धन और सैर-सपाटे की चाह में भारत के लड़के शुक्राणु और लड़कियां अंडाणु बेचने के लिए विदेश का रुख कर रहे हैं । बेहतर गुणवत्ता वाले शुक्राणु और अंडाणुओं की विदेश में अच्छी-खासी कीमत मिल रही है। नीली आंखों वाली लड़कियों के अंडाणुओं की कीमत सबसे अधिक है । वहीं उच्च वर्ण, गोरा रंग और लंबाई वाले लड़कों के शुक्राणुओं का बाजार तेजी पकड़ रहा है । वैसे देश के महानगरों में भी इसका चलन जोर पकड़ रहा है, लेकिन फर्टीलिटी टूरिज्म के जरिए विदेश में निशुल्क घूमने-फिरने और रहने का बोनस पैकेज युवाओं को ज्यादा लुभा रहा है। दिल्ली-एनसीआर के कई प्रजनन केंद्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके यहां दिल्ली विश्वविद्यालय की कई लड़कियां अपने अंडे का दान करने आती हैं और बदले में उन्हें अच्छी रकम भी मिल जाती है ।
ब्रिटेन जैसे देशों में भारतीय युवाओं के शुक्राणु और अंडाणु देने के एवज में ३० हजार डॉलर तक मिल रहे हैं । वैसे ब्रिटेन में शुक्राणु और अंडाणु दान करने वाले लोगों को अब ८०० पौंड देने का प्रावधान किया गया है। लेकिन ब्रिटिश दंपतियों में भारतीय नस्ल के बढ़ते क्रेज को देखते हुए इसकी कीमत इससे कहीं ज्यादा है। ह्यूमन फर्टीलिटी एंड एम्ब्रियोलॉजी अथारिटी (ब्रिटेन) ने वीर्य दान करने वालों को अब ज्यादा भुगतान करने का प्रावधान किया है । इसके मुताबिक अब वीर्य दाताओं को ८०० पौंड (लगभग एक लाख रुपए) मिलेंगे। पहले इसके एवज में वहां महज २५० पौंड का भुगतान किया जाता था।
ब्रिटेन जैसे देशों में महिलाओं में बांझपन व पुरुषों में नपुंसकता दर ज्यादा होने की वजह से उनके अंडाणु और शुक्राणु इनविट्रो फर्टीलिटी तकनीक (आईबीएफ) के लिए उपयुक्त नहीं रहे हैं । चूंकि भारत एक सम-शीतोष्ण देश है इसलिए यहां के युवा प्रजनन के लिए अधिक उपयुक्त माने जाते हैं। लेडी हार्डिंग अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा सिंघल का कहना है कि विज्ञान के विकास ने मां-बाप बनने की संभावनाओं को बढ़ाया है। इसकी वजह से लोग किसी भी कीमत पर अपनी सूनी गोद को हरी करना चाहते हैं। इसके एवज में वे कोई भी कीमत चुकाने को तैयार होते हैं और लाभ उठाने वाले इसका लाभ उठाते हैं। इसके लिए आचार संहिता चाहिए, जो अभी नहीं है(दुष्यंत शर्मा,नई दुनिया,दिल्ली,31.8.2010)।
एक और नई जानकारी दिया अपने।
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