मंगलवार, 15 जून 2010

समय से पहले जवान हो रही हैं लड़कियां

वैज्ञानिकों का दावा है कि लड़कियां अब 11 साल की बजाय 9 साल की उम्र में ही यौवन की दहलीज को छू रही हैं। इसका कारण मोटापा या खाद्य पदार्थो पर पड़ता रासायनिक असर हो सकता है। ‘द संडे टाइम्स’ के मुताबिक एक हजार लड़कियों पर हुए शोध में पता चला है कि उनके वक्ष का विकास औसतन नौ वर्ष 10 महीने की आयु में ही होने लगता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि कम उम्र की लड़कियां यौन परिवर्तन से तालमेल नहीं बैठा पातीं, क्योंकि इस दौरान वे प्राथमिक स्कूलों में पढ़ रही होती हैं। ऐसे परिवर्तनों से उनमें दीर्घकाल में स्तन कैंसर विकसित होने का खतरा हो सकता है। कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के एंडर्स जूल ने कहा, हम यह जानकर हैरान हैं कि महज 15 वर्ष की अवधि में इस तरह का बदलाव आ गया। हमें इसके लिए जिम्मेदार कारणों को लेकर चिंतित होना चाहिए। ये स्पष्ट संकेत हैं कि हमारे बच्चों को कोई चीज प्रभावित कर रही है, फिर चाहे वह जंक फूड हो, पर्यावरण में घुले रसायन हों या शारीरिक श्रम की कमी हो। शोधकर्ता अब लड़कियों के रक्त और मूत्र के नमूने ले रहे हैं ताकि पता चल सके कि क्या कम उम्र में परिपक्वता और ‘बाइसफेनोल ए’ के बीच कोई संबंध है। ‘बाइसफेनोल ए’ टीन के डिब्बों और दूध पिलाने में इस्तेमाल होने वाली बोतलों में पाया जाने वाला प्लास्टिक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जल्द यौवनारंभ के पीछे एक और कारक आहार हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो लौकी, पपीता, केला, तरबूज व सब्जियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने और कम समय में फलों को पकाने के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है। इन दवाओं में पोरेक्स, राकेट, पेनेलफास व आक्सीटाक्सिन का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है।डाक्टरों के अनुसार, आक्सीटाक्सिन नामक जिस दवा का प्रयोग सब्जियों में किया जा रहा है, उसका उपयोग जानवरों में सेक्स की इच्छा पैदा करने के लिए किया जाता है। इसी के सेवन का कारण है कि आजकल के बच्चे समय से पहले परिपक्व हो जा रहे हैं। इन हानिकारक दवाओं के प्रयोग से कृषि योग्य भूमि की उर्वरा शक्ति भी धीरे-धीरे क्षीण हो जाती है।आज की पीढ़ी के बच्चे अपनी पिछली पीढ़ियों के मुकाबले ज्यादा खा रहे हैं जिससे वे मोटापे के शिकार हो रहे हैं। यह अन्य कारणों के लिए भी जिम्मेदार है(Dainik Bhaskar,14.6.2010)।

1 टिप्पणी:

  1. नमस्ते,

    आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।

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