शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

कटे होंठ और तालु का इलाज़ है संभव

होठों की सुंदरता बढ़ाने के लिए,खासकर महिलाएं क्या-क्या नहीं करतीं। कहते हैं कि प्रियंका चोपड़ा ने अपने होठों को खूबसूरत बनाने के लिए खास तरह का इंजेक्शन लिया है। "होठों पे ऐसी बात मैं दबा के चली आई"......"होठों से छू लो तुम मेरा गीत अमर कर दो" "छू लेने दो नाजुक होठों को" से लेकर "भीगे होठ तेरे प्यासा दिल मेरा" तक,उन गानों की लंबी फेहरिस्त है जिनमें होंठ का प्रयोग किया गया है। लेकिन कई लोग इन्हीं होठों के कारण उपहास और यहां तक कि घृणा का पात्र भी बनते हैं-महज इसलिए कि वे ऐसी समस्या के शिकार हैं जिसमें उनका कोई दोष नहीं है। होंठ व तालू कटा होना भले ही जानलेवा न हो परंतु चेहरे को काफी हद तक भद्दा बना देता है।दैनिक जागरण,पटना में 18 दिसम्बर,2009 के संस्करण में बताया बताया है कि होठ एवं तालु का कटा होना एक जन्मजात समस्या है। इस तरह की बीमारी वंशानुगत भी है। इस समस्या से बच्चों में कई परेशानियां उत्पन्न होती है। जिन मां-बाप का ऐसा बच्चा पैदा होता है वे मानसिक दौर से गुजरते हैं। उन्हें बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगती है। उन्हें देखकर घर के अन्य सदस्य भी दुखी रहते हैं। बच्चा जब बड़ा होता है तो अपने को अन्न साथियों से भिन्न समझता है। ऐसे बच्चे ठीक से अपना भोजन भी ग्रहण नहीं कर पाते। मगर यह लाइलाज नहीं है। आखिर,क्लैफ्ट लिप एवं क्लैफ्ट पैलेट समस्या क्यों होती है? गर्भवती महिलाएं बगैर किसी चिकित्सकीय परामर्श के दवाओं का सेवन करती हैं जिससे गर्भ में पल रहे शिशु पर गंभीर असर पड़ता है। जिससे पैदा होने वाले बच्चे के होंठ व तालू कटे हुए रहते हैं। जिस तरफ का होंठ कटा हुआ होता है उस तरफ की नाक चपटी होती है। होठों की तरह तालु भी एक समान न होकर बीच में कटा हुआ होता है देखने में तालु के बीच में एक चौड़ी दरार होती है जो तालु को दो भागों में बांटती है। ऐसे बच्चे अपनी मां के स्तन से दूध नहीं खींच पाते जिससे भोजन प्राप्त करने में कठिनाई होती है। तालु में यदि क्लैफ्ट है तो नाक का सीधा सम्बन्ध ओरल केविटी (मुखगुहा) से होता है। इस प्रकार से जो भी भोजन किसी भी साधन से उनके मुंह में पहुंचता है उसका अधिकांश भाग नाक के रास्ते बाहर आ जाता है। इस प्रकार से मुंह व गले में इन्फैक्शन हो सकता है। वजन बढ़ने के बजाय दिन-प्रतिदिन घटने लगता है। ऐसे बच्चों की दांत एक विशेष क्रम में न होकर एक दूसरे के उपर आ जाता है। क्लैफ्ट लिप एवं क्लैफ्ट पैलेस समस्या का अनुपात 1 : 800 है? इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। लेकिन यह कोई एक अकेले व्यक्ति विशेष का काम नहीं है बल्कि कई विशेषज्ञों की एक टोली मिलकर इसकी चिकित्सा करते हैं। विशेषज्ञों की इस टोली में, प्लास्टिक सर्जन, बाल चिकित्सा विशेषज्ञ, स्पीच थेरेपिस्ट एवं दन्त चिकित्सक (आर्थोडेन्टिस्ट एवं प्रोस्थोडेन्टिस्ट) होते हैं। प्लास्टिक सर्जन द्वारा शल्य चिकित्सा उपचार के समय या उनके बाद दन्त चिकित्सक (आर्थोडान्टिस्ट) की सहायता जरूरी होती है। क्लैफ्ट लीप या क्लैफ्ट पैलेट के बच्चों में कम उम्र में प्लास्टिक सर्जरी करना पड़ता है। इस उम्र में बच्चों के शरीर के साथ-साथ चेहरे का विकास होता रहता है। प्लास्टिक सर्जरी के बाद विशेष कर उपरी फेस एवं उपरी जबड़ा का विकास बाधित होता है और जबड़ा सिकुड़ जाता है। उपरी चेहरे का ग्रोथ प्रभावित होने से और नीचे का जबड़ा का विकास सामान्य होने से चेहरे में विकृति (फेसियल डीफारमेटी) उत्पन्न हो जाता है। साथ ही उपरी जबड़े में जगह की कमी हो जाने से दांत टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं। जिसे बाद में दन्त चिकित्सक (आर्थोडान्टिस्ट) के इलाज से बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है। यदि किसी बच्चे में क्लैफ्ट लिप एवं क्लैफ्ट पैलेट है तो उसके पैदा होते ही उसके मां-बाप को बिना किसी लापरवाही के जल्द से जल्द प्लास्टिक सर्जन या डैन्टल सर्जन (आर्थोडान्टिस्ट) को दिखा लेना चाहिए। ऐसे बच्चे के पैदा होने के चौबीस घंटे के अन्दर ही उपरोक्त चिकित्सकों को दिखाकर उनसे राय-मशविरा ले लेना चाहिए। दन्त चिकित्सक ही जांच के बाद प्लेट (एप्लायन्स) का चयन करते हैं। इस प्लेट (एप्लायन्स) का मुख्य कार्य बच्चे की भोजन समस्या को हल करना है, इस प्लेट के लगने से बच्चा अपनी मां के स्तनों से दूध अच्छी तरह खींच सकता है तथा जो भोजन अथवा दूध किसी भी साधन से बच्चे के मुंह में आ जाता है वह नाक के रास्ते बाहर न निकल कर सीधा उसके पेट में चला जाता है। पटना के प्रमुख कास्मेटिक सर्जन डा. वीरेन्द्र कुमार शर्मा के अनुसार, कटे होंठ व तालू वाले बच्चों में निमोनिया की अधिक शिकायतें होती हैं। यदि होंठ कटे होने के कारण बच्चे की आवाज सही ढंग से नहीं निकल पाती हो तो उसे भी पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। यदि होंठ व तालू जन्म से ही कटे हों,तो इसके लिये चार आपरेशन करने होते हैं। बच्चा जब तीन से छह माह का हो तब होंठ का, एक साल की उम्र में तालू का और तीसरा आपरेशन 7 से 11 वर्ष की आयु में मसूड़ों का करना होता है। अगर जबड़ों व नाक आदि में विकृति हो तो चौथा आपरेशन 17 वर्ष की आयु में किया जाता है। यदि आपरेशन के बाद भी थोड़ी बहुत विकृति रह गयी हो तो उसे फिर से आपरेशन कर ठीक किया जा सकता है।(तस्वीर विकिपीडिया के सौजन्य से)

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