संक्रामक रोगों पर दिशा निर्देश जारी करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की विश्वसनीयता एक बार फिर सवालों के घेरे में है। पिछले साल आरोप लगा था कि संगठन ने दवा कंपनियों के दबाव में स्वाइन फ्लू के खतरे को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया। अब बच्चों को होने वाले हिब फ्लू ( हीमोफाइलस इनफ्लूएंजा बी) के मामले में भी संगठन पर यही आरोप लगा है। सरकारी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के जर्नल इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के ताजा अंक के संपादकीय में हिब फ्लू को लेकर डब्ल्यूएचओ को कटघरे में खड़ा किया गया है। सूचना के अधिकार के तहत आईसीएमआर से निकाले गए आंकड़े से पोल खुली है कि भारत में हिब बी के खतरे को काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है।
लेकिन आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. वीएम कटोच ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि जर्नल का संपादकीय किसी वैज्ञानिक का निजी विचार है। गरीब बच्चों के लिए हिब फ्लू के टीके को रुटीन टीकाकरण कार्यक्रमों में शामिल करने का दिशा-निर्देश सही है। संपादकीय के अनुसार एशिया में हिब टीके को जरूरी साबित करने के लिए वैज्ञानिक समुदाय को समझाने की कई बार कोशिशें की गई, लेकिन सब बेकार गईं। तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह दिशा निर्देश जारी किया है। हिब फ्लू बच्चों में मेनिंग्जाइटिस (दिमागी संक्रमण) और न्यूमोनिया के रूप में सामने आता है।
संपादकीय की शुरुआत बेहद कड़े शब्दों में की गई है। लिखा है कि स्वाइन फ्लू का हौवा खड़ा करने में दवा कंपनियों से प्रभावित स्वास्थ्य वैज्ञानिकों एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाओं की भूमिका ने पूरी दुनिया में खलबली मचा दी है। जब भरोसेमंद सलाहकार ही बेईमानी पर उतर आएं तो फिर हानि की संभावना खासी बढ़ जाती है। संपादकीय में विश्व स्वास्थ्य संगठन के किसी भी दिशा निर्देश पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करने की सलाह दी गई है। पिछले साल आरोप लगा कि दवा कंपनियां मौसमी फ्लू से भी कम खतरनाक स्वाइन फ्लू की दवा और टीके बेचना चाहती थी, इसलिए डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य वैज्ञानिकों को खरीद कर स्वाइन फ्लू का हौवा खड़ा कराया गया। इस आरोप ने डब्ल्यूएचओ की चूलें हिला दीं। आरोप इतना गंभीर था कि संगठन को जांच बिठानी पड़ी(धनंजय,नई दुनिया,दिल्ली,28.7.2010)।
बर्ड फ्लू के लिए भी इन लोगों ने ऐसे ही बवाल मचाया था उस फ्लू से एक भी इंसानी मौत तो नहीं हुई मारी गई मुर्गिया और फायदा उठाया ऐसे ही दावा कंम्पनियो ने पर इसे रोका कैसे जाये क्या हम कुछ भी नहीं कर सकते |
जवाब देंहटाएं