि में भी आसानी से उग जाता है । लेकिन गर्मी में बाजरे से तैयार भोजन नहीं करना चाहिए। ठंड के लिए यह अधिक फायदेमंद है । प्रति 100 ग्राम बाजरे से 50 मिग्रा आयरन, 132 मिग्रा विटामिन ए, 2.3 ग्राम मिनरल्स व 11.6 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है । यह एनिमिक रोगियों के लिए लाभदायक होता है । जौ : ये बीटा-ग्लूके न से भरपूर होती है , जो सॉल्यूबल फाइबर का ही एक प्रकार है । इससे कोलेस्ट्रॉल कम होता है । रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं को अपने भोजन में हफ्ते में कम से कम छह बार जौ की रोटी शामिल करनी चाहिए। साथ ही यह बीपी के मरीजों के लिए भी लाभकारी है । 100 ग्राम जौ से फाइबर 3.9 ग्राम व प्रोटीन 11.5 ग्राम शरीर को प्राप्त होता है । गेहूं : गेहूं की रोटी साउथ एशिया के साथ विश्व के कई हिस्सों में प्रचलित है । इसमें भरपूर फाइबर और न्यूट्रीशंस मिलते हैं , लेकिन बच्चे इसे खाना बहुत पसंद नहीं करते हैं, इसलिए इसका उपयोग वेस्टर्न डिश पिज्जा, बर्गर और पास्ता में भी किया जाता है । यह शारीरिक ऊर्जा का बड़ा स्त्रोत है । 100 ग्राम गेहूं से 60 ग्राम कैलोरी और 11.0 ग्राम कार्बोहाइड्रेट मिलता है जो बच्चों के एनर्जी लेवल को बढ़ाता है । ज्वार: यह पोटेशियम और फास्फोरस के साथ ही कैल्शियम, सोडियम और आयरन से भरपूर है । रोजाना भोजन में इसे शामिल करने से गर्भवती महिलाओं को जरूरी विटामिंस और खनिज पदार्थ मिलते हैं । यह वजन बढ़ने और हृदय विकार जैसे आर्ट रीज(हृदय धमनियां) में होने वाले ब्लॉकेज को रोकने में मददगार साबित होती है । प्रति 100 ग्राम ज्वार में 25 मिग्रा कैल्शियम प्राप्त होता है । चना: चने में भरपूर प्रोटीन होता है , जो मसल्स बनाने में फायदेमंद होता है । 100 ग्राम चने में 17.1 ग्राम प्रोटीन मिलता है । वहीं, 100 ग्राम बेसन में 20.8 ग्राम प्रोटीन होता है । इसकी बनी रोटी में पर्याप्त बी-कॉम्प्लेक्स व अन्य विटामिंस होते हैं । यह मधुमेह के मरीजों के लिए अच्छा भोजन है , क्योंकि इससे शरीर में ग्लूकोज का यूटिलाइजेशन सही तरीके से हो पाता है । मकई : कॉर्न यानी मकई की रोटी भारत के उत्तरी इलाकों में सबसे ज्यादा खाई जाती है । मकई का आटा कोलोन कैंसर के खतरे को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इसके आटे से तैयार रोटी में कई न्यूट्रीशंस-विटामिन बी 1, बी5, विटामिन सी, फास्फोरस और मैगनीज होता है । साथ ही, ये बीटा कैरोटीन यानी विटामिन-ए से भरपूर होता है , इसी वजह से मकई का रंग पीला होता है । इसमें मौजूद फाइबर हृदय विकारों और फोलेट एसिड नवजात की शारीरिक विकृतियों को रोकने के साथ ही होमोसाइस्टीन के स्तर को भी कम करता है, क्योंकि इससे रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचता है(प्रस्तुतिःममता मिश्रा,हिंदुस्तान,पटना,16.9.2010)

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