शनिवार, 14 अगस्त 2010

‘एडीनो वायरस’ से आंखों में वायरल

मौसम में नमी के साथ ही इन दिनों कई बीमारियों के वायरस भी सक्रिय हो रहे हैं। इन दिनों नेत्र विशेषज्ञों के पास आईफ्लू से संक्रमित रोगियों की संख्या काफी बढ़ गई है।
एडीनो वायरस विषाणु आंखों में संक्रमण पैदा करके उन्हें लाल कर देता है, जिससे रोगी को कंकर जैसी चुभन, पानी आने, धुंधला दिखने और आंख चिपकने जैसी शिकायत होती है।
आई स्पेशलिस्ट डॉ. शैलेंद्र बिरला के अनुसार, यह वायरस जुलाई से सिंतबर तक ज्यादा फैलता है और रोगी में वायरल आईफ्लू का असर 7 से 10 दिन तक ज्यादा रहता है। इसका सीधा असर आंख की काली पुतली पर होता है। यह वायरल इन्फेक्शन टायफाइड की तरह दो हफ्ते में पूरी तरह ठीक हो जाता है। संक्रमण से बचने के लिए आंखों को ठंडे पानी से धोते रहें।आई फ्लू से संक्रमित बच्चों को स्कूल नहीं भेजें।
गंभीर होने पर काले हीरे में सूजन रेटीना विशेषज्ञ डॉ. विनीता गर्ग के अनुसार, वायरल आईफ्लू गंभीर होने पर काले हीरे की सूजन (आईराइटिस) हो सकती है, इसलिए इसके उपचार के लिए एंटी वायरल आइटमेंट, एंटीबायोटिक, एंटीइंफ्लेमेटरी व लुब्रिकेटिंग ड्रॉप का प्रयोग करें।
प्रजाति बदलता है एडीनो वायरस नेत्र सर्जन डॉ. एसके पांडेय ने बताया कि म्यूटेशन के कारण एडीनो वायरस अपनी प्रजाति बदल लेता है, जिससे एंटीवायरल दवाएं भी काम नहीं कर पाती है। इससे आंख के कॉर्निया पर सूक्ष्म घाव (माइक्रो अल्सर) हो जाते हैं। ऐसे रोगियों को स्कूल, कॉलेज, सिने फ्लेक्स या भीड़ वाले क्षेत्रों में नहीं जाना चाहिए। रोगी को रुमाल व तौलिया व दवा अलग रखना चाहिए।
वायरल बुखार से भी होता है आई फ्लू नेत्र विशेषज्ञ डॉ. महेश पंजाबी ने बताया कि किसी रोगी को वायरल बुखार या सर्दी जुकाम होने पर भी आई फ्लू हो सकता है। बरसात का पानी आंखों में जाने या आद्र्रता बढ़ने से वायरस तेजी से पनपते हैं। आईफ्लू के रोगी को काजल या सूरमा लगाने से बचना चाहिए। टू व्हीलर पर हेलमेट पहनने से आईफ्लू से भी बचाव हो सकता है(दैनिक भास्कर,कोटा,14.8.2010)।

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