गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

एम्स के डाक्टरों ने रचा इतिहास

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शिव कुमार चौधरी की टीम ने कल एक मरीज के शरीर को ठंडा किये बिना ही, उसकी एऑर्टा(महाधमनी) की सर्जरी कर इतिहास रच दिया। नॉर्मोथर्मिक तकनीक से,पूरी दुनिया में फ्रांस के बाद यह दूसरी सर्जरी है, जिसमें हार्ट-लंग मशीन का उपयोग नहीं किया गया है। 27 वर्षीया
रश्मि कटियार की, हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों को खून पहुंचाने वाली नसें खराब हो गई थीं। ऐसे रोगी का खून बहुत ज्यादा बहने और ब्रेन हेमरेज होने का खतरा रहता है। डॉ. चौधरी की टीम ने खून को ठंडा किए बगैर,शरीर के प्रमुख अंगों को खून की आपूर्ति जारी रखी । हृदय की मुख्य नली को बदलने के लिए बेंटालस प्रक्रिया अपनाई गई। शरीर और दिमाग के ऊपरी हिस्से के नसों को आर्क रिप्लेसमेंट के जरिए बदला गया। अमूमन, ऐसे रोगी के लिए डीप हाइपोथर्मिक सर्कुलेट्री एरेस्ट तकनीक का उपयोग किया जाता है जिसमें क्षतिग्रस्त हिस्से की जगह कृत्रिम धमनी लगाई जाती है। इस प्रक्रिया में शरीर का तापमान 18 डिग्री तक लाना होता है और मस्तिष्क,हृदय तथा अन्य अंगों तक खून का प्रवाह रोकना होता है। डॉक्टर चौधरी ने इसकी बजाए नई प्रक्रिया का इस्तेमाल किया क्योंकि मानव शरीर की कोशिकाएं 37 डिग्री तापमान पर ही ठीक से काम करती हैं। शरीर के किसी हिस्से में एक निश्चित अवधि के बाद रक्त आपूर्ति में व्यवधान से,कोशिकाएं मृत हो जाती हैं जिसके कारण बाद में स्थायी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस जानकारी के लिए आभार। वैसे ऐसी ख़बरें टाइम्‍स ऑफ इंडिया दे देता है आज शायद छूट गई हो सकता है कल आ जाए। सबसे पहले ख़बर देने के लिए बधाई।

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  2. भैया आपने लिखा तो ब्लोगवाणी ने सर आँखों पे बिठाया... मैंने लिखा तो एक दिन बाद ही सदस्यता ही बर्खास्त कर डाली... वह रे ब्लोगवाणी तू कब बनेगी मीठीवाणी...

    मेरा लेख यहाँ पढ़ें
    http://laraibhaqbat.blogspot.com/

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  3. बधाई....और शुभकामनाएँ चिकित्सकों को...."

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  4. एम्स के डॉक्टर अपनी पर आ जाएं तो बीमारी छुमंतर हो जाए

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