मंगलवार, 18 मई 2010

नमक

मरकस 9:50 में प्रभु यीशु कहते हैं कि अपने में नमक रखो और आपस में मेल-मिलाप से रहो। नमक-मिर्च लगाने वाला मुहावरा आपने कई बार प्रयोग भी किया होगा। प्रेमचंद की कहानी नमक का दारोगा आपने पढी होगी। नमक हराम और नमक हलाल जैसी फिल्में अगर आपने देखी न हों तो सुना ज़रूर होगा। नमक का हमारे जीवन में इतना महत्व है कि लोग नमक का नाम लेकर कसमें खाते रहे हैं और यह माना जाता है कि जो आपका नमक खा ले वह आपके साथ गद्दारी नहीं कर सकता । शोले का कालिया भी अपनी जान बचाने के लिए गब्बर को ध्यान दिलाता है,"मैंने आपका नमक खाया है हुजूर!" ज़बां पे लागा लागा रे नमक इश्क़ का गीत भी ध्यान ही होगा। अपने भारतीय व्यंजन की एक प्रमुख विशेषता है-अचार और इसमें तेल-मिर्च के अलावा नमक का ही तो सारा खेल है। लेकिन सावधान हो जाइए। नमक से इश्क़ बीमारियों का कारण बन सकता है। नमक के बगैर जीवन बेस्वाद हो सकता है लेकिन नमक के प्रति बढ़ता चटोरापन हमें उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और कैं सर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार बना सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा समय में चिप्स,जंक फूड, अचार, पापड़ और भुजिया के बढ़ते सेवन के कारण औसत भारतीय रोजाना 20 ग्राम से अधिक नमक ग्रहण कर रहे हैं जबकि हमें अपने शरीर में तरल के संतुलन को बनाये रखने के लिये केवल तीन से पांच ग्राम अथवा एक चम्मच नमक की दरकार होती है। दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग चिकित्सक डॉ.के. के. सक्सेना कहते है कि नमक के अधिक सेवन का उच्च रक्त चाप से गहरा संबंध पाया गया है1 नमक में मौजूदा सोडियम से ब्लड प्रेशर बढ़ता है जिससे हृदय वाहिका, कार्डियोवैस्कुलर रोगों और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ. सक्सेना का सुझाव है कि उच्च रक्त चाप से ग्रस्त महिला,पुरूष अगर अपनी जीवन शैली में बदलाव करें तो वे हृदय रोगों के खतरे को काफी कम कर सकते हैं। अपने स्वभाव एवं व्यवहर से सुधार लाकर शारीरिक गतिविधियों में वृद्धि करके सही खान-पान रखकर और रक्त चाप घटाने की दवाइयों का सेवन करके हृदय रोगों के खतरे का कम किया जा सकता हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सभी तरह के स्ट्रोक के 62 प्रतिशत मामलों तथा हृदय रोगों के 49 प्रतिशत मामलों का संबंध उच्च रक्तचाप से हैं। उच्च रक्त चाप के दस मरीजों में से तीन की बीमारी का कारण नमक का अधिक सेवन होता हैं। अधिक नमक खाने के कारण दुनिया भर में हर साल 70 लाख मौंते होती हैं। प्राचीन काल से ही नमक को जीवन के लिये अमूल्य माना जाता रहा है। मगर इसकी मात्रा का संतुलित होना ज़रूरी है। आहार विशेषज्ञ डा. पल्लवी वैश्व का कहना है कि शरीर में नमक की कमी होने से थकान, जी मिचलाने, चक्कर आने और बेहोशी जैसी समस्यायें आ सकती हैं और गंभीर अवस्था में व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। यहीं नहीं, ज्यादा नमक खाने से कैंसर और किडनी में पथरी जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। दरअसल,अधिक नमक खाने से शरीर हड्डियों से अधिक कैल्शियम खींचता हैं जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। छह देशों में एक लाख 75 हजार लोगों पर किये गये 13 अध्ययनों के विश्लेषण से पता चलता है कि रोजाना पांच ग्राम अधिक नमक खाने के कारण स्ट्रोक का खतरा 23 प्रतिशत और हृदय वाहिका रोग का खतरा 17 प्रतिशत बढ़ता है। आज दुनिया में नमक की दैनिक खुराक 9-12 ग्राम प्रतिव्यक्ति है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाव के अनुसार ये एक चाय के चम्मच यानी, 5-6 ग्राम होना चाहिए । हाल के साक्ष्य बताते हैं कि इसकी आहार मात्रा प्रति दिन 2-3 ग्राम ही होनी चाहिए ।

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