सोमवार, 23 अगस्त 2010

ज्यादा असरदार नहीं रहीं मलेरिया की पुरानी दवाएं

मलेरिया होने पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से दी जाने वाली दवाएं क्लोरोक्यून और प्राइमक्यून ज्यादा असरदार नहीं रही। दोनों दवाओं के प्रति मलेरिया का कारक 'प्लाजमोडियन' प्रतिरोधी हो गया है। अब सरकार भी मलेरिया के रोगी को आरटी माइसिन (सुमेट)समूह की गोलियां देगी। नेशनल ड्रग पॉलिसी ऑन मलेरिया 2010 ने इसकी गाइडलाइन जारी कर दी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार वर्तमान में सरकारी स्तर पर मलेरिया के रोगी को क्लोरोक्यून और प्राइम क्यून की गोलियों की खुराक दी जाती है। क्लोरोक्यून शरीर को मलेरिया प्रतिरोधी बनाने और प्राइम क्यून मलेरिया के वायरस को नष्ट करती है। दोनों दवाएं पिछले 20साल से दी जा रही हैं। इससे पूर्व मलेरिया एंटी के रूप में कुनैन दी जाती थी। इससे चक्कर आने, उल्टी, सिर दर्द होने व रक्तचाप आदि दुष्प्रभाव होने लगे थे। जल्द दवाएं देने की गाइड लाइन: भारत सरकार की ओर से मलेरिया पर जारी ड्रग पॉलिसी में मलेरिया का रोगी चिह्नित होने पर उसे जल्द दवाएं देने की गाइड लाइन दी गई है। चिकित्सकों के अनुसार आरटी माइसिन ग्रुप की दवाओं का आविष्कार चीन में हुआ था। निजी चिकित्सक इसका उपयोग कर रहे हैं। इस समूह की दवाओं के प्रति अभी तक मलेरिया का कारक प्लाजमोडियन प्रतिरोधी नहीं हुआ है(दैनिक भास्कर,श्रीगंगानगर,23.8.2010)।

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