देश के सभी निजी नर्सिग होम और अस्पतालों में डॉक्टरों की फीस और इलाज की दरें समान करने के केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव के बयान से भोपाल के डॉक्टरों में बहस छिड़ गई है। अधिकांश नर्सिग होम संचालकों ने स्वास्थ्य सचिव के बयान को अव्यावहारिक बताया है।
सभी नर्सिग होम्स में डॉक्टरों समेत पैथालॉजिकल टेस्ट्स आदि की फीस एक समान होने से बड़े नर्सिग होम संचालकों को नुकसान, जबकि छोटे नर्सिग होम संचालकों को फायदा होगा। नर्सिग होम संचालकों के मुताबिक अस्पतालों में मरीजों से फीस,उन्हें दी जाने वाली सुविधा के आधार पर ली जाती है।
इनके मुताबिक भोपाल में कई अस्पताल ऐसे हैं, जहां 10 मरीजों की चिकित्सकीय देखभाल के लिए एक स्टाफ नर्स ही उपलब्ध रहती है। वहीं कुछ नर्सिग होम्स में एक मरीज की मॉनीटरिंग के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर और दो से ज्यादा स्टाफ नर्स मौजूद रहती है।
शहर के एलबीएस अस्पताल में मरीजों को ईको कार्डियोग्राफी के लिए 800 रूपए चुकाना पड़ता है जबकि नेशनल अस्पताल में मरीजों को इसी जांच के लिए डेढ़ हजार रूपए चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं अक्षय हार्ट हॉस्पिटल में इस जांच की फीस 850 रूपए है।
वर्गीकरण होना चाहिए
अक्षय हार्ट हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ.दीपक चतुर्वेदी ने बताया कि देश के सभी अस्पतालों में डॉक्टरों की फीस और चिकित्सकीय परीक्षणों की दर समान करने के लिए अस्पतालों का वर्गीकरण होना चाहिए। इस व्यवस्था को प्रभावी करने के लिए अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों और वहां दी जाने वाली सुविधाओं का आधार भी देखा जाना चाहिए,तभी मरीजों को लाभ मिलेगा।
व्यावहारिक व्यवस्था नहीं
एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर के अध्यक्ष डॉ.अरविंद जोशी का कहना है कि सभी अस्पतालों में जांच और डॉक्टरों की फीस एक समान करना व्यावहारिक नहीं है। इससे नए डॉक्टरों को नुकसान होगा। पुराने अनुभवी डॉक्टरों की क्लीनिक में मरीजों की भीड़ बढ़ जाएगी।
इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सकीय जांचों की कीमत एक समान करने के केंद्र सरकार के निर्णय का समर्थन किया है।
डाक्टर खुद सोचें
निजी अस्पतालों और नर्सिग होम्स में डॉक्टरों का परामर्श शुल्क एवं चिकित्सकीय जांचों के लिए एक समान दर तय करने का प्रस्ताव अच्छा है। इसके साथ ही अब डॉक्टर्स को सोचना चाहिए कि केंद्र सरकार की सचिव को ऐसा बयान क्यों देना पड़ा।
डॉ.विनोद जैन,अध्यक्ष,नर्सिग होम एसोसिएशन (भोपाल)(दैनिक भास्कर,भोपाल,12.8.2010)
स्वास्थ्य और चिकित्सक का वही हाल है जो गरीब की बीबी का होता है । अपनी अकर्मण्यता छुपाने सबसे अच्छी भेड बली चढाने के लिए ।
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