सोमवार, 23 अगस्त 2010

सरकार को दवा-मूल्य तय करने का अधिकारःदिल्ली हाईकोर्ट

आम लोगों की मजबूरियों का फायदा उठाकर जीवन-रक्षक दवाइयों की अधिक कीमत वसूलने वाले दवा कंपनियों की अब खैर नहीं। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार को ‘जीवन रक्षक’जैसी दवाइयों की कीमतें तय करने का पूरा अधिकार है। हाईकोर्ट ने यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा तय कीमत से अधिक दामों पर दवाई बेचने वाली फार्मा कंपनी पर जुर्माना लगाए जाने को सही ठहराते हुए दिया है । न्यायमूर्ति एस मुरालीधर ने सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद ‘फ्रेंको इंडियन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड’की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सरकार को ड्रग्स प्राइस कंट्रोल आर्डर 1979 के पैरा 7-ए के तहत, दवाइयों की कीमत तय करने का पूरा अधिकार है । हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी को ‘पेनीवोरल प्लेन टेबलेट व पेनीवोरल फोर्ट टेबलेट’ जीवन रक्षक दवाई की अधिक कीमत वसूल करने बदले में सरकार को जुर्माना देने को कहा है । सरकार ने वर्ष 1996 में मेडिसिन की तय कीमत से अधिक दामों पर बेचे जाने को गंभीरता से लेते हुए याचिकाकर्ता कंपनी ‘फ्रेंको इंडियन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड’पर तीस लाख रुपये जुर्माना किया था। हाईकोर्ट ने कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए न सिर्फ केंद्र सरकार के निर्णय को सही ठहराया है बल्कि बिना किसी ठोस आधार के सरकारी निर्णय के खिलाफ याचिका दायर करने पर बीस हजार रुपए जुर्माना भी किया है। जुर्माने की रकम सरकार को,बतौर मुकदमा खर्च, चार सप्ताह के भीतर देने को कहा है। हाईकोर्ट ने दवा कंपनी से जुर्माने की रकम पर ब्याज मांगे जाने को भी सही ठहराया है । भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल एंड पेट्रोकेमिकल,ड्रग्स प्राइस इक्वेलाइजेशन सेल ने पेनीवोरल प्लेन टेबलेट व पेनीवोरल फोर्ट टेबलेट बनाने वाली कंपनी ‘फ्रेंको इंडियन फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड’ पर 11 अगस्त 1996 को 29 लाख 9 हजार एक सौ 41 रुपए जुर्माना किया था। इसके खिलाफ कंपनी ने कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के निर्णय को यह कहते हुए रद्द करने की मांग की थी कि सरकार कीमत तय नहीं कर सकती(प्रभात कुमार,हिंदु्स्तान,दिल्ली,23.8.2010)।

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