जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अब बिना ऑपरेशन इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी तकनीक से एन्यूरिज्म का इलाज हो सकेगा। पहले एन्यूरिज्म के कारण ब्रेन हैमरेज होने पर इलाज के दौरान सिर को पूरा खोला जाता था। जिसके कारण जोखिम के साथ ब्लड की भी आवश्यकता पड़ती थी। नई तकनीक में पैर की खून की धमनी के माध्यम से नलियों व तारों में एन्यूरिज्म में कॉइल्स डालकर इलाज किया जाता है।
वर्तमान में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (नई दिल्ली), पीजीआई चंडीगढ़, केईएम हॉस्पिटल मुंबई, बैंगलुरु और हैदराबाद के अस्पतालों में इंटरवेंशनल तकनीक से इलाज की सुविधा उपलब्ध है। न्यूरोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ.आर.एस. मित्तल ने बताया कि एसएमएस अस्पताल में पहली बार दौसा की 35 वर्षीय शांतिदेवी का इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी तकनीक से इलाज हुआ। मरीज को अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज कर दिया गया और ज्यादा ब्लड की जरूरत नहीं भी पड़ी। इसमें खर्चा एक से सवा लाख रुपए आता है, जबकि बाहर इलाज कराने पर दो लाख से अधिक देने पड़ते हैं।
क्या है इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी
जांघ के पास मुख्य धमनी (फीमोरल आर्टरी) के एक ट्यूब को दिमाग को जाने वाली खून की नसों में पहुंचाया जाता है। दवा डालकर एन्यूरिज्म के पास की नली को एन्यूरिज्म के अंदर पहुंचा दिया जाता है। इस बारीक नली के जरिए जीडीसी कॉइल्स डालकर मुंह बंदकर दिया जाता है।
क्या है एन्यूरिज्म
डॉक्टरों के अनुसार जब दिल से खून निकलकर आर्टिज के सहारे शरीर के अन्य भागों में जाता है, तो ब्लड का दबाव अधिक होता है। जिससे कई बार रक्त आर्टिज में फैल जाने पर एन्यूरिज्म की शक्ल ले लेता है। यही एन्यूरिज्म कमजोर होने के बाद फटने का डर रहता है। जिसके कारण हाइपरटेंशन के मरीज को ब्रेन हैमरेज तक हो सकता है।
दो बार ब्रेन हैमरेज
लवाण (दौसा ) की 35 वर्षीय शांतिदेवी को दो बार ब्रेन हैमरेज हो चुका है। परिजन के अनुसार शांतिदेवी को सिर में तेज दर्द होने के साथ बेहोश होने पर पहले न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कराया गया था। डॉ. मित्तल ने एंजियोग्राफी कर ऑपरेशन कराने की सलाह दी, जबकि परिवारजन बिना ऑपरेशन इलाज कराना चाहते थे। इस पर इंटरवेंशनल न्यूरोलोजिस्ट डॉ.त्रिलोचन श्रीवास्तव और दिल्ली स्थित मैक्स अस्पताल के निदेशक डॉ.शाकिर हुसैन आदि ने शांतिदेवी का इलाज किया(दैनिक भास्कर,जयपुर,9.8.2010)।
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