रविवार, 8 अगस्त 2010

मध्यप्रदेशःमेडिकल कालेजों के अधीन होंगे टीबी अस्पताल

टीबी सहित अन्य गंभीर बीमारियों से लड़ने के लिए मध्यप्रदेश सरकार एक बड़ा बदलाव करने जा रही है। इसके लिए टीबी अस्पतालों को मेडिकल कालेजों के अधीन लाने का प्रस्ताव है। महीने भर के भीतर इस पर मुहर लग सकती है। प्रदेश के टीबी अस्पताल बदहाली के शिकार हैं। गंदगी व डाक्टरों की कमी के चलते कोई भी मरीज वहां रहना नही चाहता। इसके अलावा डाट आने के बाद मरीजों को अस्पताल आने की भी जरूरत नहीं रही। अति गंभीर मरीजों को ही अस्पताल में रखने की जरूरत होती थी। खासतौर पर जिन जगहों में मेडिकल कालेज हैं वहां मरीजों को सुपर स्पेशलिटी सेवाएं इन कालेजों से संबंध अस्पतालों में ही मिल जाती हैं, इसलिए इन अस्पतालों की अहमियत कम होती जा रही है। टीबी अस्पतालों के स्वास्थ्य विभाग से हटाकर चिकित्सा शिक्षा विभागों के अधीन करने के पीछे सरकार की मंशा यह है कि टीबी अस्पतालों में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा सके। मेडिकल कालेजों के अधीन आने के बाद टीबी अस्पतालों की सेहत सुधर जाएगी और इसका पूरा फायदा मरीजों को मिलेगा। मेडिकल कालेजों में टीबी रोग के विशेषज्ञों के अलावा जांच के जरूरी उपकरण भी हैं। टीबी अस्पतालों के मेडिकल कालेजों के अधीन आने के बाद उन मरीजों को काफी फायदा होगा, जिनकी हालत गंभीर होती है। साथ ही टीबी के साथ अन्य रोगों के भी वे शिकार होते हैं। एक साथ कई रोगों के कारण उनका उपचार सामान्य टीबी अस्पतालों में नहीं हो पाता है। सबसे बड़ी दिक्कत यहां पर जांच सुविधाओं की है। अधिकांश टीबी अस्पतालों में टीबी की सामान्य जांचों के अलावा बड़ी जांचें नहीं हो पाती हैं। एड्स पीडि़तों में बढ़ रही टीबी की शिकायत को देखते हुए टीबी मरीजों का इलाज और चुनौती भरा हो गया है। मेडिकल कालेजों के अधीन आने के बाद न केवल अस्पतालों की व्यवस्था सुधरेगी, बल्कि टीबी सहित अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज काफी अच्छे तरीके से हो सकेगा। चिकित्सा शिक्षा विभाग में शामिल होने के बाद टीबी अस्पतालों के डाक्टर व अन्य स्टाफ भी चिकित्सा शिक्षा में शामिल हो जाएंगे(शशिकान्त तिवारी, भोपाल,दैनिक जागरण,भोपाल,8.8.2010)।

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