रविवार, 21 फ़रवरी 2010

चल कर वजन को चलता करें

साइंस की तरक्की ने हमें सहूलियतों के ढेर पर बिठा दिया है। टीवी,ए.सी. आदि चलाने-बंद करने के लिए हम बैठे-बैठे बस रिमोट के बटन दबाते हैं। घर से 100मीटर दूर सब्जी खरीदने से लेकर दूध लेने जाने तक के लिए हम वीइकल निकाल लेते हैं। फोन उठाने के लिए भी दो कदम नहीं चलना पड़ता क्योंकि मोबाइल हमारे हाथ में या पॉकेट में मौजूद होता है। हम दफ्तर में घंटों कंप्यूटर के सामने बिताते हैं और बस माउस को क्लिक कर बैठे-बैठे दुनियाभर की सैर करते रहते हैं। इस तरह की 'नॉन-मोबाइल' जिंदगी में पैरों का मूवमेंट काफी कम हो गया है, जबकि यह सबसे नैचरल, आसान और बेहतरीन कसरत है। मुकुल व्यास और प्रियंका सिंह बता रहे हैं इनके कायदे और फायदे:
पैदल चलना (वॉकिंग) दुनिया की सबसे आला, उम्दा और बेहतरीन कसरत है। हमारे पूर्वज खूब पैदल चलते थे। पैदल चलना उनकी मजबूरी थी, लेकिन यह मजबूरी जाने-अनजाने उनकी सेहत के लिए बड़ा रक्षा कवच भी बनी रही। लेकिन हम लोग तमाम फायदे जानते हुए भी पैदल चलने से बचते रहते हैं क्योंकि हम आलसी हो गए हैं। साथ ही, साइंस की तरक्की ने हमारे हाथ में ऐसी तमाम चीजें थमा दी हैं, जिन्होंने हमारा पैदल चलना काफी हद तक गैरजरूरी बना दिया है। बस यहीं हम गलती कर बैठते हैं। पैदल चलना बेशक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत जरूरी नहीं बचा हो,लेकिन सेहत के लिए यह पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है।
वॉकिंग, जॉगिंग और रनिंग वॉकिंग सामान्य या तेज, दोनों स्पीड से हो सकती है। तेज चलने को ब्रिस्क वॉक कहते हैं। ब्रिस्क वॉक से आगे जॉगिंग, फिर रनिंग और उससे आगे का लेवल स्प्रिंट कहलाता है। वॉक से हाथ, घुटनों, एडि़यों और जंघाओं पर ज्यादा असर पड़ता है। जॉगिंग का असर पूरे शरीर पर होता है। जॉगिंग के लिए रिदम बनानी होती है क्योंकि इसमें मूवमेंट तेज होते हैं। शुरुआत में जॉगिंग नहीं करनी चाहिए। घुटने और एडि़यां मजबूत हो जाएं, तभी जॉगिंग करें। जॉगिंग करते हुए लोड पंजों की तरफ हो तो अच्छा है। एड़ी का इस्तेमाल ज्यादा करने से टखनों की मासपेशियों में दर्द हो सकता है। वैसे, वॉकिंग से जॉगिंग ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि इसमें धड़कन काफी तेज होती है, जिससे दिल को ज्यादा-से-ज्यादा ऑक्सिजन मिलती है। इससे कॉर्डियोवस्कुलर फिटनेस बढ़ती है लेकिन हर कोई जॉगिंग नहीं कर सकता। इसके लिए उम्र और सेहत का ध्यान रखना पड़ता है। आर्थराइटिस,सांस,दिल के मरीजों के अलावा बहुत मोटे और कमर व जोड़ों के दर्द से पीड़ित लोगों को भी जॉगिंग से बचना चाहिए। ऐसे लोगों को लंबी वॉक भी एकदम शुरू नहीं करनी चाहिए। पहले शरीर को जॉगिंग या लंबी वॉक के लिए तैयार करें। धीरे-धीरे शुरुआत करें। इसके बाद चाहें तो रनिंग और स्प्रिंट तक भी जा सकते हैं। इसमें कम वक्त में मूवमेंट काफी ज्यादा होता है। इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं,लेकिन ऐसा लंबी प्रैक्टिस के बाद ही करें।
