सोमवार, 10 मई 2010

कमीने की प्रियंका,कोडरमा की निरूपमा और कोख का अनचाहा

फिल्म कमीने के पहले ही दृश्य में,प्रियंका चोपड़ा इठलाती हुई शाहिद से कहती है,"मैं होम साइंस की टॉपर हूँ"। दरअसल,प्रियंका शारीरिक संबंध की इच्छुक रहती है मगर शाहिद कंडोम ढूंढ रहे होते हैं। प्रियंका को विश्वास है कि उसकी गिनती गलत नहीं जाएगी। बाद के एक दृश्य में वह कहती है कि उसे तीसरी बार गर्भपात कराना पडा है।
इन दिनों निरुपमा पाठक की भी खूब चर्चा है। एम्स के हवाले से जारी खबरों में कहा जा रहा है कि उसकी मौत आत्महत्या से हुई है। निरुपमा अब नहीं हैं। उन्होंने आत्महत्या की हो या उनकी हत्या की गई हो,इतना पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि उनकी मौत का कारण उनका तीन महीने के गर्भ से होना था। बिंदास बॉलीवुड में जब नीना गुप्ता को अपनी बेटी के पिता का नाम सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं पड़ी,तो फिर झारखंड की महिला की क्या बिसात। यह बात भी विश्वास से कही जा सकती है कि स्वयं निरुपमा ने भी यह तो नहीं चाहा होगा कि वे बिन-ब्याही मां कहलाएं। ऐसा लगता है कि निरुपमा से भी प्रियंका जैसी कोई "चूक" हुई। वास्तव में,गर्भाधान को लेकर कुछ भ्रांतियां हैं जिनके कारण पढे-लिखे भी गच्चा खा जाते हैं। इन भ्रांतियों की असलियत जानना ज़रूरी है। एक मिथक यह है कि स्खलन के पूर्व, योनि से शिश्न निकाल लेने पर गर्भधारण नहीं होता अथवा यह कि इजैकुलेशन न होने पर गर्भ नहीं ठहरता। वास्तविकता इसके उलट है। वस्तुतः,पुरुष के उत्तेजित होने पर,ऑर्गेज्म पर पहुंचने से पहले ही, उसके मूत्रमार्ग से एक चिकना द्रव निकलता है जिसके शुक्राणु गर्भधारण करा सकते हैं। एक ही स्पर्म एग को फर्टाइल करने के लिए काफी होता है। अनुमान है कि स्खलन के समय 3000 लाख शुक्राणु बाहर आते हैं और स्खलन के पूर्व निकलने वाले द्रव में दसवें हिस्से के बराबर अर्थात 300 लाख शुक्राणु होते हैं। सेक्स क्या वेबसाईट के एक आलेख के अनुसार,यदि लड़की कोई गर्भनिरोधक प्रयोग नहीं करती है तो पहले साल उसके गर्भधारण की संभावना 90% होती है। दूसरा मिथक यह है कि पीरियड के दौरान शारीरिक संबंध से गर्भ नहीं ठहरता। धारणा है कि पीरियड के पहले जो अण्डोत्सर्ग होता है वह गर्भाशय से बाहर निकल जाते हैं और जब अण्डाणु हैं ही नहीं तो गर्भधारण होगा कैसे। मगर, खासकर किशोरावस्था के दौरान, किशोरवय लड़कियों में पीरियड काफी अनियमित पाए गए हैं। पीरियड अपने नियत चक्र से थोड़ा उपर चढने पर भी उसके अण्डाणु स्थिर रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में यह जानना संभव नहीं है कि अण्डाणु कब मौजूद होगा और कब नहीं। दूसरी तरफ, शुक्राणु योनि में पांच से सात दिन तक जीवित रह सकता हैं। अगला पीरियड आने से पहले महिलाओं की बॉडी में 10वें से लेकर 16वें दिन के बीच अण्डाणु रिलीज होता है। मासिकधर्म नियमित हो, तो भी तनाव,बढती उम्र, वजन में बदलाव, दवाइयों वगैरह के कारण हॉर्मोंस का संतुलन बिगड़ सकता है और इसका असर ओव्यूलेशन पर पड़ता है। जाहिर है,ऐसी स्थिति में मासिकधर्म के दौरान भी गर्भधारण होने की संभावना रहती है। किशोरावस्था में और अनियमित पीरियड वाली महिलाएं अगर ऑव्यूलेशन के कुछ दिन पहले या पीरियड के दौरान सेक्स करती हैं तो गर्भधारण का खतरा बना रहता है। इतना ज़रूर है कि मासिक धर्म अगर एकदम नियमित और नियत तारीख पर हो,तो गर्भधारण की संभावना काफी कम रहती है।
एक अन्य मिथक मॉर्निंग आफ्टर पिल के संबंध में है। माना जाता है कि यह अगले दिन लेना होता है। लेकिन डाक्टर कहते हैं कि अगर पिल का पूरा फायदा चाहती हैं, तो इसे शारीरिक संबंध के तुरंत बाद लेना ही ठीक है क्योंकि पहले 24 घंटों में इसका असर 95 प्रतिशत तक होता है, जबकि 72 घंटों में यह 60 प्रतिशत तक ही सफल देखी गई है।
प्रियंका तो खैर कहानी का हिस्सा थी। पूर्व-निर्धारित पटकथा पर अभिनय कर रही थी। मगर निरूपमा से "चूक" कहां हुई?

