मंगलवार, 28 अगस्त 2012

कई रोगों का इलाज़ हो रहा है फोटोथैरेपी से

फोटोथैरेपी त्वचा संबंधी परेशानियों में लाभकारी हो सकती हैं। अब विशेषज्ञ रोशनी का उपयोग विभिन्न रोगों के इलाज के लिए कर रहे हैं। इन दिनों स्ट्रोक, मुँह की दुर्गंध और कैंसर जैसे रोगों के इलाज के लिए भी रोशनी को उपयोग में लिया जा रहा है। शुरूआत में त्वचा रोग विशेषज्ञ लाइट थैरेपी का उपयोग सोराइसिस के इलाज के लिए करते थे। इसके बाद सर्दी के मौसम में होने वाले सीज़नल डिप्रेशन के उपचार के लिए भी इसका उपयोग किया गया। अब विभिन्न तकलीफों में राहत के लिए लाइटथैरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

कमर दर्द 
कमर दर्द से निजाद दिलाने के लिए चिकित्सक नीली रोशनी का उपयोग कर रहे हैं। सफेद रोशनी के बिखरने पर इसके सात अलग-अलग रंगों को देखा जा सकता है। नीली रोशनी बहुत शक्तिशाली होती है, यह ऊतकों को नुकसान पहुँचााए बिना शरीर पर प्रभाव डालती है। इसीलिए इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के उपचार के लिए किया जा रहा है। युनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ हेडिल्बर्ग के चिकित्सकों ने नीली रोशनी उत्सर्जित करने वाला पैच विकसित किया है। इस पैच को दर्द की मदद से चिकित्सक दर्द का उपचार कर रहे हैं। 

यह पद्धति शुरूआती अध्ययनों पर आधारित है जिनमें यह सामने आया था कि रोशनी से शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड का उत्पादन बढ़ता है। नाइट्रिक ऑक्साइड माँसपेशियों के तनाव को दूर करता है। इससे रक्त धमनियाँ चौड़ी हो जाती है जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। हेडिल्बर्ग में पैच पर अध्ययन जारी है, नई ट्रायल में १४ दिनों में पैच का उपयोग ५ बार किया जाएगा। मरीज़ों को इसे हर बार आधे घंटे के लिए लगाया जाएगा। अमेरिका में रोशनी के ज़रिए ओस्टियोआर्थ्राइटिस के कारण घुटने में होने वाले दर्द का इलाज खोजा जा रहा है। एक अन्य शोध से सामने आया कि कंधे का दर्द दूर करने के लिए फोटोथैरेपी असरदार है, वो भी बिना किसी दुष्प्रभाव के।  

पेट के छाले 
पेट के छालों के इलाज के लिए एक ऐसा उपकरण मददगार हो सकता है जिसके ज़रिए पेट के अंदर तक नीली रोशनी पहुँचाई जा सके। इस रोशनी के प्रभाव से अल्सर के लिए ज़िम्मेदार बैक्टीरिया नष्ट होने लगते हैं। यह तकनीक पेट के कैंसर के इलाज में भी फायदेमंद हो सकती है। अध्ययन बताते हैं कि प्रभावित हिस्से पर एक घंटे से भी कम समय के लिए यदि नीली रोशनी डाली जाए तो यह हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए पर्याप्त होती है। ख़ास बात यह है कि इससे बैक्टीरिया तो नष्ट हो जाता है लेकिन शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यह नया उपकरण हाल ही में विकसित किया गया है और इसपर शोध-अध्ययन व ट्रायल जारी हैं। अमेरिका में हुए शोध बताते हैं कि इस इलाज के बाद बैक्टीरिया की संख्या में ९१ प्रतिशत तक की कमी देखी गई है।

मिर्गी 
मिर्गी के उपचार के लिए फोटोथैरेपी को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। जिन मरीज़ों को मिर्गी-रोधी दवाओं से ख़ास फायदा नहीं होता है, उनके लिए फोटोथैरेपी फायदेमंद साबित हो सकती है। युनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में हुई एक ट्रायल में मिर्गी के मऱीजों को तीन महीने तक रोज़ ३० मिनिट के लिए लाइट-बॉक्स से एक्सपोज़ किया गया। इस लाइट बॉक्स से तेज़ सफेद रौशनी निकलती है। मिर्गी का यह उपचार पहले हुए शोध-अध्ययनों पर आधारित है जिससे यह पता चलता है कि जिन दिनों में बादल छाए रहते हैं, तब मरीज़ों को मिर्गी के दौरे अधिक पड़ते हैं। जिन दिनों में तेज़ धूप निकलती है, तब मरीज़ों को कम दौरे पड़ते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि तेज़ रोशनी के प्रभाव से विटामिन-डी और मेलाटोनिन आदि का स्तर बढ़ जाता है जिससे दिम़ाग में दौरों को नियंत्रित करने वाले रसायन स्त्रावित होने लगते हैं।