क्यों चलें पैदल हमारा शरीर एक मशीन है,जिसमें तमाम जोड़ हैं। इस मशीन के सही तरीके से काम करने के लिए जॉइंट्स की ट्यूनिंग जरूरी है, ताकि वे जाम न हों। पैदल चलना इस काम में सबसे मददगार हो सकता है। पैदल चलना एक नैचरल एक्सरसाइज है। इसमें बाकी कसरतों की तरह किसी नस के खिंचने या हड्डी में झटका लगने का खतरा नहीं होता। 4 साल से लेकर 90 साल तक, हर उम्र का शख्स वॉक कर सकता है। वॉक के लिए किसी उपकरण या खास जगह की जरूरत नहीं होती। कभी भी और कहीं भी वॉक कर सकते हैं।
फायदे हैं तमाम चलना हमेशा फायदेमंद होता है। खास वक्त पर खास स्पीड से वॉक की जाए तो यह अच्छी कसरत साबित होती है। - इससे पूरी बॉडी की कसरत हो जाती है। - शरीर का पाचन बढ़ता है। - डिप्रेशन व चिड़चिड़ापन कम होता है। - दिमाग चुस्त-दुरुस्त होता है। - शरीर रिलैक्स होता है और अच्छा महसूस होता है। - फैट घटने से वजन कम करने या मेनटेन करने में मदद मिलती है। - दिल की बीमारियों और स्ट्रोक (लकवा) का खतरा कम होता है। - ब्लड-प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल घटता है। - हड्डियां मजबूत होती हैं, ऑस्टियोपॉरोसिस का खतरा कम होता है। - आर्थराइटिस की आशंका घटती है। - शरीर का लचीलापन बढ़ने से चोटों की आशंका कम होती है।
कितना पैदल चलें रोजाना कम-से-कम आधा घंटा (2-3 किमी) लगातार जरूर चलना चाहिए। रफ्तार इतनी रखें कि एक घंटे में 5-6 किमी तक चल सकें। वैसे चलने की रफ्तार उम्र, लंबाई और जगह के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है। लंबे लोग ज्यादा तेज चल पाते हैं। जिन लोगों को चलने की आदत नहीं है,वे दो-तीन किमी से शुरू करके दूरी बढ़ा सकते हैं। पहले ही दिन पांच-सात किमी चलना सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। इसी तरह क्रॉस कंट्री जैसी लंबी रेस भी आम लोगों के लिए नहीं है। इसके लिए लंबी प्रैक्टिस की जरूरत होती है। 45-50 साल की उम्र में वॉकिंग शुरू करनेवाले 1-2 किमी से शुरुआत करें। धीरे-धीरे बॉडी को ट्रेंड करें और चलने का वक्त बढ़ाएं। प्रेग्नेंट महिलाओं को रोजाना 1-3 किमी सैर करनी चाहिए। पसीना आने तक वॉक करना जरूरी नहीं है। मौसम अच्छा है तो हो सकता है पसीना न आए। इसी तरह कुछ लोगों को कम, तो कुछ को ज्यादा पसीना आता है। सातों दिन वॉक करने से बेहतर है कि हफ्ते में किसी एक दिन शरीर को आराम दें। इससे बॉडी को खुद को रिफ्रेश करने का मौका मिलता है। कई बार लोग सैर के बाद थककर सो जाते हैं। इससे पता चलता है कि उनका स्टैमिना काफी कम है और वे कमजोर हैं। वॉकिंग के बाद तरोताजा और चुस्त महसूस करना चाहिए। धीरे-धीरे स्टेमिना बढ़ाएं। वैसे, वॉक के बाद सोने का मेडिकली कोई नुकसान नहीं है।
कब करें वॉक वॉक कभी भी कर सकते हैं। वैसे, सुबह और शाम को वॉक करना बेहतर है। उस वक्त शरीर से स्टेरॉयड हर्मोन ज्यादा निकलते हैं, जो इंसान को अच्छा महसूस कराते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त मौसम फ्रेश होता है। इससे मूड पर अच्छा असर होता है। फ्रेश होकर ही वॉक पर जाना चाहिए, क्योंकि बॉडी से टॉक्सिन (जहरीले पदार्थ) निकालने पर कसरत का ज्यादा फायदा मिलता है। सुबह नाश्ते से पहले ब्रिस्क वॉक (तेज वॉक) और रात को डिनर के बाद टहलना फायदेमंद होता है। जिन लोगों के पास सुबह-शाम वक्त नहीं होता, वे कभी भी वॉक कर सकते हैं क्योंकि बेशक मौसम खुशगवार न मिले, पर वॉकिंग के फायदे तो मिलते ही हैं।
