अगर किसी दुर्घटना में विशेषकर आपके हाथ और पैर की हड्डियां टूट जाने के कारण पैरों में बड़ा गैप आ गया हो या पैर टेढ़ी हो गई हो अथवा दोनो पैरों का आकार थोड़ा छोटा-बड़ा हो गया हो,तो पीजीआई का आर्थोपैडिक विभाग आपको नई जिंदगी दे सकता है। यहां अब इलीजियेरोव सर्जरी की जा रही है। यह तकनीक इस समय देश के चंद अस्पतालो में ही उपलब्ध है। इस तकनीक के बारे कल चंडीगढ़ में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में हड्डी रोग विभाग के प्रभारी प्रो. एसएस ढिल्लों और डा. राजिंद्र कनौजिया ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी। डा. ढिल्लों ने बताया कि पहले, टूटी हड्डियों और उसमें आए गैप को शरीर के अन्य हिस्से निकाल कर पूरा किया जाता था, लेकिन इसके कई बार अच्छे परिणाम नहीं आते थे। कई मर्तबा पैरों में संक्रमण होने पर हड्डी काटनी पड़ती थी पर इस नई तकनीक के आने से छोटे पैर को बिना प्लास्टर किए दूसरे पैर के बराबर किया जा सकता है। इसमें भले थोड़ा ज्यादा खर्च है मगर परिणाम अच्छे हैं। यह तकनीक बच्चों के टेढ़े अंगों को सीधा करने में काफी कारगर है। यह सर्जरी तकनीक रूस की है जहां इसका इस्तेमाल 60 के दशक में ही शुरू हो गया था। भारत में इस तकनीक की सुविधा चुनिंदा अस्पतालों मे ही उपलब्ध है, जिसमें अब पीजीआई भी शामिल हो गया है।
इस तकनीक से छोटे और टेढ़े पैर एक साल में ठीक हो जाते हैं। सम्मेलन में डा. कनौजिया ने कहा कि कई बार मरीज की हालत ज्यादा खराब होने पर पैर की हड्डी के गैप को भरने के लिए पैर के खाली वाले हिस्से को काटकर ऊपरी गैप को जोड़ दिया जाता है और निचला हिस्सा धीरे-धीरे विकसित होता रहता है। इस तकनीक को बोन ट्रांसपोर्ट कहा जाता है। डा. कनौजिया ने कहा कि एमरजेंसी में प्रायः दोपहिया वाहन चालक या तेजगति से वाहन चलाने वालों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उनकी टांगें कई जगहों से टूट जाती हैं जिसके कारण आपरेशन करना तक मुश्किल हो जाता है। इन मरीजों को संक्रमण होने का खतरा रहता है। इसलिए इनका उपचार इस नई तकनीक से करना आसान है। इस तकनीक का नामकरण इसके ईजादकर्ता रूसी चिकित्सक जीए इलीजियेरोव के नाम पर किया गया है। इस तकनीक के बारे में और ज्यादा जानकारी यहां उपलब्ध है।
yadi sir hath me natural bend ho to kya kere
जवाब देंहटाएंMara pair ki haddi jud gayi hai lekin ek jagah chota sa gap oopar se mahsoos ho raha hai kya kare
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