23 फरवरी,2010 के टाइम्स ऑफ इंडिया,दिल्ली संस्करण मे कौंतेय सिन्हा और पुष्पा नारायण की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमे कहा गया है कि देश की औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सलाह के अनुसार,छह विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया है । समिति यह तय करेगी कि देश में मधुमेह की दवा रोजीग्लीटाजोन की बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित किया जाए या नही। हाल ही में,अमरीका में पाया गया है कि इस दवा के कारण हृदय रोग और मौत का ख़तरा काफी बढ जाता है। भारत में बहुत-से लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। इस समिति में, एम्स,इंडियन मेडिकल एसोसिएशन,भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद्,भारतीय पशु-चिकित्सा अनुसंधान संस्थान और एनआईपीईआर के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इस दवा के साइड-इफेक्ट के बारे में सब से पहले अमरीका ने 2007 मे सतर्क किया था। न्यूजीलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अन्य दवा की तुलना में,एवेंडिया(अमरीकी ब्रांड नाम रोजीग्लीटाजोन) के सेवन से हार्ट फेल होने की संभावना 60 प्रतिशत और मृत्यु की संभावना 29 प्रतिशत बढ जाती है। भारत में,राष्ट्रीय दवा निर्माण सतर्कता सलाहकार समिति ने दो वर्ष पूर्व आंकड़े जुटा कर यह सिफारिश की थी कि रोजीग्लीटाजोन की सभी निर्माता कंपनियां इसके पैकेट पर यह चेतावनी भी छापें कि इसके जोखिम क्या हैं।
इसी विषय पर नई दुनिया,दिल्ली संस्करण में 24 फरवरी के अंक में छपी खबर कहती हैः
करीब दो साल से चल रहे एक "दवा युद्ध" ने अब तूल पक़ड़ लिया है। इससे मधुमेह के पांच करो़ड़ से अधिक मरीजों में चिंता व्याप्त हो गई है। सरकार द्वारा तीन महीने पहले गठित एक विशेष समिति रोजीग्लीटाजोन नामक दवा पर उठे ताजा विवाद की जांच कर रही है। इस बीच इस विवाद को अमेरिका व यूरोप में उत्पादित दो समान दवाओं के बीच युद्ध के रूप में अधिक देखा जा रहा है। अमेरिका के दवा प्रशासन एफडीए ने चेतावनी दी है कि यूरोप द्वारा तैयार दवा से हार्ट अटैक और मौत का खतरा ब़ढ़ता है।
दिल्ली डायबिटिक रिसर्च सेंटर के चेयरमैन डॉ. अशोक झिंगन ने कहा कि इस विवाद के बाद सेंटर में आने वाले मरीज अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनी द्वारा तैयार बायोग्लीटाजोन और यूरोपीय कंपनी द्वारा तैयार रोजीग्लूटाजोन को मधुमेह की एक ही स्थिति को ठीक करने के लिए दिया जाता है। दोनों में एक ही सॉल्ट का प्रयोग हुआ है। यह "युद्ध" पिछले दो साल से चल रहा है। एफडीए बहुत पहले भी चेतावनी दे चुका है।
यहां ध्यान देने की बात है कि एफडीए ने अभी भी दवा को प्रतिबंधित करने की बात नहीं की है। एफडीए ने सिर्फ सावधानी बरतने को कहा है। ऐसे मरीजों को दवा नहीं देने को कहा है जिसे हृदय रोग हो या जिनमें हृदय रोग के जोखिम कारक हों। भारत में यह दवा विंडामेट एवं विंडिया के रूप में बेची जाती है। इन दोनों दवाओं में रोजीग्लीटाजोन एक सक्रिय घटक के रूप में मौजूद रहता है। भारत में कई कंपनियां इस दवा का जेनेरिक संस्करण बनाती है। इस साल्ट की दवा मधुमेह के उन मरीजों में किया जाता है जिनमें इंसुलिन बनता तो है लेकिन शरीर उसका उपयोग नहीं कर पाता।
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