कहां करें वॉक पेड़-पौधों के बीच पार्क में सैर करने से तनाव कम होता है। शरीर को ज्यादा ऑक्सिजन भी मिलती है। सड़क या गलियों में वॉक करने से बचना चाहिए क्योंकि कंक्रीट के रास्तों पर घुटनों में दर्द हो सकता है। प्रदूषण से होनेवाले नुकसान के अलावा ऐक्सिडेंट का भी खतरा होता है। कुछ देर नंगे पैर घास पर चलने से एक्यूप्रेशर पॉइंट दबते हैं, जिसका पूरे शरीर पर अच्छा असर होता है। कुछ जगहों पर वॉक के लिए पत्थरों से रफ सरफेस भी तैयार किया जाता है। इस पर भी वॉक करना फायदेमंद है। लेकिन पक्की सड़क से बचना चाहिए। सड़क पर चलना ही है तो साथ में बनी मिट्टी की कच्ची सड़क पर वॉक करें। लंबी वॉक करना चाहते हैं तो दो-तीन किमी के बाद थोड़ी देर के लिए कहीं बैठकर आराम करना चाहिए। इससे ब्लड सर्कुलेशन नॉर्मल होगा और खून पूरी बॉडी में जा सकेगा। इसके बाद दोबारा वॉक शुरू करें।
खाली पेट वॉक है बेहतर वॉक करते हुए खाली पेट होना बेहतर है, इससे हल्का महसूस होता है। चाय के शौकीन लोग वॉक पर जाने से पहले चाय पी सकते हैं क्योंकि यह स्टिमुलेटर का काम करती है। आधा गिलास जूस भी ले सकते हैं लेकिन अगर वजन कम करना चाहते हैं, तो कुछ भी खाने से परहेज करें। वॉक से पहले या उस दौरान थोड़ा पानी पी सकते हैं, लेकिन गुनगुना पानी पीना बेहतर है। जिन्हें ज्यादा पसीना आता है, उन्हें साथ में पानी की बोतल लेकर जाना चाहिए। गर्मियों में वॉक पर निकलने से पहले पानी पी लें, वरना डीहाइड्रेशन हो सकता है। अगर फल या कुछ हल्का खाया है, तो वॉक से पहले आधे घंटे का गैप रखें। लंच या डिनर खाने के बाद चार घंटे से पहले ब्रिस्क वॉक न करें। बहुत पतले लोगों को एनर्जी ड्रिंक या ग्लूकोज पीकर वॉक पर जाना चाहिए,इससे उन्हें कमजोरी महसूस नहीं होगी। दरअसल,खाना खाते हुए ब्लड सप्लाई पेट में जाती है। खाने के फौरन बाद ब्रिस्क वॉक करेंगे तो पेट में दर्द हो सकता है। साथ ही ब्लड सप्लाई पेट के बजाय पैरों में जाएगी। इससे पेट को पूरा ब्लड नहीं मिलेगा,जिससे खाना पचाने में दिक्कत हो सकती है। वॉक से लौटकर भी तुरंत कुछ न खाएं। 15-20मिनट तक बॉडी को कूल होने दें। इससे पैरों से डायवर्ट होकर पूरे शरीर को ब्लड सप्लाई हो सकेगी।
दर्द होने पर क्या करें कई बार तेज वॉक करने के बाद पेट व पैरों में दर्द होने लगता है। ऐसा होने पर स्पीड कम कर लें। सबसे पहले अपनी सांस पर ध्यान दें। गहरी सांस लेने से दर्द में राहत मिलेगी। जहां दर्द हो रहा है, उसे हल्के से दबाएं। ज्यादा दर्द हो तो रुक जाएं। क्रैंप आ जाए तो उस हिस्से को रिलैक्स करें। कई बार जब वॉक शुरू करते हैं तो कुछ दिन तक दर्द होता है, जो धीरे-धीरे खत्म हो जाता है। पैरों में दर्द होने पर नमक के गुनगुने पानी में आधा घंटे पैर रखें। थोड़ा पैर उठाकर सोएं। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। दर्द अगर काफी दिनों तक बना रहता है तो कैल्शियम या विटामिन-बी की कमी हो सकती है, कोई नस खिंची हो सकती है, जोड़ों या मांसपेशियों में भी कोई प्रॉब्लम हो सकती है। 10 दिन तक दर्द न जाए तो डॉक्टर को दिखाएं।
सर्दियों में एहतियात बरतें सर्दियों में बाहर निकलने से पहले खुद को अच्छी तरह ढक लें। कोशिश करें कि एक-दो मोटे कपड़ों के बजाय लेयर्स में कपड़े पहनें। गर्दन और कानों को कवर रखें। फिसलनवाली सड़क पर वॉक से बचें और स्नो-फॉल के दौरान भी वॉक न करें। ऐसा करने पर बीपी बढ़ सकता है।
