गुरुवार, 16 सितंबर 2010

ब्रांडेड शहद से सावधान

यदि आप अपने बच्चों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए शहद चटा रहे हों तो सावधान हो जाइए। शहद की इस मिठास में ऐसा कसैलापन छुपा है, जो बच्चों में इन दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर देगा। जी हां, मधुमक्खियों से निकलने वाले शहद में एक नहीं छह एंटीबायोटिक दवाएं घुल चुकी हैं, जो सुपरबग का भी कारण हो सकता है। एक नये अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि दिल्ली के बाजार में बिकने वाले ब्रांडेड शहद से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि इसमें स्वीकृत स्तर से अधिक एंटीबायोटिक्स हो सकता है।
सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के अध्ययन में दावा किया गया है कि शहद के प्रमुख ब्रांडो में एंटीबायोटिक्स का उच्च स्तर पाया गया है। इनमें अंतरराष्ट्रीय फर्मों द्वारा बनाया गया शहद भी शामिल है। अध्ययन में आगाह किया गया है कि इससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। अध्ययन के अनुसार दिल्ली के विभिन्न बाजारों से लाये गये 12 ब्रांड के नमूनों का परीक्षण किया गया। इनमें दस भारतीय ब्रांड शामिल हैं। 11 नमूनों में एंटीबायोटिक्स का स्तर ज्यादा पाया गया। देश में शहद के 12 मशहूर ब्रांडों के नमूनों की जांच में 11 नमूनों में एंटीबायोटिक की मात्र पाई गई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने ये नमूने डाबर, हिमालय ड्रग कंपनी, बाबा रामदेव की पांतजलि फार्मेसी, बैद्यनाथ, खादी ग्रामोद्योग, वर्धमान फूड एंड फार्मास्युटिकल, उद्योग भारती, फूड मैक्स, मेहसंस इंडिया के लिए थे। एक छोटी कंपनी हितकारी को छोड़कर आस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड के मशहूर ब्रांडों कैपिलानो और नेक्टाफ्लोर में भी भारी मात्रा में एंटीबायोटिक मिले। सीएसई की निदेशक सुनीता नारायण और अध्ययन के प्रमुख चंद्रभूषण ने बताया कि इनमें छह एंटीबायोटिक आक्सीटेट्रासाइक्लीन, क्लोरामफेनीकोल, एंपीसिलीन, एनरोफ्ल्क्सासिन, सिप्रोप्लोक्सोसिन और एरिथ्रोमाइसिन की जांच की गई। हितकारी को छोड़कर सभी में दो से पांच तक एंटीबायोटिक 10 से लेकर 614 माइक्रोग्राम प्रति किग्रा तक पाए गए। इनमें से क्लोरामफेनीकोल एंटीबायोटिक पर यूरोप में प्रतिबंधित है। देश में शहद में एंटीबायोटिक की सीमा मानक नहीं हैं जबकि विदेशों में मानक बने हैं(पीटीआई और हिंदुस्तान में 15.9.2010 को प्रकाशित खबर पर आधारित)।

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