केला लोगों के पसंदीदा फल की सूची में शुमार है ही, लेकिन अब केले की शराब भी पीने वालों के बीच पहचान बनाने लगी है। अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले पंकज अवस्थी और उनकी पत्नी ऋतु अवस्थी यह शराब तैयार करते हैं और जल्दी ही वह इसके पेटेंट की भी तैयारी कर रहे हैं। असल में, हाथियों को जंगली केला क्यों बेहद पसंद है? इस सवाल ने पंकज को इतना परेशान किया कि वह जंगली केले से शराब बनाने के प्रयोग में जुट गए। उन्हें सफलता भी मिली। कानपुर स्थित नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट से अल्कोहल प्रौद्योगिकी में डिग्री ले चुके पंकज कहते हैं कि केले में पाई जाने वाली शर्करा शराब बनाने के लिए अच्छा तत्व साबित होती है। केले से शराब बनाने में सफलता पंकज को सात साल पहले मिली थी। वर्ष 2003 में आयोजित गोवा शराब महोत्सव में पहली बार पंकज की बनाना वाइन को जगह मिली थी। वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा 2004 में आयोजित दिल्ली शराब महोत्सव में भी केले से बनी शराब को जगह दी गई। पंकज को सफलता मिली, 2005 में। जब शिलांग शराब महोत्सव में बनाना वाइन को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया। फिर तो लगातार तीन साल तक वह यह पुरस्कार पाते रहे। पंकज कहते हैं हालांकि अन्य फलों सेब, कीवी, नाशपाती और संतरे से बनी शराब भी अच्छी होती है, लेकिन केले से बनी शराब को सर्वाधिक सराहा गया। लोगों में यह धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है। इसकी मांग बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि बनाना वाइन को तैयार करने में करीब 45 दिन का समय लगता है। उत्तर प्रदेश, झारखंड, गोवा और पूर्वोत्तर में इसकी मांग अधिक है। पंकज फिलहाल पांच सौ लीटर शराब तैयार करते हैं, जिसकी प्रति बोतल कीमत 500 रुपये से 15 हजार रुपये तक होती है। मूल्य सीजन के हिसाब से बदलते भी रहते हैं। कच्चे माल की उपलब्धता पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। उनका दावा है कि यदि इस शराब को सही तरीके से रखा जाए, तो यह 10 साल तक रह सकती है। फिलहाल पंकज और उनकी पत्नी भारत निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) पर शोध करने में अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पंकज ने दावा किया, मैं देशभर की तमाम डिस्टीलरियों को परामर्श सेवाएं देने का प्रस्ताव दे रहा हूं और उनके लिए कई आईएमएफएल ब्रांड तैयार कर रहा हूं(दैनिक जागरण,ईटानगर/राष्ट्रीय संस्करण,20.9.2010)।
मुआ केला भी नहीं बचा।
जवाब देंहटाएंदिलचस्प जामकारी। ओह मांफ कीजियेगा --जानकारी ।
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