वॉक यानी गुड एक्सरसाइज वॉक अच्छी कसरत है, लेकिन कंप्लीट नहीं। इससे कसरत के 90 फीसदी फायदे मिल जाते हैं। इसके अलावा, 20 बार सूर्य नमस्कार भी कर लें तो बहुत अच्छा है। साथ में, हाथों का मूवमेंट और थोड़ा स्ट्रैच भी करना चाहिए। जिनके पास वक्त नहीं है, वे सिर्फ वॉक भी कर सकते हैं। एक मील (1.6 किमी) चलने से 100 कैलरी तक बर्न होती हैं। हफ्ते में अगर तीन दिन दो-दो मील (3.2 किमी) की वॉक करें तो हर तीसरे हफ्ते आधा किलो वजन कम हो सकता है।
सांस पर दें ध्यान फेफड़ों के बजाय पेट (डायफ्राम) से सांस लेनी चाहिए। इससे शरीर को ज्यादा ऑक्सिजन मिलती है, जो ब्रेन को जाती है। इससे सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता बढ़ती है। पूरी ऑक्सिजन नहीं मिलने पर फेफड़ों में बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं। इससे फेफड़ों में इन्फेक्शन के आसार बढ़ जाते हैं। पेट से सांस लेने से वजन घटाने में मदद मिलती है। दिल मजबूत होता है। फेफड़ों से सांस लेने से फेफड़ों पर दबाव पड़ता है। हमेशा पेट से सांस लेने की कोशिश करनी चाहिए।
चलें और मोटापा चलता करें पैदल चलना पूरी तरह कायाकल्प कर सकता है। यकीन न हो तो बेंगलुरु के क्रिस टॉमस की दास्तान पर जरूर गौर करें। 24 साल के टॉमस का वजन किसी वक्त 124 किलो था। उन्होंने पिछले छह महीने में पैदल चलकर अपना वजन 27 किलो घटा लिया। हर महीने करीब चार किलो वजन कम करने के लिए टॉमस को किसी खास डाइट पर रहने, खाने में कटौती करने या जिम जाने की जरूरत नहीं पड़ी। क्रिस ने बस पैदल चलने का फैसला कर लिया। उन्होंने सुबह और शाम दो-दो घंटे पैदल चलने का नियम बना लिया और नतीजा सामने है।
ध्यान रखें- - वॉकिंग/जॉगिंग शूज पहनकर ही वॉक पर जाएं। कपड़े थोड़े ढीले और हवादार हों। - पुरुषों को अच्छे और थोड़े ढीले अंडरगारमेंट पहनने चाहिए। ज्यादा टाइट अंडरगारमेंट पहनने से हर्निया की आशंका बढ़ सकती है। - वॉक शुरू करने से पहले शरीर खासकर पैरों को स्ट्रेच कर लें। - झुकने से बचें। रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए, लेकिन उसे जबरन अकड़ाएं नहीं। ध्यान रहे कि वॉक कर रहे हैं, मार्च-पास्ट नहीं। - फेफड़ों के बजाय पेट (डायफ्राम) से सांस लें। - हाथ जरूर हिलाएं, लेकिन उन्हें उतनी ही ऊंचाई तक ले जाएं, जिससे दिक्कत न हो। हाथों की नैचरल स्विंग होनी चाहिए। - वॉक के दौरान मोबाइल या वॉकमैन के ईयर फोन से गाना या क्लासिकल म्यूजिक भी सुन सकते हैं। इससे दिमाग रिलैक्स होता है। सड़क पर वॉक करते हुए ईयरफोन लगाकर गाना सुनना खतरनाक हो सकता है। - वॉक करते हुए मुंह से सांस न लें। इससे मुंह सूख जाता है और फेफड़ों समेत पूरी बॉडी को सही से ऑक्सिजन नहीं मिल पाती। फेफड़ों में धूल भी पहुंचती है। - आपस में या फोन पर गप मारते हुए वॉक न करें। इससे चलने के फायदे कम हो जाते हैं, क्योंकि शरीर और दिमाग के बीच तालमेल होना जरूरी है। - ज्यादा गर्मी में वॉक से बचें। इससे हीट स्ट्रोक हो सकता है। - एड़ी के ज्यादा इस्तेमाल से बचें। पंजों पर जोर रहे तो बेहतर है, वरना टखने में दर्द हो सकता है।
