नवजात जन्म के साथ ही रोगों से लड़ने की क्षमता लेकर पैदा होता है। बच्चे के जन्म के समय नाभि तंतु से एकत्र किए गए स्टेम सेल से ताउम्र किसी भी लाइलाज बीमारी का इलाज किया जा सकता है। वैसे तो यह तकनीक लगभग एक दशक पुरानी है, पर रांची में हाल ही में इसे प्रवेश मिला है और यहां तेजी से स्टेम सेल संरक्षित कराने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। चार माह पूर्व रांची में स्टेम सेल एकत्र करने की दिशा में कार्य शुरू करने वाली लाइफसेल इंटरनेशनल ने जनवरी से अब तक 32 नवजातों के स्टेम सेल्स को एकत्र किया है। लाइफसेल के अलावा कई अन्य कंपनियां सेल को संरक्षित करने का काम करती हैं।
क्या है स्टेम सेल :
स्टेम सेल मनुष्य के शरीर की सबसे महत्वूपर्ण कोशिकाओं में से एक है। स्टेम सेल ऐसी मूल कोशिका है, जो विभाजित हो सकती है और मानव शरीर के हर अवयव को जन्म देती है। शरीर के सारे अंग स्टेम सेल द्वारा ही बनते हैं। दरअसल जो सेल अपने पुनर्निर्माण के साथ ही टिशु व आर्गन का निर्माण करे, उसे स्टेम सेल कहते हैं। स्टेम सेल छोटे कणों के रूप में टिशु में पाया जाता है। अगर आपके शरीर का टिशु व सेल में खराबी हो जाए तो स्टेम सेल की मदद से उसका निर्माण कर उसे ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
कैसे संरक्षित होता है स्टेम सेल
नाभि तंतु का रक्त वह रक्त है, जो आपके बच्चे के पैदा होने के बाद उसके नाभि तंतु में रह जाता है। यह तंतु रक्त स्टेम सेल्स का सबसे अच्छा स्रोत है। बच्चे के पैदा होने के दौरान प्रसूति के 10 मिनटों के अंदर बच्चे की नाभि तंतु से तंतु रक्त एकत्र किया जाता है। यह तंतु रक्त जांच, संसाधन और स्टेम सेल हार्वेस्टिंग के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है। बच्चे से निकाले गए स्टेम सेल्स चिकित्सीय उपयोग के लिए-196 सेंटीग्रेट में क्राइओजेनिक तरीके से सुरक्षित रखे जाते हैं।
किन-किन बीमारियों में होता है उपयोग
तंतु रक्त स्टेम सेल से कई प्रकार के स्टेम सेल्स विकसित किए जा सकते हैं। भविष्य में स्टेम सेल चिकित्सा के प्रयोग द्वारा कैंसर, थलसीमिया, खून से संबंधित बीमारियों, हृदय रोग, मधुमेह, तंत्रिका, संबंधित बीमारियों सहित 75 जानलेवा बीमारियों के इलाज में कारगर होता है।
(दैनिक जागरण,रांची,13.5.2010)
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