शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

सावधानी ही है फ्लू से बचाव

फ्लू का प्रचलित नाम इनफ्लूएंजा है। यह वायरस से होता है। फ्लू का वायरस नाक, गला और फेफड़े के साथ पूरे शरीर को प्रभावित करता है। मुख्यत: इनफ्लूएंजा वायरस तीन प्रकार के होते हैं- ए, बी और सी। इनमें से इनफ्लूएंजा- ए कॉमन है। यह वायरस शरीर में पहुंचकर प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। इन्हीं में से एक स्वाइन फ्लू का इनफ्लूएंजा एच1एन1 है जो सबसे पहले वर्ष 2009 में प्रकाश में आया। इससे विगत में कुछ मौतें भी हुई। वायरस कभी मरते नहीं बल्कि तेजी से म्यूटेट होते रहते हैं। अगर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम है तो वे उभर आते हैं और शरीर को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। यही वजह है कि आज भी लोगों को स्वाइन फ्लू हो रहा है। स्वाइन फ्लू कोई भयावह बीमारी नहीं है। यह दूसरे फ्लू की तरह ही संक्रमण फैलाता है। इसकी पहचान जितनी जल्दी हो जाती है, उतनी जल्दी इलाज संभव है। फ्लू बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा व लंग्स की बीमारी से पीड़ित को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। 

फ्लू की चपेट में आने पर क्या करें 
ज्यादा से ज्यादा आराम करें। सार्वजनिक जगहों पर जाने से परहेज करें। रोजाना कम से आठ से दस गिलास पानी, जूस या स्पोर्ट्स ड्रिंक्स पियें। खाने में सुपाच्य भोजन शामिल करें। दिन में कई बार हाथ धोयें। हाथ धोने के लिए एंटीसेप्टिक मिक्स हैंड वॉश का प्रयोग करें। बुखार उतारने के लिए पैरासिटामोल का प्रयोग करें। कफ और खांसी के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवा लें। अगर डायरिया और उल्टी की शिकायत है तो पेय पदार्थ को थोड़ा-थोड़ा पियें। छाती में दर्द और पीला कफ होने पर डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक लें। 

बचाव 
भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहें। अगर जाते हैं तो मास्क या कपड़े से मुंह ढक लें। किसी से हाथ मिलाने या छूने के बाद अच्छे से हाथ धो लें। अगर किसी को फ्लू है तो उससे दूर रहें। बच्चे, बुजुगरे और मरीजों को दूर रखें। घर का कोई सदस्य फ्लू से पीड़ित है, तो जल्द से जल्द इलाज करायें। इससे दूसरे लोगों में होने की आशंका अधिक रहती है। 

लक्षण 
-तेज बुखार। 

-गले में दर्द व खराश। 

-खांसी। 

-बदन दर्द। 

-कुछ लोगों में उल्टी और डायरिया। 

-निमोनिया, न्यूरो और सांस संबंधी तकलीफ।

जांच और इलाज 
फ्लू के लिए आरटी पीसीआर जांच की जाती है। कौन से वायरस से फ्लू हुआ है। इसके लिए वायरस कल्चर किया जाता है। इसके साथ ही खून में एंटीबॉडीज की जांच की जाती है। फ्लू का इलाज उसके लक्षणों को देखकर किया जाता है। साथ में, कुछ एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। एंटीवायरल ड्रग्स जैसे टेमीफ्लू और रेलेनजा कभी-कभी ही मरीजों को देनी पड़ती हैं। ये दवाएं डॉक्टर की सलाह पर ही लें वरना ये नुकसान कर सकती हैं। (हेमंत पाण्डेय,आधी दुनिया,राष्ट्रीय सहारा,3 सितम्बर,2012)।

पिछले दिनों,तरह-तरह के बुखारों को लेकर यह पोस्ट बहुत चर्चित रही थी।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बचने की पूरी कोशिश रहेगी अब...

    आभार...
    सादर
    अनु

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  2. मित्र फ्लू का है क्लू, सावधान हुशियार |
    रहे दूर तब रोग यह, सीजन होवे पार ||

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