आसन और प्राणायाम जैसी क्रियाएं करने के बाद अगर आप समझते हैं कि अपने स्वास्थ्य की गारंटी कर ली तो आप मुगालते में हैं । कम से कम स्वास्थ्य के लिए शारीरिक श्रम का भारत का अलग दिशानिर्देश तैयार करने वाले विशेषज्ञों का तो यही मानना है । उनका साफ कहना है कि बेशक योग बहुत अच्छी क्रिया है लेकिन यह व्यायाम या शारीरिक श्रम का विकल्प कतई नहीं है । यही कारण है कि इस दिशानिर्देश में योग को शारीरिक क्रिया के रूप में जगह नहीं मिली । इसमें भारतीयों के लिए डायबिटीज व दिल का रोग होने का खतरा अधिक होने की वजह से कुल एक घंटे का शारीरिक श्रम करने की सलाह दी गई है ।
दिशानिर्देश में लोगों को कार्यालय से लौट कर घर में टेलीविजन और कंप्यूटर के सामने दो घंटे से कम समय देने की नसीहत दी गई है । साइकिल चलाने को शारीरिक श्रम का सबसे प्रभावी जरिया बताया गया है । यह कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं को कोई काम नहीं करने की पुराने जमाने की नसीहत गलत है लेकिन यह जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की देख रेख में ही व्यायाम करें । बच्चों को जोर देकर उन्हें खेलने के लिए भेजने की सलाह भी दी गई है।
विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से नेशनल डायबिटीज, ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन ने भारतीयों के लिए व्यायाम का अलग दिशानिर्देश तैयार किया है । इसके अध्यक्ष व डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. अनूप मिश्रा ने कहा, सर्वसम्मति के लिए हुए सम्मेलन के बाद एक महीने में यह दिशानिर्देश किताब की शक्ल ले लेगा । योग का सवाल उठने पर लगभग सभी विशेषज्ञों ने कहा कि योग फायदेमंद है लेकिन उसे टहलने, व्यायाम आदि का विकल्प नहीं माना जा सकता (नई दुनिया,दिल्ली,26.9.2010)।
जहां तक मुझे याद है गर्भवती महिलाओं को काम नहीं करने की नसीहत कहीं नहीं लिखी। बचपन से बड़े बुजुर्ग कहते रहे हैं कि काम करते रहने से शरीर स्वस्थ बना रहता है औऱ बच्चा होने में आसानी होती है। यही योग के बारे में है। योग के साथ ही प्राचीन ऋषि-मुनि शारीरिक श्रम भी किया करते थे।
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