घर में वॉक के साधन ट्रेडमिल: मार्केट में कई तरह के ट्रेडमिल मौजूद हैं लेकिन चीन, ताइवान आदि से इंपोर्ट होनेवाले ट्रेडमिल ही ज्यादा चलन में हैं। रेट यूजर वेट और सुविधाओं के मुताबिक होते हैं लेकिन आमतौर पर घर में इस्तेमाल करने के लिए 100 किलो तक कपैसिटी वाली ट्रे़डमिल ठीक रहती है। इसकी कीमत 25 हजार के आसपास होती है लेकिन अगर इसमें ऐलिवेशन का फीचर भी चाहिए तो 30 हजार रुपये तक खर्च करने होंगे। इसमें दो मोटर होती हैं। वैसे, मैनुअल ट्रेडमिल पांच से आठ हजार के बीच भी मिल जाती है। ट्रेडमिल खरीदते हुए ध्यान रखें कि उसमें मोटर और शॉकर अच्छी क्वॉलिटी के हों। इससे चोट लगने का खतरा कम होगा और पैरों को आराम मिलेगा। प्लैटफॉर्म अच्छा होना चाहिए। साथ में यूपीएस हो तो बेहतर है। अचानक लाइट जाने-आने से चोट लगने का खतरा नहीं होता। अच्छी क्वॉलिटी की ट्रेडमिल रुकने में थोड़ा वक्त लगाती है।
ट्रेडमिल पर एहतियात - ट्रेडमिल पर वॉक करते हुए मूवमेंट एकदम सही होना चाहिए। ध्यान रहे कि पैर प्लैटफॉर्म पर सीधे पड़ें। - मशीन की रफ्तार और आपकी रफ्तार में संतुलन हो। मशीन पर लगे बार को पकड़कर न चलें। - इस दौरान एसी कम हो ताकि कमरे के तापमान और शरीर के तापमान में संतुलन बना रहे। - एसी के एकदम सामने या नीचे ट्रेडमिल न रखें। - ट्रेडमिल या क्रॉस-ट्रेनर पर वॉक करते हुए अखबार या मैगजीन न पढ़ें। क्रॉस-ट्रेनर: इसमें बैठने का इंतजाम नहीं होता, लेकिन कैलरी अच्छी बर्न होती हैं। इसमें पूरी बॉडी की एक्सरसाइज हो जाती है। मैगनेटिक सिस्टम वाला क्रॉस-ट्रेनर आमतौर पर 10-15 हजार रुपये में मिल जाता है। आप जो जोर लगाएंगे, उसी के मुताबिक आगे-पीछे मूवमेंट होता है। हाथ का मूवमेंट भी होता है। लेडीज के लिए खासतौर पर फायदेमंद क्योंकि कमर और लोअर पार्ट में जमा फैट घटाने में मददगार होता है। क्रॉस-ट्रेनर मैनुअली चलाया जाता है। ऑर्बिट्रैक: इसमें चेन सिस्टम होता है। बैठकर और खड़े होकर, दोनों तरह से एक्सरसाइज कर सकते हैं। पांच हजार की रेंज में यह सेहत और पॉकेट-दोनों के लिए मुफीद है। एवरेज स्पीड से चलाने पर 30 मिनट में 80 कैलरी बर्न कर सकते हैं। साइकल: सबसे फायदेमंद तो घर से बाहर यूज की जानेवाली साइकल ही है, लेकिन घर में एक्सरसाइज साइकल होने का फायदा यह है कि आप कभी भी साइकलिंग कर सकते हैं। मैनुअल साइकल 2500 रुपये से शुरू होती है और मैगनेटिक साइकल की कीमत 6500 तक जाती है। इसमें रिकंबेंड बाइक और अपराइट दो तरह की साइकल होती हैं। रिकंबेंड बाइक में पीछे कमर के लिए सपोर्ट होती है,जबकि अपराइट बाइक में कमर के सपोर्ट के लिए कुछ नहीं होता। (फिटनेस उपकरणों के डीलर प्रवीण अरोड़ा (झंडेवालान) और सुरेश कुमार (सरोजनी नगर) से मिली जानकारी पर आधारित)
निष्कर्षः - रोजाना कम-से-कम आधा घंटा (2-3 किमी) लगातार जरूर चलना चाहिए। - सुबह और शाम के वक्त को वॉक करना बेहतर है। - पेड़-पौधों के बीच पार्क में सैर करने से तनाव कम होता है। शरीर को ज्यादा ऑक्सिजन भी मिलती है। - वॉक करते हुए खाली पेट होना बेहतर है। अगर फल या कुछ हल्का खाया है, तो वॉक से पहले आधे घंटे का गैप रखें। लंच या डिनर खाने के बाद चार घंटे से पहले ब्रिस्क वॉक न करें। - जॉगिंग एकदम शुरू न करें। वॉक से शुरू करें और धीरे-धीरे जॉगिंग तक जाएं। (नभाटा,दिल्ली,21.2.2010)

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