स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के ताजा दौर में इसका सबसे ज्यादा शिकार गर्भवती महिलाएं हो रही हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक आकलन के मुताबिक हाल के दिनों में इस वायरस के संक्रमण के बाद मारे गए लोगों में लगभग 25 फीसदी सिर्फ गर्भवती महिलाएं ही हैं। स्वाइन फ्लू के ताजा दौर में इसका सबसे ज्यादा प्रभाव महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में देखा जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में भी इसके मामलों की तादाद बढ़ती जा रही है। पिछले हफ्ते इस बीमारी से महाराष्ट्र में 11 और केरल में 8 लोगों की मौत के अलावा दिल्ली और गुजरात में भी एक-एक मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक पिछले दिनों हुई मौतों में सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओं की ही है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इस महामारी के टीके और दवा दोनों में से किसी का भी गर्भवती महिलाओं पर परीक्षण नहीं किया गया है। इसलिए आम तौर पर डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को टीके लगाने की सलाह नहीं देते। इसी तरह ऐसे मामलों में इसकी दवा ओसेल्टामिवीर देने में भी डॉक्टर अतिरिक्त एहतियात बरतते हैं। जहां दूसरे मामलों में तेज बुखार और दूसरे लक्षण पाए जाने पर लैब जांच में पुष्टि होने से पहले भी ओसेल्टामिवीर देना शुरू कर दिया जाता है। ऐसे मामलों में दवा के कुप्रभावों को देखते हुए डॉक्टर दो से तीन दिन इंतजार करते हैं। यही देरी इन मामलों में जानलेवा साबित हो जाती है। अब तक भारत में 34,115 लोगों को एच1एन1 संक्रमण होने की पुष्टि हो चुकी है जबकि 1,646 जानें जा चुकी हैं(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,21.7.2010)।
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