
नेत्र चिकित्सकों के देश के सबसे ब़ड़े संगठन "आल इंडिया आफ थैलमॉलॉजिकल सोसाइटी" के अध्यक्ष एवं एम्स में रेटिना के जाने माने विशेषज्ञ डॉ. राजवर्धन आजाद और नेत्र अस्पतालों के समूह "सेंटर फॉर साइट" के चेयरमैन तथा "इंट्रा ओक्युलर इंप्लांट एंड रिफ्रेक्टिव सोसाइटी" के सचिव डॉ. महीपाल सचदेवा ने अपने सदस्यों से टीपीए के साथ समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने का आह्वान किया है।
डॉ. राजवर्धन आजाद ने कहा कि खर्च में इस तरह मनमानी कटौती होगी तो फिर आंखों की सर्जरी की गुणवत्ता में भी छे़ड़छा़ड़ तय है।
इससे आंखों में संक्रमण के जोखिम में इजाफा होगा। संवाददाता सम्मेलन में सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर आई सर्जन डॉ. हरबंश लाल, विजन आई सेंटर के निदेशक डॉ. एके ग्रोवर, एम्स के पूर्व नेत्र चिकित्सक डॉ. ललित वर्मा, भारतीय आई हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ. एस. भारती, डॉ. नौसीर श्रॉफ सहित दिल्ली के अनेकों नेत्र विशेषज्ञ मौजूद थे।
सभी ने टीपीए संगठनों से नेत्र विशेषज्ञों के साथ बातचीत के बाद विवेकपूर्ण कीमतें तय करने की अपील की। उन्होंने कहा कि टीपीए संगठन अच्छी गुणवत्ता के इलाज के मरीजों के अधिकार को नहीं छीन सकते। मरीजों पर बिना वजह मनमानी शर्तें थोपी जा रही हैं, जो आंखों के इलाज के लिहाज से तो कतई ठीक नहीं है। भारत में नेत्र चिकित्सक मरीज को विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा मुहैया करा रहे हैं(नई दुनिया,दिल्ली,26.8.2010)।

पता नहीं......अब तो ईमानदारी भरी पहल पर भी शक होने लगा है।
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