शुक्रवार, 25 दिसंबर 2009

Breast-feeding:स्तनपान ही सर्वोत्तम

डाक्टर बच्चों को बोतल से दूध न पिलाने पर जोर देते हैं। इनका कहना है कि इससे जहां संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है वहीं स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इन चिकित्सकों ने मां के दूध को शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार बताया। जिसे जन्म के तुरंत बाद से ही देना चाहिए। पहला दूध जो गाढ़ा और पीले रंग को होता है (कोलेस्ट्रम) उसे अवश्य पिलाना चाहिए क्योंकि यह बच्चों का पहला टीकाकरण होता है, जो उनमें संक्रमित बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। पटना की शिशु रोग विशेषज्ञ डा. नीलम का कहना है कि मां जब दूध पिलाने की स्थिति में न हो या डाक्टर उसे ब्रेस्ट फीडिंग के लिए मना करें तब बच्चे को संक्रमणरहित कप और चम्मच से दूध पिलाया जा सकता है। बच्चे का रखें ख्याल • बच्चे को छ: महीने तक सिर्फ मां का दूध देना चाहिए और कुछ नहीं। * कम से कम दो साल तक बच्चे को मां का दूध अवश्य दें। • छ: महीने के बाद से बच्चे को मां के दूध के साथ अनाज देना भी शुरू कर दें। इसकी शुरुआत आप उसे मां के दूध के साथ दिन में दो बार आनाज देने से करें। फिर धीरे-धीरे आप उसे मां के दूध के साथ दिन में तीन बार अनाज दें। • बच्चे को अनाज में आप खिचड़ी, दाल का पानी दे सकती है। बाटल फीडिंग के नुकसान चाहें आप कितना भी सफाई का ध्यान रख लें लेकिन डाक्टरों का मानना है कि बाटल से दूध पिलाना बच्चों के स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं। • बाटल धुलने के बाद भी उसकी पेंदी में कुछ कीटाणु रह ही जाते है जो बच्चे के हेल्थ पर बुरा असर डालते हैं। • बाटल से दूध पीने पर बच्चों को रिकरिंग डायरिया होने का खतरा रहता है। • इससे उनको कई प्रकार के वायरेल इंफेक्शन भी हो सकते हैं। बच्चे को उचित आहार न मिलने से वो कुपोषण का शिकार भी हो सकता है। जब आप बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग देना बंद करने वाली हों तो उसे बाटल की आदत डलवाने से बेहतर होगा की आप उसे कप से दूध पीने की आदत डलवाएं। (दैनिक जागरण,पटना में प्रकाशित पारुल पाण्डेय की रिपोर्ट)

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