देश में अधिकतर एंटीबायोटिक के दामों में कम से कम तीन से पांच फीसदी का इजाफा होना तय है। चीन और मैक्सिको से सस्ती दरों पर आ रही एंटीबायोटिक पेनेसिलिन-जी और 6 अमिनों पेनेसिलिन एसिड के आयात से घरेलू उद्योग को नुकसान से बचाने के लिए सरकार एंटी डंपिंग डच्यूटी लगाने जा रही है।
घरेलू स्तर पर पेनेसिलिन-जी का उत्पादन करने वाली दो कंपनियों गुजरात स्थित एलैंबिक लिमिटेड और तमिलनाडु स्थित सदर्न पेट्रो-केमिकल इंडस्ट्री कॉरपोरेशन (एसपीआईसी) की शिकायत पर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ एंटी डंपिंग एंड एलाइड डच्यूटीज (डीजीएडी) ने 22 फरवरी 2010 को वित्त मंत्रालय से यह सिफारिश की है। दोनों ही कंपनियों द्वारा तैयार की जा रही पेनेसिलिन-जी के दाम आयात की जा रही एंटीबायोटिक की तुलना में 10 से 15 फीसदी अधिक हैं। घरेलू खरीद या फिर आयात पर लगी एंटी डंपिंग डच्यूटी दोनों ही कारण से एंटीबायोटिक के दाम बढ़ने तय हैं।
डच्यूटी पर अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय को लेना है। हालांकि सरकार ने राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) से एंटीबायोटिक के दाम न बढ़ें, इस पर नजर रखने को कहा है। लेकिन दवा उत्पादकों का कहना है कि अगर सरकार बढ़ती लागत की तुलना में दामों में इजाफा करने की अनुमति नहीं देती है, तो उत्पादन कम हो जाएगा। भारतीय दवा उत्पादक संघ (आईडीएमए) के प्रेसीडेंट एन. आर. मुंजाल का कहना है कि करीब 20 दवा कंपनियां एमौक्सासिलिन एंटीबायोटिक का उत्पादन करती हैं, जिसमें मुख्य घटक पेनेसिलिन-जी होता है।
अगर एंटी डंपिंग डच्यूटी लगाई जाती है, तो पेनेसिलिन-जी के प्रति किलोग्राम दामों में 400 से 1000 रुपये का इजाफा होगा, इससे पेनेसिलिन-जी के उपयोग से बनने वाले सभी एंटीबायोटिक के दामों में इजाफा होना तय है। मुंजाल का कहना है कि सस्ते आयात के कारण दो कंपनियों को छोड़कर सभी ने पेनेसिलिन-जी का उत्पादन बंद कर दिया है और जो कंपनियां पेनेसिलिन-जी बना रही हैं, उनके दाम काफी अधिक हैं।आईडीएमए ने सरकार को पत्र लिख कर कहा है कि एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की बजाय देसी कंपनियों से एक तय सीमा में खरीद सुनिश्चित कर ली जानी चाहिए, जिससे दाम भी न बढ़ें और भारतीय कंपनियों का हित भी सुरक्षित रहे।
(दैनिक भास्कर,दिल्ली संस्करण,17.3.2010 मे अनुराग शर्मा जी की रिपोर्ट)
बहुत बड़ा गोरख धन्दा है ये
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