गांवों की बात छोडि़ए,झोला छाप डॉक्टरों से दिल्ली और मुंबई जैसे महानगर भी अछूते नहीं हैं। राजधानी दिल्ली में करीब 30हजार फर्जी डॉक्टर हैं तो मुंबई में 15हजार। यह खुलासा हुआ है गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसल्टेंट के एक सर्वे में। सर्वे के अनुसार देश में एलोपैथी की प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर हैं साढ़े पांच लाख और झोला छाप पूरे 15लाख। यानी एक प्रशिक्षित डॉक्टर पर तीन फर्जी। सर्वे में यह भी पता चला है कि झोला छाप डॉक्टर सिर्फ सर्दी-जुकाम का ही इलाज नहीं करते, बल्कि इन्हें डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे बड़े मामलों में हाथ आजमाते देखा गया है। नतीजा ये होता है कि गलत इलाज के कारण अक्सर ऐसे लोग दम तोड़ देते हैं, जिन्हें आसानी से बचाया जा सकता था। इस तरह अगर एक फर्जी डॉक्टर एक साल में एक जिंदगी भी ले लेता है तो सालाना 15लाख लोगों की मौत इनके हाथों हो जाती है,लेकिन सरकारी ढांचे का यह आलम है कि इसका इलाज तो दूर अब तक मर्ज को समझने की कोशिश भी नहीं शुरू हुई है। यही नहीं देश में फर्जी डॉक्टरों की मौजूदगी को लेकर अध्ययन की कोई योजना तक नहीं बनी है। फर्जी तो छोडि़ए, सरकारी दस्तावेजों में तो इस बात का भी हिसाब नहीं कि इस समय देश में प्रशिक्षित डॉक्टर कितने हैं। एलोपैथी डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन करने वाली एमसीआई और स्वास्थ्य मंत्रालय अब तक मान रहे हैं कि देश में एमबीबीएस और स्पेशलिस्ट समेत कुल 7.63डॉक्टर हैं,लेकिन विशेषज्ञों का आकलन है कि एमसीआई के रजिस्टर में दर्ज इन आंकड़ों में दो लाख से ज्यादा नाम ऐसे हैं जो इस समय देश में सक्रिय नहीं हैं। कितने डॉक्टर विदेश चले गए, दूसरे पेशों में छलांग मार गये या फिर उम्र अथवा किसी और वजह से डॉक्टरी छोड़ दी, इसकी गिनती हुई ही नहीं। अगर इनकी गिनती को हटा दिया जाए तो इस समय कार्यरत डाक्टरों की वास्तविक संख्या सिर्फ साढ़े पांच लाख के करीब ही होगी(मुकेश केजरीवाल,दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,1.7.2010)।
देखा ! दिल्ली किसी भी मामलें में मुबई से कम नहीं :)
जवाब देंहटाएंइन्हें परिवार नियोजन विभाग से पगार भी मिलनी चाहिये...उन्हीं का काम तो सरअंजाम दे रहे हैं ये
we are on the edge
जवाब देंहटाएंयानी सबके खाने पीने की व्यवस्था है।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?