मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

टाइप टू मधुमेह: महिलाओं के लिए घातक

भागदौड़ से भरी दिनचर्या और बढ़ते तनाव से हमारे शरीर का सुरक्षा कवच निरंतर सक्रिय बना रहता है। इससे ज्यादा हार्मोस स्त्राव करते हैं और धीरे धीरे शरीर में उनकी कमी हो जाती है। इनकी कमी से डायबिटीज, बल्ड प्रेशर जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। अनियमित जीवन शैली से होने वाले डायबिटीज को टाइप टू डायबिटीज कहते हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसके ज्यादा दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। 20 से क्रम उम्र की लड़कियों के चेहरे में बालों का उगना, अनियमित मासिक, गर्भधारण में समस्या तथा शरीर के विभिन्न अंगों में गहरे दाग इसकी निशानी हैं। लोगों को नहीं मालूम कि यह डायबिटीज की वजह से है और वो पार्लरों में इसका इलाज ढूंडते हैं। उक्त बातें अमेरिका में बसे शहर के मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप के प्रख्यात डाक्टर नरेंद्र कुमार गुप्ता ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहीं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछड़े प्रदेश में जागरूकता का उजाला फैलाने का संकल्प सोसायटी फार मेडिकेयर ने लिया है। भारत में विश्र्व के सर्वाधिक 50.8 मिलियन मधुमेह रोगी हैं। उन्होंने बताया कि यह एक मिथ है कि मधुमेह शुगर की बीमारी है। यह एक वैसिकुलर डिजीज है जो इंसान को धीरे-धीरे मारता है। शहर के प्रख्यात फिजिशयन व एडस पर कार्य कर रहे डाक्टर दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि जब आपको ज्यादा प्यास व यूरीन लगने लगे, कमजोरी महसूस हो या हाथपांव में झुनझुनी महसूस हो तो तुरंत शुगर की जांच करायें। और कम से कम 45 मिनट तक वाक जरूर करें।   (साभारःदैनिक जागरण,पटना,18 दिसम्बर,2009)

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