हाईवे और व्यस्त सड़कों के किनारे आशियाना बनाकर रहने वालों के स्वास्थ्य को लेकर हुआ ताजा अध्ययन ऐसे लोगों के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं। अध्ययन के अनुसार, भारी यातायात वाली सड़कों के आसपास रहने वाले लोगों की मौत हार्ट अटैक से ज्यादा होती है। भारी वाहनों के शोरशराबे और प्रदूषण से व्यस्त मार्गों के आसपास रहने वाले लोगों की नींद भी पूरी नहीं होती है। साथ ही, वायुमंडल में मौजूद बारीक कण से लोग हाईपरटेंशन और उच्च रक्तचाप का शिकार होकर दिल के रोगी हो रहे हैं।
ताजा अध्ययन अमेरिका में किया गया है लेकिन एम्स के हृदय रोग विशेषज्ञ भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि व्यस्त सड़कों के किनारे रहना ज्यादा खतरनाक है। एम्स के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. एके विशोई का कहना है कि टायर उद्योग नैनो पार्टिकल का उपयोग ज्यादा कर रहा है। यह पार्टिकल स्वास्थ्य के लिए काफी घातक होता है। व्यस्त सड़कों पर चलने वाले भारी वाहनों के टायर घिसने से बारिक कण निकलते हैं जो सांस के जरिए लोगों के शरीर में पहुंचकर दिल पर अटैक करता है। कंक्रीट से बनी सड़कों पर वाहनों के टायर सबसे ज्यादा घिसते हैं जिससे सस्पेंडेड पार्टिकल वायुमंडल में काफी उपस्थित होते हैं। वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन का कहना है कि व्यस्त सड़कों के आसपास बसी आवासीय कालोनियां व्यवसायिक कालोनियों में बदल जाती हैं। जैसे ही व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ती हैं वैसे ही वाहनों का आना जाना बढ़ जाता है। वाहनों की भीड़ बढऩे के साथ ही प्रदूषण का बढऩा स्वाभाविक है। वाहनों का आवागमन ज्यादा होने से लोग रात को भी ठीक से नहीं सो पाते हैं और उच्च रक्तचाप, तनाव, हाईपरटेंशन का शिकार होकर दिल के रोगी बन जाते हैं।
सिएटल स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के प्रो. गेल ए वैन नॉरमैन ने ताजा अध्ययनों में पाया है कि अतिव्यस्त मार्गों के आसपास रहने वाले लोगों की मौत हार्ट अटैक से ज्यादा होती है। हाईवे हो या शहर के बीचोंबीच गुजरने वाली सड़कें सभी मार्गों पर न सिर्फ हल्के वाहनों की संख्या ज्यादा होती है बल्कि भारी वाहनों का दबाव ज्यादा रहता है। 45 से 74 वर्ष के 4,494 लोगों पर वर्ष 2010 से किए गए अध्ययनों से यह बात सामने आई कि जो लोग मुख्य सड़कों से जितने दूर थे उनके कंप्यूटेड टोमोग्राफी यानी सीटी में कोरनरी आर्टरी कैलकुलेशन (सीएसी) कम आया। इसके लिए 50, 100, 200 और 300 मीटर की दूरी पर रहने वाले लोगों के दिल की समस्याओं की जांच की गई। 50 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों में सीएसी 10.2 फीसदी आया जबकि 300 मीटर के दायरे में रहने वाले लोगों में यह एक फीसदी से भी कम आया(अमर उजाला,दिल्ली,30.8.2010)।
ज्ञानवर्धक आलेख, आभार
जवाब देंहटाएंलोगों को आप निरंतर अच्छी सूचनाएं प्रदान करने का पुनीत कार्य कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंआजकल तो ड्राइव करना भी कम खतरनाक नहीं रहा ।
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