घाव  
मधुमेह रोगियों के पैरों में बने गंभीर घाव, अधिक दबाव पड़ने पर बनने वाले घाव व अन्य प्रकार के गंभीर घावों के इलाज के लिए लाइट थैरेपी असरकारी है। स्टॉकहोम में हुए इस शोध अध्ययन के अनुसार लाल रोशनी और इंफ्रारेड रोशनी के कॉम्बिनेशन से घाव तेज़ी से भरते हैं। इससे प्रेशर अल्सर ५४ प्रति तेज़ी से ठीक हो गए थे। प्रेशर अल्सर का ९० प्रतिशत हिस्सा केवल ५ हफ्तों में ही भर गया था। जिन मरीज़ों को लाइट थैरेपी नहीं दी गई थी, उनमें घाव भरने के लिए ९ हफ्तों का समय लगा था। 

मुँह की दुर्गंध  
जेरूसलम की हीब्रू युनिवर्सिटी के डेंटल स्कूल के अध्ययनकर्ताओं ने एक शोध में पाया कि नीली रोशनी से मुँह की दुर्गंध को कम किया जा सकता है। दंत चिकित्सक अक्सर दाँतो को सफेद बनाने के लिए इन पर दो मिनिट तक नीली रोशनी डालते हैं। नीली रोशनी न सिर्फ दाँतों को सफेद बनाती है बल्कि थूक में मौजूद दुर्गंधकारी बैक्टीरिया भी इससे ख़त्म होते हैं। इसीलिए अब इसे मुँह की दुर्गंध के इलाज के रूप में देखा जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं ने थूक के ५० नमूनों पर शोध कर पाया कि इनपर नीली रोशनी डालने पर दुर्गंध काफी कम हो जाती है। उन्होंने पाया कि रोशनी डालने के बाद थूक के नमूनों में दुर्गंधकारी बैक्टीरिया की संख्या काफी कम हो गई थी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध अध्ययन में पायाका कि नीली रोशनी से मसूड़ों में बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया को ख़त्म किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह रोशनी मुंह में होने वाले पेरियोडोन्टिस नामक संक्रमण से बचाव और उपचार के लिए भी असरकारी हो सकती है। इस संक्रमण से दांत और हड्डियां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। 

शोध प्रमुख डॉ. निकोस सूकोज के अनुसार,रोशनी डालने पर मुंह में मौजूद कई नुकसानकारी बैक्टीरिया कुछ सेकेंड्स में ही ख़त्म हो जाते हैं। रोशनी से बैक्टीरिया का सुरक्षा-कवच नष्ट हो जाता है जिससे ये नष्ट होने लगते हैं। 

कैंसर का इलाज़ 
लाइट के उपयोग से कैंसर के इलाज के लिए एक विशेष प्रकार के ट्रीटमेंट का उपयोग किया जा रहा है, इसे फोटो-डायनामिक थैरेपी कहा जाता है। इसका सबसे अधिक उपयोग त्वचा कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। इस ट्रीटमेंट में रौशनी के साथ ही एक विशेष प्रकार के ड्रग का इस्तेमाल किया जाता है। यह ड्रग कैंसर की असामान्य कोशिकाओं को रोशनी के प्रति संवेदशील बनाता है। कैंसर के मरीज़ों को दिए जाने वाले इस ड्रग की विशेषता यह है कि इसे केवल कैंसर की कोशिकाएँ ही अवशोषित करती हैं। 

इसके बाद मरीज़ के प्रभावित हिस्से पर नीली रोशनी डाली जाती है। रोशनी के प्रभाव में कैंसर कोशिकाओं द्वारा अवशोषित यह ड्रग एक विशेष प्रकार की ऑक्सीजन उत्सर्जित करने लगता है, जिससे कैंसर की कोशिकाएँ मरने लगती हैं। यह ट्रीटमेंट ट्यूमर को सिकोड़ने और नष्ट करने के लिए प्रभावी है। शरीर के भीतरी हिस्सों में मौजूद कैंसर के लिए ऑप्टिक फाइबर द्वारा रोशनी को शरीर के अंदरूनी हिस्सों में भेजा जा सकता है(सेहत,नई दुनिया,अगस्त,2012 द्वितीयांक)।

9 टिप्‍पणियां:

  1. डिप्रेशन को दूर करने में भी रौशनी को अहम पाया गया है.
    इसका सादा तरीक़ा सुबह को उगता सूरज देखना है.
    रौशनी हो और कुदरती हो तो इसका मन पर सकारात्मक असर पड़ता है.

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  2. बहुत ही अच्‍छी एवं उपयोग जानकारी देता आलेख ... आभार

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  3. लेकिन ये नीली रोशनी है क्या कोई खास तरह की है या बस रोशनी भर ही है |

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  4. काफी रोचक लगी यह जानकारी !

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