सोमवार, 12 अप्रैल 2010

देश का दूसरा आयुर्वेदिक नेत्र चिकित्सालय भोपाल में

भोपाल में तेंदूपत्ता का कारोबार करने वाला लघु वनोपज संघ अब आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई पहल कर रहा है। संघ बरखेड़ा पठानी स्थित अपने लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं अनुसंधान केन्द्र में आयुर्वेदिक नेत्र चिकित्सालय खोलने जा रहा है। इसके पहले संघ द्वारा हर्बल गुणवत्ता परीक्षण उत्कृष्टता केन्द्र की नींव रखी जा चुकी है। लघु वनोपज संघ 30 बिस्तरों वाले नेत्र अस्पताल के संचालन के लिए केरल के श्रीधरियम नेत्र चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र से सहयोग ले रहा है। केरल की संस्था ने संघ के प्रस्ताव पर नेत्र अस्पताल के संचालन पर अपनी सैद्धान्तिक सहमति दे दी है। इसके लिए लघु वनोपज संघ और श्रीधरियम नेत्र चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के बीच सहमति पत्र पर शीघ्र ही दस्तखत किए जाएंगे। संघ ने अनुबंध की शर्तो का प्रारूप तैयार कर उसे सहमति के लिए श्रीधरियम नेत्र चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र को भेज दिया है। सहमति बनने पर संघ और केरल की संस्था के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होने के बाद, जुलाई तक चिकित्सालय शुरू होने की संभावना है। इसके लिए बरखेड़ा पठानी में भवन बन कर तैयार है। अस्पताल भवन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अस्पताल कैम्पस में ही केरल के चिकित्सकों को रहने के लिए आवास भी तैयार किए गए हैं। केरल के श्रीधरियम नेत्र चिकित्सालय एवं केन्द्र का दावा है कि उनकी संस्था 80 से 85 प्रतिशत नेत्र रोगों को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से बिना आपरेशन से ठीक कर सकती है। यहां तक कि मोतियाबिंद जैसे रोगों का इलाज भी बिना लेसर आपरेशन से ठीक हो सकेगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस केरलीय अस्पताल को भारत शासन के आयुष विभाग द्वारा उत्कृष्टता केन्द्र के रूप में मान्यता दी गई है। भोपाल में आयुर्वेदिक नेत्र चिकित्सालय खुलने से उत्तर भारत के लोगों को आंखों का उपचार कराने के लिए केरल नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा मध्य प्रदेश के लिए यह अभिनव सौगात होगी,क्योंकि राज्य के आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय के छात्रों को भी इसका लाभ मिलेगा। अनुबंध में इस संबंध में एक शर्त रखी गई है कि लघुवनोपज संघ और राज्य शासन के द्वारा चयनित आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के छात्रों को नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके पहले लघु वनोपज संघ द्वारा बरखेड़ा पठानी में हर्बल गुणवत्ता परीक्षण उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित करने के लिए भारत शासन के आयुष विभाग ने 5 करोड़ का अनुदान दिया है। इस प्रयोगशाला की परियोजना में भारत शासन की ही सलाह पर तकनीकी परामर्श हेतु जम्मू स्थिति इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीग्रेटिव मेडीसन से एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस प्रयोगशाला में हर्बल उत्पादों का अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर परीक्षण किया जा सकेगा।
(दैनिक जागरण,12 अप्रैल,भोपाल संस्करण से)

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