डेढ़ महीने की खींचतान के बाद आखिरकार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियां आज से निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा देने को राजी हो गई हैं। इसका मतलब यह हुआ कि मेडिक्लेम पॉलिसीधारक पहले की तरह बिना नकदी का भुगतान किए अस्पताल में इलाज करा सकेंगे। उनके इलाज पर खर्च का भुगतान बीमा कंपनियां करेंगी। यह सुविधा फिर शुरू होने से देश के 8 करोड़ से ज्यादा स्वास्थ्य बीमाधारकों को राहत मिलेगी। हालांकि अब अस्पतालों की कैटेगरी के हिसाब से उनकी शुल्क दरें अलग-अलग होंगी। माना जा रहा है कि निजी अस्पतालों को ए, बी और सी तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा और उसी आधार पर उन्हें बीमा कंपनियों की ओर से भुगतान किया जाएगा। इसके चलते अपोलो, मैक्स, मेडिसिटी, फोर्टिस और गंगाराम जैसे बड़े अस्पतालों में इलाज की सुविधा चाहने वाले पॉलिकीधारकों से ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है। इन अस्पतालों को होने वाले भुगतान में दिल्ली में स्थित गंगाराम अस्पताल की दरों को मानक माना जाएगा। यानी गंगाराम में जिस बीमारी के इलाज की जो दरें होंगी, उसी दर पर फोर्टिस या अपोलो जैसे महंगे अस्पताल को भुगतान किया जाएगा। जबकि रॉकलैंड, सेंट स्टीफन, होली फैमिली, बत्रा जैसे राजधानी के अन्य अस्पतालों के लिए प्रीमियम की दरें कम होंगी। अस्पतालों का वर्गीकरण बुनियादी और इलाज की सुविधाओं के आधार पर किया जाएगा। निजी अस्पताल और थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर मिलकर अस्पतालों के वर्गीकरण पर काम कर रहे हैं। टीपीए ही बीमित व्यक्ति और बीमा कंपनी के बीच सुविधा प्रदाता के तौर पर काम करता है। निजी अस्पतालों ने मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत इलाज के लिए अपने पैकेजों की दरें टीपीए को सौंप दी हैं। मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट के एमडी परवेज अहमद ने बताया कि पैकेज दरों पर सहमति बनाने का मसला अंतिम चरण में है। कैशलेस इलाज की सुविधा शुक्रवार से अंतरिम आधार पर बहाल हो जाएगी(दैनिक जागरण,दिल्ली,20.8.2010)।
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