शुक्रवार, 19 मार्च 2010

ग्रीष्मकालीन फलों के फायदे-नुकसान

आम : कच्चे और पके दोनों तरह के आम कई तरह की किस्मों में मिलते हैं । कच्चे आम में गैलिक एसिड के कारण खटास होती है। आम के पकने के साथ उसका रंग भी सफेद से पीला हो जाता है। यही पीले रंग का कैरोटीन हमारे शरीर में जाकर विटामिन "ए" में परिवर्तित हो जाता है। इसमें विटामिन "सी" भी काफी होता है।  
कब न खाएँ : भूखे पेट आम न खाएँ। इसके अधिक सेवन से रक्त विकार, कब्ज और पेट में गैस बनती है। कच्चा आम अधिक खाने से गला दर्द, अपच, पेट दर्द हो सकता है। कच्चा आम खाने के तुरंत बाद पानी न पिएँ। मधुमेह के रोगी आम से परहेज करें। खाने से पहले आम को ठंडे पानी या फ्रिज में रखें, इससे इसकी गर्मी निकल जाएगी।

उपयोग : यह शक्तिवर्धक, स्फूर्तिदायक और शरीर की चमक बढ़ाने वाला होता है।

साइट्रस फल : इस वर्ग में नीबू, मौसंबी, नारंगी आदि आते हैं। इन सबमें प्रमुख रूप से विटामिन "सी" और कुछ मात्रा में कैरोटीन होते हैं। विशेषकर बुखार और कमजोर लीवर के रोगी के लिए इनका रस बहुत लाभदायक है।

कब न खाएँ : सर्दी, खाँसी, जुकाम में नीबू का सीधे प्रयोग नहीं करना चाहिए। अधिक मूत्र उत्सर्जन और दस्त की स्थिति में मौसंबी नहीं खाना चाहिए। मौसंबी को अधिक चूसने से दाँत खराब होते हैं। सुबह उठते ही और सोते समय संतरे का उपयोग न करें।

उपयोग : पित्त, फोड़े-फुँसी, दमा-श्वास, दस्त, हैजा, पेचिश, मिर्गी, कब्ज, पीलिया, मोटापे जैसे रोगों में ये लाभदायक है।

बेल : यह अपनी औषधीय विशेषताओं के कारण खाया जाता है। इसमें पेक्टिन, टैनिन और म्यूसिलेजिनस पदार्थ होते हैं, जो कि डायरिया में लाभदायक होते हैं।

कब न खाएँ : अधपका फल न खाएँ। 

उपयोग : पेट से संबंधित सभी विकार तथा पीलिया, डायबिटीज, दाँत व आँख से संबंधित बीमारियों में फायदा पहुँचाता है।

तरबूज : गर्मी में इसका सेवन बहुत राहत देता है। 
   
कब न खाएँ : काटकर खुले में रखा तरबूज न खाएँ। खाने के बाद कम से कम एक घंटे तक पानी न पिएँ।

उपयोग : मिर्गी, पित्त, पीलिया, लू लगकर बुखार आने पर गुर्दे की सूजन, दिमागी कमजोरी जैसे विकारों को दूर करता है।

अंगूर : इसमें ग्लूकोज काफी मात्रा में होता है। अतः इसे खाने से तुरंत ऊर्जा मिलती है।

कब न खाएँ : खाली पेट सेवन न करें। एक दिन में ५० से ७५ ग्राम से अधिक अंगूर न खाएँ।

उपयोग : एलर्जी, एनीमिया, कैंसर, मोतियाबिंद, हृदय रोग, पीलिया, श्वेत प्रदर, महिलाओं से संबंधित रोग, खाँसी-जुकाम, कब्ज, टीबी, बुखार जैसे रोगों में अत्यधिक लाभकारी है।

जामुन : पानी की प्रचुरता से यह गर्मी के खास फलों में गिना जाता है। कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम और फास्फोरस की अधिकता से यह कई रोगों के इलाज में काम आता है। इसके फल ही नहीं गुठली, पत्ते व छाल भी गुणकारी है।

कब न खाएँ : जामुन के साथ दूध न लें, इससे पेट के विकार हो सकते हैं। हमेशा खाना खाने के बाद खाएँ। इसमें वातदोष है, इसलिए वात के रोगी को सावधानी रखनी चाहिए।

उपयोग : पेट से संबंधित विकार, उल्टी-दस्त, गला खराब होने पर, ल्यूकेमिया, मुँहासे-फुँसी, जिगर व तिल्ली में लाभ होता है। डायबिटीज में जामुन का सेवन विशेष लाभ पहुँचाता है।

आँवला : विटामिन "सी" से भरपूर आँवला चमत्कारी गुणों की खान है। यह कमजोरी दूर करता है। स्मरण शक्ति के साथ शरीर की शक्ति को भी बढ़ाता है।

कब न खाएँ : ठंडी प्रकृति के कारण इसे सर्दियों में कच्चा, खाली पेट सुबह या रात को सोते समय न खाएँ।

उपयोग : हृदय रोग, आँखों की बीमारियाँ, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कब्ज, बवासीर और गर्भावस्था में बहुत लाभकारी होता है।

खरबूज : विटामिन "ए" और पोटेशियम जैसे कई खनिजों की खान खरबूज शीतल, खून बढ़ाने वाला और गर्मी से बचाने वाला फल है।

कब न खाएँ : इसके अधिक सेवन से पेट और आँतें कमजोर होती हैं। इसे खाने के कम से कम १ से २ घंटे तक पानी और दूध नहीं पीना चाहिए।

उपयोग : हृदय रोग, पीलिया, गुर्दे का दर्द, पथरी, सीने में दर्द, यकृत की सूजन और लू लगने पर इसका सेवन लाभप्रद होता है।
(नरेन्द्र देवांगन,नई दुनिया,17 मार्च,2010 के नायिका परिशिष्ट मे)
कब क्या खाना चाहिए और क्या नहीं,इस संबंध मे एक उपयोगी आलेख के लिए क्लिक करें।

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