इरिटेबल बाउल सिंड्रोम यानी आईबीएस आंतों की एक ऐसी बीमारी है जो मरीज़ की दिनचर्या में बाधा डालने लगती है। यह आंतों को डैमेज तो नहीं करती,मगर इसके लक्षण यह ज़रूर बताते हैं कि पेट के अंदर कुछ गड़बड़ चल रही है जिसे जल्द ही ठीक करने की ज़रूरत है।
आईबीएस यानी आंतों में होने वाली अकड़न जिससे पेट में दर्द बना रहता है। इसे स्पैस्टिक कोलन, इरिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस जैसे नामों से भी जाना जाता है। इससे न केवल व्यक्ति को शारीरिक तकलीफ महसूस होती है, बल्कि उसकी पूरी जीवनशैली प्रभावित हो जाती है। यह आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन उसके संकेत देने लगता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस बीमारी से अधिक प्रभावित होती हैं। वैसे यह आंत या पेट के कैंसर के खतरे को नहीं बढ़ाता है लेकिन जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है।
क्या हैं लक्षण
-पेट में मरोड़ उठना
-पेट में दर्द और सूजन
-लगातार कब्जियत का बना रहना
-बार-बार डायरिया जैसे लक्षण
इसके कारण
आईबीएस के सही कारणों का अब तक पता नहीं चला है। डॉक्टर्स मानते हैं कि संवेदनशील कोलन या कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह समस्या पैदा हो सकती है। कई बार पेट में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी आईबीएस हो सकता है। इसके कुछ खास कारण भी हैं जो अलग-अलग रोगियों में भिन्न हो सकते हैं-
-कोलन का कमजोर मूवमेंट, जिससे मरोड़ के साथ काफी दर्द होता है।
-कोलन में सेरोटोनिन की अनियंत्रित मात्रा, जिससे आंतों का मूवमेंट प्रभावित होता हैं।
-माइल्ड सेलिएक डिसीज के आंतों को डैमेज करने के कारण आईबीएस के लक्षण उभरने लगते हैं।
संभव है इलाज
आईबीएस का ऐसा कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों से राहत जरूर मिलती है। इसके लिए कोई दवा आरंभ करने से पहले जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है। इससे राहत पाने के लिए कुछ खास चीजों का ध्यान रखना भी जरूरी होता है।
-रोजाना व्यायाम करें।
-तनाव से बचें।
-कैफीनयुक्त चीजें कम से कम लें।
-खाना कम मात्रा में कई बार लें।
-तले-भुने और स्पाइसी खाने से दूर रहें।
-प्रोबायोटिक प्रोडक्ट्स लें जैसे दही आदि।
कैसे होती है पहचान
मरीज के लक्षणों के आधार पर आईबीएस का पता लगाना आसान होता है। कुछ खास प्रकार की डाइट का सुझाव दिया जाता है या फिर खाने में से कुछ चीजें कम कर दी जाती हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कहीं ये लक्षण किसी फूड एलर्जी के कारण तो नहीं है। स्टूल सैंपल के आधार पर इंफेक्शन का पता लगाया जाता है और ब्लड टेस्ट किया जा सकता है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि रोगी एनिमिया से तो पीड़ित नहीं है। इसके आधार पर सेलिएक डिसीज यानी ग्लूटेन इनटोलरेंस का पता भी लगाया जाता है। इसकी जांच के लिए कोलनस्कॉपी की जाती है। इस टेस्ट के जरिए डॉक्टर कोलन की जांच करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर टिशू सैंपल लिए जाते हैं। इससे इस बात का पता लगाना आसान हो जाता है कि कहीं ये सारे लक्षण किसी और बीमारी के कारण तो नहीं है, जैसे कोलाइटिस या कोई अन्य क्रॉनिक डिसीज। मरीज की उम्र ५० वर्ष से अधिक है तो भी इस जांच की आवश्यकता पड़ती है।
इसके साथ जीवन
आईबीएस के साथ जीना आसान तो नहीं होता क्योंकि इससे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है। लेकिन कुछ बातों को अमल में लाने से इसके साथ जीना भी आसान हो जाता है। वैसे दवाओं और सही तरीके से परहेज करने पर यह ठीक भी हो सकता है। टहलने और योग या ध्यान करने से काफी राहत मिलती है। पूरी नींद लेना इससे राहत के लिए काफी जरूरी है। एक्यूपंचर आदि भी लिया जा सकता है।
विशेषज्ञ कहते हैं
आमतौर पर आईबीएस तीन प्रकार का होता है, जिसमें रोगी को कब्जियत, डायरिया और दर्द की शिकायत रहती है। अब एक चौथे प्रकार के आईबीएस के लक्षण भी दिख रहे हैं, जिसमें इन तीनों के मिति लक्षण होते हैं। तलाभुने खाने, दूध और उससे बनी सामग्री से परहेज करें। तनाव से बचें(डॉ देवेंद्र सिंह, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, बिलासपुर का यह आलेख नई दुनिया के सेहत परिशिष्ट,मई प्रथमांक,2013 में प्रकाशित है)।
बड़े दिनों बाद आपने हमारे स्वास्थ की फ़िक्र की...
जवाब देंहटाएंआभार इस बहुमूल्य पोस्ट के लिए..
सादर
अनु
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(11-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
NICE INFORMATION .THANKS
जवाब देंहटाएंमानसिक व्याधि भी है।
जवाब देंहटाएंहेल्थ के लिए बहुत अच्छी जानकारी आभार !!
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी |साझा करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंउपयोगी और अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
लापतागंज से वापसी का स्वागत है।
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट. डा.देवेन्दर सिंग जैसे अनुभवी और वरिष्ठ चिकित्सक ही जटिल रोगों की ऐसी सरल व्याख्या कर सकते हैं.हम तक पहुँचाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी जानकारी आभार ...
जवाब देंहटाएंDuring this dieses what is eating at each meale
जवाब देंहटाएंयिसका कोइ इलाज सम्भव हे कि नै को भि चिकित्सा मे
जवाब देंहटाएंआईबीएस का कोई इलाज संभव है? इस के दवा और आहार की जानकारी दीजीऐ।
जवाब देंहटाएंआईबीएस का कोई इलाज संभव है? इस के दवा और आहार की जानकारी दीजीऐ।
जवाब देंहटाएंआईबीएस का कोई इलाज संभव है? इस के दवा और आहार की जानकारी दीजीऐ।
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