यह बात एक बार फिर साबित हुई है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स इंसान की सेहत पर बुरा असर डालते हैं। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा द्वारा बड़े पैमाने पर कराए गए शोध से पता चलता है कि हफ्ते मे कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स की दो या उससे ज्यादा बोतलें पीने वालों में पैंक्रिएटिक कैंसर होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। सबसे खतरनाक कैंसरों में गिने जाने वाले पैंक्रिएटिक कैंसर से सिर्फ अमेरिका में ही हर साल 34 हजार से ज्यादा लोग मरते हैं।
शोध में शामिल 60 हजार से ज्यादा लोगों में से 140 इस तरह के कैंसर की चपेट में आ गए। प्रतिशत के लिहाज से कैंसर की गिरफ्त में आए लोगों का यह आंकड़ा भले ही बहुत बड़ा न लगे, पर ध्यान रखना होगा कि 14 साल के अरसे में यह शोध सिंगापुर में संपन्न कराया गया, जहां का हेल्थ केयर सिस्टम काफी मजबूत है।
अनुमान लगाया जा सकता है कि लचर स्वास्थ्य तंत्र वाले भारत जैसे देशों में सॉफ्ट ड्रिंक्स का बढ़ता चलन कितने लोगों को बीमार बना रहा होगा। भारत में शीतल पेयों का 7500 करोड़ रुपये का बाजार है जिसमें फिलहाल 54 फीसदी हिस्सा कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स का है। इन पेयों का चलन देश में तेजी से बढ़ रहा है, पर दुर्भाग्य से इस ओर किसी की नजर नहीं जा रही है कि इसके कारण कैंसर और बाकी बीमारियां कितनी तेजी से बढ़ रही है।
एक अमेरिकी शोध से ही यह भी साफ हुआ कि प्रतिदिन सॉफ्ट ड्रिंक की एक बोतल पीने वाले व्यक्ति का वजन साल भर में ही 12 पाउंड तक बढ़ जाता है। मोटापे, हार्ट अटैक, पक्षाघात आदि बीमारियां बढ़ाने और बच्चों में कैल्शियम की कमी के लिए भी इन्हें जिम्मेदार पाया गया है। सॉफ्ट ड्रिंक्स में मौजूद रसायनों से हड्डियों का तेज क्षरण होता है। इनकी लत लग जाने से बच्चों में दूध के प्रति अरुचि पैदा हो जाती है, जो कैल्शियम का एक अहम सोर्स है। इस तरह ये सॉफ्ट ड्रिंक्स दोहरा नुकसान कर रहे हैं।
अगर पता हो कि कोई चीज सेहत पर बहुत खराब असर डालती है तो उसके सेवन से हम भरसक बचना चाहेंगे,पर विडंबना यह है कि सॉफ्ट ड्रिंक्स के मामले में जानकारी का यह तर्क अक्सर फेल होता दिखता है। इसके नुकसान पता होने के बावजूद शादी-ब्याह और पार्टियों जैसे अवसर पर लोग इसे पीने-पिलाने में शान समझते हैं। हमारे देश में कुछ स्कूलों ने सॉफ्ट ड्रिंक्स पर रोक जरूर लगाई है, पर इनके खतरों को लेकर ज्यादा जागरुकता अब तक नहीं दिखाई पड़ी है। जरूरी है कि लोग खानपान को प्रतिष्ठा नहीं,बल्कि सेहत की नजर से देखें।
(संपादकीय,नभाटा,दिल्ली,16.2.10)
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