अमेरिका में प्राचीन भारतीय विद्या योग के आसनों के करीब 150 पेटेंट, दो हजार ट्रेडमार्क और 150 कॉपीराइट करा लिए गए हैं। इससे सतर्क हुई भारत सरकार अब आसनों की वीडियोग्राफी करा रही है जिन्हें अमेरिकी और यूरोप के पेटेंट कार्यालयों को मुहैया कराया जाएगा ताकि और नुकसान रोका जा सके। वर्ष 2005-2006 में हुए पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (टीकेडीएल) के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, अमेरिका में उस समय तक योग पर आधारित करीब 135 पेटेंट कराए जा चुके थे। अब इनकी संख्या 150 से ज्यादा हो सकती है। टीकेडीएल के निदेशक डॉ. वी. के. गुप्ता बताते हैं, यह काफी चिंताजनक है कि अमेरिका में पांच वर्ष पहले ही योगासानों पर 135 पेटेंट कराए जा चुके थे। अब इनकी संख्या 150 से अधिक होगी। योगासनों पर ही दो हजार ट्रेडमार्क और 150 कॉपीराइट भी हो चुके हैं। योग विद्या भारत के पारंपरिक और प्राचीन ज्ञान पर आधारित है और अन्य देशों में इसके पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉपीराइट होना दुर्भाग्यपूर्ण है। योगासनों का सबसे पहले उल्लेख पतंजलि योग सूत्र में मिलता है जिसकी रचना दो हजार वर्ष पहले हुई थी। अब भारत के सामने चुनौती यह है कि हम हमारे ज्ञान को दूसरे देशों-कंपनियों की ओर से पेटेंट कराए जाने के इस चलन को मजबूती से रोकें। अब करीब 900 योगासनों की वीडियोग्राफी तैयार कराई जा रही है। इसे डिजिटल स्वरूप दिया जाएगा ताकि भविष्य में इनकी नकल को रोका जा सके। टीकेडीएल में आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध विज्ञान पर काफी काम हो चुका है। अब योग पर ध्यान केंद्रित किया है ताकि भविष्य में योगासनों को दूसरे देशों में कंपनियों द्वारा पेटेंट कराने की कोशिशों को नाकाम कर सकें। बताया जाता है कि अमेरिकी और यूरोपीय पेटेंट कार्यालयों में योगासनों पर पेटेंट कराने के 250 दावे अब भी लंबित हैं। टीकेडीएल जो 900 योगासनों की वीडियोग्राफी कर उन्हें डिजिटल स्वरूप प्रदान कर रहा है, उनमें दो हजार वर्ष पुराने पतंजलि योग सूत्र, भगवद गीता, अष्टांग हृदय, हठ प्रदीपिका, घेरंड संहिता, शिव संहिता और सांद्र सत्कर्म जैसे ग्रंथों से संदर्भ लिए गए हैं। यह पूछने पर कि वीडियोग्राफी करने और अमेरिकी तथा यूरोपीय पेटेंट कार्यालयों तक इसकी पहुंच मुहैया कराने के बाद क्या भारत पहले से पेटेंट हो चुके योगासनों को निरस्त करने के प्रयास करेगा, गुप्ता ने कहा, इसके लिए हमें कानूनी और आर्थिक पहलू पर गौर करना होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट के मुकदमे लड़ना इतना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि फिर भी भारत की ओर से पूरी कोशिश होगी। साथ ही सबसे ज्यादा जोर इस बात पर केंद्रित किया जाएगा कि योगासनों पर भविष्य में पेटेंट कराने की कोशिशें नहीं हों। वर्ष 2005-06 के ही अनुमान के मुताबिक, पश्चिमी देशों में तब योग विद्या से जुड़ा कारोबार अरबों डॉलर का था। अमेरिका में करीब 1.65 करोड़ लोग योगाभ्यास करते हैं और यह जनता हर वर्ष योग पर तीन अरब डॉलर का खर्च करती है(दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संसकरण,28.6.2010) )।
आश्चर्य का विषय है। बाबा रामदेव क्या कर रहे हैं? उन्हें इस दिशा में आगे आना चाहिए।
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