बात करना हमेशा कठिन, जटिल से जटिल मामले में राह दिखाने वाला होता है। इसलिए आपसी संबंधों में जब भी कोई संकट दिखे आँख मूँदकर बातचीत का सहारा लें। समस्या खत्म हो जाएगी और तनाव से छुटकारा भी मिलेगा।
यूँ तो बातचीत किसी भी तरह के संबंधों को सहज बनाए रखने, उन्हें रिचार्ज करने के लिए जरूरी होती है; लेकिन अगर रिश्ता पति-पत्नी का हो और दोनों के बीच बेफिक्री से ज्यादा मन-मुटाव पसरा रहता हो तो बहुत ही जल्द पति-पत्नी के रिश्तों में ठंडापन आ जाता है। यदि दोनों कामकाजी हैं तो दोनों में संवाद का सिलसिला भी धीरे-धीरे कम हो जाता है। इसलिए ऐसी स्थिति में वह ठंडापन और ज्यादा बढ़ जाता है। इससे तनाव, अवसाद व नकारात्मक मानसिक परेशानियों के उपजने का खतरा और भी बढ़ जाता है।
आपसी संवाद से न केवल दोनों के बीच आत्मविश्वास पुख्ता होता है, बल्कि इससे आपसी प्यार भी बढ़ता है। अपने दिनभर के क्रियाकलापों व गतिविधियों को आपस में मिल-बैठकर तय करना, उन्हें शेयर करना, एक-दूसरे को सलाह देना, डिस्कशन के दौरान आपसी विचारों का खुलापन इस बात की ओर इशारा करता है कि दोनों के बीच कोई दुराव-छिपाव नहीं है और दोनों एक-दूसरे को लेकर खुले विचारों के हैं। पूरा दिन काम की थकान के बाद पति-पत्नी के बीच यदि दिन भर की गतिविधियों के बारे में थोड़ी-बहुत बातचीत हो जाती है तो यह बातचीत दोनों के मूड को फ्रेश कर देती है। अपने सहकर्मियों के साथ की गतिविधियाँ, अपने भावी प्रोजेक्ट्स के विषय में सलाह जैसी चीजें, आपको लगातार एक-दूसरे से जोड़े रहती है। आपमें नई ऊर्जा भरती है। रात में खाने के दौरान भी बातचीत का सिलसिला शुरू किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखना चाहिए कि इस समय दोनों एक-दूसरे को अप्रिय लगने वाले विषयों या चीजों पर बातचीत करने से बचें, क्योंकि इससे आपसी तनाव दूर होने की बजाय बढ़ भी सकता है। डाइनिंग टेबल पर बातचीत तुरंत खाना परोसने के साथ ही शुरू न करें। इसे खाना खाने के दौरान कुछ इस ढंग से शुरू करें,-तुम्हें पता है आज क्या हुआ...? इस तरह की शुरुआत से आप अपनी दिनभर की गतिविधियों से बातचीत का सिलसिला बेहतर ढंग से बनाए रख सकते हैं।
पति-पत्नी में यदि एक को बातचीत में सिर्फ हाँ या न कहने की आदत है तो जरूरी नहीं है कि दूसरा कम बात को खत्म करके तुरंत दूसरी बात या फिर तीसरी बात का सिलसिला लगातार बनाए रखे। इससे दोनों के बीच बेहतर संवाद की स्थिति नहीं बन पाती है। खाने के समय आपसी संवाद के अलावा आप दोनों अपनी अन्य गतिविधियों में भी बातों का सिलसिला बनाए रखने के लिए समय निकालें। टीवी प्रोग्राम देखने के विषय में भी दोनों अपनी पसंद का प्रोग्राम एकसाथ मिलकर देखें। अपने जीवनसाथी के साथ लंबे समय तक बेहतर संवाद जारी रखने के लिए पेश हैं कुछ उपयोगी टिप्स :-
*सुबह-जल्दी उठें। संभव हो तो रसोई में मिल-जुलकर काम करें।
*सब्जी काटने में पार्टनर से ली गई मदद बातचीत का सिलसिला बरकरार रखने का बेहतरीन जरिया है।
* बातचीत के दौरान दोनों एक-दूसरे को पसंदीदा जोक सुनाएँ।
*यदि आपका पार्टनर आपकी किसी बात को सुनकर सीरियस हो गया हो तो इस बारे में गंभीर होकर सोचने की जरूरत है।
* एक-दूसरे की इच्छाओं, अपेक्षाओं का सम्मान करें।
*अपने पार्टनर से पूछे बिना कोई बड़ा निर्णय न लें।
*अपनी भावी योजनाओं के विषय में बातचीत करते रहें।
*अकस्मात कोई निर्णय लेने की बजाए धीरे-धीरे स्थितियों का खुलासा करें इससे आपसी संबंधी की डोर मजबूत होती है(नायिका,नई दुनिया,21 जुलाई,2010)।
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