मंगलवार, 24 अगस्त 2010

मच्छरजनित बीमारियों की चेतावनी तकनीक विकसित

अक्सर हमारा सरकारी महकमा तब सक्रिय होता है, जब महामारी अपने पांव पूरी तरह पसार लेती है, लेकिन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का दावा है कि अब वह मच्छरों से होने वाली महामारियों के बारे में पहले से चेतावनी दे सकता है। यह काम जिले स्तर पर ही नहीं, बल्कि छोटे से छोटे गांव के स्तर पर भी किया जा सकता है। आईसीएमआर के महानिदेशक विश्व मोहन कटोच बताते हैं कि महामारी के प्रकोप की जगह और उसकी तीव्रता के बारे में पक्की जानकारी देने के लिए इसके डिब्रूगढ़ स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा शोध केंद्र ने अर्ली वार्निग फॉर एंडेमिक (क्षेत्र विशेष में बड़े पैमाने पर फैलने वाली महामारी से पहले उसकी चेतावनी) का मॉडल विकसित कर लिया है। इसकी शुरुआत दिमागी बुखार (जापानी इंसेफलाइटिस) के सफल पूर्वानुमान से हुई है। इस बीमारी के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में शामिल डिब्रूगढ़ में पिछले चार साल से गांव के स्तर पर सफल पूर्वानुमान किए गए हैं। वह बताते हैं कि अब इसे असम के दूसरे जिलों और उत्तर प्रदेश में भी लागू करने को कहा जा रहा है। इस चेतावनी तंत्र को विकसित करने वाली टीम के प्रमुख जे. महंत बताते हैं कि इसका उपयोग मलेरिया और इसी तरह की दूसरी बीमारियों के पूर्वानुमान के लिए भी किया जा सकता है। हालांकि, इस चेतावनी मॉडल को दूसरे किसी इलाके में कामयाबी से प्रयोग में लाने के लिए एक साल का समय लगेगा। उससे पहले उस भूभाग में कितने हिस्से में हरियाली है, कितने इलाके में जलभराव होता है, कितने जलाशय हैं और खेती के लिए किस तरीके का कितना इस्तेमाल होता है, आदि के आंकड़े जुटाने होंगे। यह काम इसरो की मदद से ली गई सेटेलाइट तस्वीरों से किया जा सकता है। एक बार यह आंकड़े तैयार हो जाने के बाद इसे लंबे समय तक सिर्फ थोड़े-बहुत बदलाव के साथ उपयोग किया जा सकता है। दिमागी बुखार का प्रकोप असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में लगभग हर साल आता है। सरकारी आंकड़ों बताते हैं कि हर साल सिर्फ इसी बीमारी की वजह से 700 से 1,000 लोगों की जान चली जाती है। देश में स्वाइन फ्लू से मरने वालों का आंकड़ा दो हजार पार नई दिल्ली : मानसून के आने के बाद से देश में स्वाइन फ्लू वायरस के संक्रमण में तेजी आई है और पिछले एक सप्ताह में 79 रोगियों की मौत होने के साथ ही इससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 2024 पहुंच गई है। इस अवधि के दौरान 1335 नए संदिग्ध मामलों की पुष्टि हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पिछले एक सप्ताह यानि 16 से 22 अगस्त के दौरान 79 रोगियों की मौत के साथ ही इससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 2024 पहुंच गई है। इस अवधि के दौरान 1335 नए संदिग्ध मामलों की पुष्टि हुई है(मुकेश केजरीवाल,दैनिक जागरण,दिल्ली,24.8.2010)।

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