सोमवार, 2 अगस्त 2010

कैंसर ग्रिड बनेगा भोपाल मेमोरियल अस्पताल

केंद्र सरकार ने भोपाल मेमोरियल अस्पताल को एक प्रमुख शोध केंद्र और महत्वाकांक्षी कैंसर ग्रिड का प्रमुख अस्पताल बनाने के लिए एक योजना बनाई है।
परमाणु ऊर्जा विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भोपाल मेमोरियल अस्पताल को अधिग्रहित करने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे।यह अस्पताल भोपाल गैस पीड़ितों के इलाज के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक चैरिटेबल ट्रस्ट के तौर पर स्थापित किया गया था। हाल में परमाणु ऊर्जा विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने इसके अधिग्रहण में दिलचस्पी जाहिर की थी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के मुताबिक बीएमएचआरसी एक प्रमुख कैंसर अस्पताल है। जैव प्रौद्योगिकी विभाग चिकित्सकीय अनुसंधान के लिए एक केंद्र तलाश रहा है और परमाणु ऊर्जा विभाग अपनी कैंसर ग्रिड के लिए स्थान खोज रहा है। दोनों के लिए बीएमएचआरसी सही स्थान है। परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव श्रीकुमार बनर्जी के अनुसार यह अस्पताल कैंसर ग्रिड स्थापित करने के विभाग के कार्यक्रम का हिस्सा होगा। नहीं होगा मरीजों पर ड्रग ट्रायल जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव महाराज कृष्ण भान ने कहा कि अस्पताल का इस्तेमाल नई दवाओं के चिकित्सकीय परीक्षण के लिए नहीं होगा। गैस त्रासदी पर अदालत के फैसले के बाद उत्पन्न स्थिति पर विचार करने के लिए गठित मंत्री समूह ने हाल में सुझाव दिया था कि परमाणु ऊर्जा विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग भोपाल मेमोरियल अस्पताल का अधिग्रहण कर लें। मंत्रिमंडल ने सुझाव को मंजूरी दे दी। दोनों विभागों के अधिकारियों का एक दल बीएमएचआरसी का सर्वे कर चुका है और अधिग्रहण पूरा करने के लिए कार्य योजना भी बनाई जा चुकी है। इस तरह बना था अस्पताल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूनियन कार्बाइड ने 20 मार्च, 1992 को लंदन में एक चैरिटेबल ट्रस्ट स्थापित किया था, जिसका नाम भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल ट्रस्ट रखा गया। इसके ट्रस्टी सर इयान परसीवल थे। उनकी मौत के बाद, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, 1998 में भोपाल मेमोरियल अस्पताल स्थापित किया गया जिसके अध्यक्ष देश के पूर्व प्रधान न्यायमूर्ति एएम अहमदी थे। उन्होंने पिछले माह इस्तीफा दे दिया। आयोग के गठन की मांग भोपाल ग्रुप फॉर इनफोर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी ने केंद्र सरकार से भोपाल मेमोरियल हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) के संचालन के लिए एक आयोग के गठन की मांग की है। उन्होंने बताया कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों के लिए गैस पीड़ित का इलाज महत्वपूर्ण नहीं होगा। केंद्र के अधिकारी शोध कार्य को बढ़ावा देंगे। ऐसी स्थिति ना बने इसके लिए केंद्र सरकार अस्पताल के संचालन के लिए एक आयोग का गठन करे। ऐसा न होने पर बीएमएचआरसी में गैस पीड़ितों को इलाज मिलने की उम्मीद करना बेमानी है(दैनिक भास्कर,भोपाल,2.8.2010)।

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