7 टिप्‍पणियां:

  1. गर्भ धारण से बचाने और पूर्ण आनंद का उपाय मासिक धर्म के १० दिन तक संयम बरता जाए.

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  2. ज्ञान बर्धक जानकारी। जो संयम नहीं अपना सकते या अपनान नहीं चाहते उन्हें ध्यान से पढकर अमल करना चाहिए ताकि किसी और को आत्महत्या जैसा कदम न उठाना पड़े।
    लेकिन हमारा मानना है कि इस समस्या से बचने के दो ही समाधान हैं एक तो संयम नहीं तो कंडोम अगर ठीक से लगाना आता हो
    और कोई उपाय 100% गारंटी नहीं दे सकता बंसल जी बाला तो विलकुल नहीं

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  3. अब तक देश के लगभग 2 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं जोकि पाक समर्थित आतंकवाद में मरने वालों की संख्या से कई गुना ज़्यादा हैं। ऐसे ही ग़रीबों-वंचितों के दिलों में निराशा और अवसाद और फिर आक्रोश पैदा होता है। समाज शस्त्र के नियम के अनुसार समस्या से ध्यान हटाने के लिए नेता लोग मनोरंजन के साधन बढ़ा देते हैं लेकिन मनोरंजन के साधन आए दिन ऐसी हिंसक फिल्में दिखाते हैं जिनमें जनता का शोषण करने वाले नेताओं की सामूहिक हत्या को समाधान के रूप में पेश किया जाता है। व्यवस्था और कानून से अपना हक़ और इन्साफ़ मिलते न देखकर हिंसा के रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। इनकी समस्या के मूल में जाने के बजाय नेता लोग इसे इसलामी आतंकवाद, नक्सलवाद और राष्ट्रवाद का नाम देकर अपनी राजनीति की रोटियां सेकने लगते हैं। व्यवस्था की रक्षा में फ़ौजी मारे जाते हैं और उनके आश्रित नौकरी और पेट्रोल पम्प आदि पाने के लिए बरसों भटकते रहते हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता। देश की व्यवस्था को सम्हालने वाले तो उन लोगों की भी ख़बर नहीं लेते जिन्होंने देश का 70 हज़ार करोड़ रूपया विदेशों में जमा कर रखा है लेकिन सरकार उस मध्यवर्गीय क्लर्क की सैलरी से आयकर काटना नहीं भूलती जिसे अपने बच्चों की फ़ीस देना और उनका इलाज कराना तक भारी होता जा रहा है।
    समस्याएं बहुत सी हैं लेकिन सारी समस्याओं का कारण अव्यवस्था है। यह ‘अव्यवस्था’ केवल इसलिए है कि व्यवस्था को चलाने वाले नेता और उन्हें चुनने वाली देश की जनता अधिकांशतः अपने फ़र्ज़ की अदायगी को लेकर ‘ईमानदार’ नहीं है।
    जब उनके दिल में ‘ईमान’ ही नहीं है तो ईमानदारी आयेगी भी कैसे ?
    ईमान क्या है ?
    ईमान यह है कि आदमी जान ले कि सच्चे मालिक ने उसे इस दुनिया में जो शक्ति और साधन दिए हैं उनमें उसके साथ -साथ दूसरों का भी हक़ मुक़र्रर किया है। इस हक़ को अदा करना ही उसका क़र्ज़ है। फ़र्ज़ भी मुक़र्रर है और उसे अदा करने का तरीक़ा और हद भी। जो भी आदमी इस तरीक़े से हटेगा और अपनी हद से आगे बढ़ेगा। मालिक उस पर और उस जैसों पर अपना दण्ड लागू कर देगा। इक्का दुक्का अपवाद व्यक्तियों को छोड़ दीजिए तो आज हरेक आदमी बैचेनी और दहशत में जी रहा है। हरेक को अपनी सलामती ख़तरे में नज़र आ रही है।
    सलामती केवल इस्लाम दे सकता है
    लेकिन कब ?
    सिर्फ़ तब जबकि इसे सिर्फ़ मुसलमानों का मत न समझा जाए बल्कि इसे अपने मालिक द्वारा अवतरित धर्म समझकर अपनाया जाए। इसके लिए सभी को पक्षपात और संकीर्णता से ऊपर उठना होगा और तभी हम अजेय भारत का निर्माण कर सकेंगे जो सारे विश्व को शांति और कल्याण का मार्ग दिखाएगा और सचमुच विश्व गुरू कहलायेगा।

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  4. क्या बात है टिप्पणी यहां भी धार्मिक..वाह वाह...इस जगह को तो बख्श दो....दोगले पन की हद है यह

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  5. आपके ब्लॉग पर पहली बार आया, लेकिन अफसोस हो रहा है कि अभी तक इस सार्थक ब्लॉग से दूर क्यों रहा। आपकी सोच को सलाम करता हूँ।
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    कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
    पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?

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  6. रजनीश जी,आपके द्वारा दिए गए लिंक नहीं खुल रहे हैं। सीधे आपके ब्लॉग पर जाने से भी नहीं। कृपया देखें।

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