गांव-गांव तक टेलीमेडिसिन का युग दस्तक दे रहा है। हर पंचायत को इंटरनेट से जोड़ने का सरकारी लक्ष्य पूरा होते ही करीब दो लाख ७० हजार पंचायतों के लोगों का नामी गिरामी डॉक्टरों से इलाज कराने का सपना भी पूरा होने लगेगा । स्वास्थ्य में व्यापक स्तर पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) की शुरुआत की वजह से निजी क्षेत्र के बड़े अस्पताल समूह भी इसे पूरा करने में जुटे हुए हैं।
अपोलो अस्पताल समूह के अध्यक्ष डॉ. सी. प्रताप रेड्डी ने नई दुनिया को एक खास बातचीत में बताया कि केंद्र सरकार से किए गए वायदे के अनुसार अपोलो अस्पताल ने देश के हर गांव को टेलीमेडिसिन सुविधा मुहैया कराने की अपनी तैयारी कर ली है। हमारे छह हजार डॉक्टर इसके लिए तैयार बैठे हैं। हम इसके लिए डॉक्टरों की संख्या कई गुना बढ़ाने को भी तैयार हैं। सच मानिए, मैं यह सब पूरी तरह सेवा भाव से कर रहा हूं। अगले सप्ताह इसी बाबत प्रधानमंत्री के आईटी सलाहकार सैम पित्रोदा से मेरी मुलाकात होनी है । जो भी देरी है, वह सरकार की तरफ से है। हर पंचायत तक कनेक्टीविटी होने की देरी भर है, टेलीमेडिसिन का स्वर्ण युग आ जाएगा।
डॉ. रेड्डी ने कहा, महानगरों में हम विश्व स्तरीय चिकित्सा देने की स्थिति में आ गए हैं। गांवों के लोगों को वैसी चिकित्सा नसीब न हो यह शर्म की बात होगी। यह टेलीमेडिसिन के जरिए पूरी तरह से संभव है, सरकार को केवल इतनी बात समझनी पड़ेगी कि पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप समय की जरूरत है। मैंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर सरकार के साथ साझे उद्यम के रूप में दिल्ली में अपोलो अस्पताल खोला था। मौजूदा केंद्र सरकार ने पीपीपी मॉडल को तरजीह दी है, जो गांवों और दूर दराज के लोगों के लिए बेहद अच्छी बात है। टेलीमेडिसिन के जरिए हर गांव की नब्ज पर हाथ रखने के अपने सपने को पूरा करने के लिए ही मैंने इसी साल मार्च में "आईटी से हेल्थकेयर में आमूलचूल बदलाव" विषय पर विचार के पूरी दुनिया के विशेषज्ञों को बुलाया। चार दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए सैम ने कहा था कि सरकार बहुत जल्द हर पंचायत को नेट से जोड़ देगी ( धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,27.8.2010)।
सपने सुहाने
जवाब देंहटाएंछत्तीसगढ़ की राजधानी में पूरा सेटअप लगा है लेकिन काम नहीं कर रहा है ।