मंगलवार, 10 अगस्त 2010

बच्चों को विकलांग बनाता पंजाब का पानी

पंजाब का पानी बच्चों को विकलांग बना रहा है। इस बात को यहां के वैज्ञानिक भी मानते हैं। एक वर्ग कहता है कि पानी में यूरेनियम, लैड जैसी घातक धातुओं के कारण लोगों में कैंसर और मानसिक रोग बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरा वर्ग इस बात से सरोकार नहीं रखता, हालांकि यह जरूर मानता है कि पानी में पाए जा रहे घातक हैवी मैटल सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पानी को लगभग 2 करोड़ 40 लाख लोग इस्तेमाल कर रहे हैं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षो में पंजाब में विकलांगता में बढ़ौतरी हुई है। 2001 की जनगणना के अनुसार पंजाब में विकलांग बच्चों की संख्या 4 लाख 24, 523 थी। 1-1-1996 से लेकर 31-12-2007 तक 2,41,887 को विकलांगता सर्टिफिकेट दिए गए। बाबा फरीद सैंटर फॉर स्पैशल चिल्ड्रन के डा प्रितपाल सिंह कहते हैं कि पिछले कुछ साल में देखा गया है कि अपंगता के साथ-साथ बच्चे हायड्रोसफैली, माइक्रोफैली, सेरेबल पैलसी और अन्य शारीरिक और मानसिक कमजोरियों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के साथ पैदा हो रहे हैँ। उन्होंने बताया कि 09 में इंग्लैंड की एक क्लीनिकल मैटल टैकसॉलाजिस्ट डॉ. कैरन स्मिथ ने बाबा फरीद सैंटर फरीदकोट में दाखिल 149 बच्चों के सैंपल लेकर जर्मन लैब में टैस्ट करवाए, जिनके नतीजों में इन धातुओं के होने की पुष्टि की गई। गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी के डॉ. सुरिंदर सिंह ने बताया कि 1990 से उनकी इस मामले पर रिसर्च चल रही है। उनकी रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय जनरल ऑफ इनवायरमैंट रेडियोएक्टीविटी में भी छप चुकी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में मौजूद ग्रेनाइट हिलों से हो रही लीकेज के कारण पंजाब के पानी में यूरेनियम मिल रहा है और एसा नहीं हैं कि ऐसा सिर्फ मालवा क्षेत्र में है। अमृतसर से लिए पानी के सैंपलों में हानिकारक धातु पाए गए हैं। अंतरराष््रयीय स्तर पर भी यह बात सामने आ चुकी हैं कि यूरेनियम से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यूरेनियम से नहीं होता कैंसर इस मामले में शोध कर रहा वैज्ञानिकों का दूसरा वर्ग इस से सहमत नहीं हैं कि यूरेनियम से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं, न ही वह इस बात को मानते हैं कि थर्मल पावर प्लांट इस सबके लिए जिम्मेवार हैं। डीएवी कॉलेज जालंधर के फिजिक्स डिपार्टमैंट के प्रो. अतुल भल्ला ने बताया कि इस मसले पर ईडीएक्सआरएफ तकनीक का उपयोग कर शोध की गई है, जिसे साफ है कि पंजाब के पानी में यूरेनियम की मात्रा खतरनाक स्तर पर है पर वह इसके लिए थर्मल प्लांटों और ग्रेनाइट हिलों को जिम्मेवार नहीं मानते हालांकि यह वर्ग यह भी नहीं स्पष्ट नहीं कर पाया कि यह कैसे हो रहा है? भल्ला ने बताया कि यूरेनियम और कई वजह से पानी में मिल सकता है, फर्टीलाइजर, माइनिंग भी इसका कारण हो सकते हैं। इंडस्ट्रीयल वेस्ट भी इसके लिए जिम्मेवार हो सकता है। सरकारी स्तर पर अभी केवल मालवा क्षेत्र में कुछ आरओ फ्लिटर सिस्टम ही लगाए जा सके हैं, हालांकि यह समस्या पूरे पंजाब में पाई जा रही हैँ। जहरीली हुई सतलुज सतलुज में मिल रहा लुधियाना का बुड्ढा नाला से लिए गए सैंपलों में अन्य धातुओं के साथ अमोनिया, फोसफेट, केलोराइड, क्रोमियम आर्सेनिक क्लोरपिरिफोस धातु भी पाए गए। हालांकि यूरेनियम मामले को लेकर अभी कोई सरकारी आंकड़ा जारी नहीं किया गया। बच्चों में बीमारियां अधिक सैंटर में दाखिल होने वाले बच्चों की तादाद पिछले 6 से 7 साल में काफी बढ़ गई है। इसका मुख्य कारण बठिंडा में स्थापित थर्मल प्लांट माने जा रहे हैं। मामले के लिए सरकार ने केवल एक 5 मैंबरी कमेटी गठित कर जांच करने के कहा है जिसका नतीजा अभी तक सामने नहीं आया हैं(विकास महाजन,दैनिक भास्कर,जालंधर,10.8.2010)।

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