सोमवार, 11 जून 2012

अपने डाक्टर ख़ुद न बनें

डॉक्टर के पास गए हुए आपको लंबा अरसा हो गया है, क्योंकि अपनी किसी भी प्रॉब्लम का इलाज आप खुद ही कोई गोली लेकर कर लेते हैं। अगर आपके साथ सच में ऐसा है, तो कहीं आप पिल्स अडिक्शन के शिकार तो नहीं हो गए। आइए जानते हैं: 

अक्सर ऐसा होता है कि आपकी बॉडी में बहुत पेन हो रहा होता है या फिर आपको कुछ अच्छा नहीं लगता। ऐसे में, ज्यादातर लोग कोई न कोई गोली खाकर अपनी प्रॉब्लम दूर कर लेते हैं। बेशक, वे इससे पहले किसी डॉक्टर से सलाह नहीं लेते। हालांकि अगर एक्सपर्ट्स की मानें, तो ऐसा करना उनके लिए फायदेमंद की बजाय नुकसानदायक हो सकता है। 

फायदा नहीं नुकसान 
एक्सपर्ट डॉक्टर पारुल सेठ कहती हैं, 'ओवर द काउंटर (ओटीसी) या नॉन-प्रिस्क्रिप्शन ड्रग्स तब ही सेफ होती हैं, जब उन्हें ठीक उसी तरह लिया जाए जैसा इंस्ट्रक्शन लेबल या पैकेजिंग पर लिखा होता है। हालांकि दर्द में रिलीफ मिलने के अलावा इनके कुछ साइडइफेक्ट भी हो सकते हैं। इससे मेडिकेशन ऐसिड रिएक्शन या हार्टबर्न हो सकता है। और अगर आपने ओटीसी पिल्स का मिसयूज किया है, तो आपको स्टमक अल्सर, किडनी डैमेज, लीवर डैमेज और हार्ट अटैक भी हो सकता है।' 

वहीं, फिजिशियन डॉ. अभय श्रीखंडे कहते हैं, 'लोग सभी तरह की पिल्स जैसे पेन किलर्स, ऐंटिडिप्रेशन और यहां तक कि कफ सिरप के भी अडिक्ट हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में अडिक्शन तब शुरू होता है, जब वे खुद ही अपना ट्रीटमेंट करना शुरू कर देते हैं। ओवर द काउंटर पिल्स का बिना किसी प्रिस्किप्शन और गवर्नमेंट कंट्रोल के आसानी से उपलब्ध होना भी अडिक्शन की एक वजह है। कई बार लोगों का साइड इफेक्ट्स इग्नोर कर देना इस अडिक्शन को और बढ़ावा देता है।' 

पेन किलर्स हैं खतरनाक 
जब आप स्लीपिंग पिल्स और ऐंटिबायॉटिक अपनी मर्जी से लेते हैं , तो ये आपके लिए बेहद नुकसानदेह हो सकती हैं। खासतौर पर जब आपको नहीं पता कि आप इसके जरिए कौन से स्पेसिफि क कंपाउंड ले रहे हैं ? आपको इसकी कितनी डोज की जरूरत है और आपको यह दवाई कितने समय तक लेनी है ? कंसलटेंट फिजिशियन डॉ . प्रदीप शाह का मानना है कि दवाईयों के नाम में कन्फ्यूज होकर आप गलत मेडिकेशन करते हैं , तो यह आपको और ज्यादा बीमार कर देता है। वह कहते हैं , ' ज्यादातर पेनकिलर्स में एसिटॉमिनोनिन होता है। अगर इसकी हाइ डोज ले ली जाए , तो लीवर फेलियर भी हो सकता है। यही वजह है कि कुछ पेनकिलर्स से किडनी डैमेज , कब्ज , गैस और पेप्टिक अल्सर जैसी डिजीज हो जाती हैं। ' 

ये होती हैं प्रॉब्लमस
देखने में आया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा सेल्फ मेडिकेशन करती हैं और उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। पिल्स एडिक्ट महिलाओं में आगे चलकर इररेग्युलर मेंस्ट्रूएशन हो सकता है। अपनी मर्जी से पिल्स के इस्तेमाल की वजह से स्टमक अल्सर , कानों में रिंगिंग सेंसेशन , स्किन रेशेज , ब्लड डिस्ऑर्डर , स्टमक अपसेट , ड्राई माउथ , यूरीनरी रिटेंशन , कॉन्स्टिपेशन , लीवर प्रॉब्लम , हेयर लॉस , इररेग्युलर हार्टबीट , इंपोटेंस और नींद न आने जैसे साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। 

ऐसे होगा ट्रीटमेंट
पिल्स अडिक्ट को सबसे पहले कंप्लीट डिटॉक्टिफिकेशन करना होगा , ताकि उसकी बॉडी से टॉक्सिन पूरी तरह निकल जाए। डॉक्टर श्रीखंडे कहते हैं , ' अगर एक बार कंप्लीट डिटॉक्सिफिकेशन कर लिया जाए , तो काफी इंप्रूवमेंट दिखाई देने लगता है। इसके बाद दूसरा स्टेप एक्सरसाइज , सेल्फ कंट्रोल और लाइफस्टाइल में चेंज है। हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज से यह संभव है। मेडिटेशन , रनिंग , योगा और वॉकिंग करना अच्छा होगा। अडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए एक्सपर्ट की राय भी ली जा सकती है। इसके अलावा , ग्रुप थेरपी भी एक ऑप्शन हो सकता है। जो लोग इस अडिक्शन के शिकार हैं उनसे बात करें , डिस्कस करें और खुद को अडिक्शन से बाहर आने के लिए एनकरेज करें। ' 

डिक्शन के सिंपटम्स
आपको सेल्फ मेडिकेशन की आदत लग जाती है और ड्रग यूज करना आपके लिए बेहद जरूरी हो जाता है। साथ ही अगर आप जरूरत से ज्यादा डोज का इस्तेमाल करने लगें , तो समझिए कि आपको पिल्स अडिक्शन हो गया है। इसमें आप लगातार ड्रग्स लेते हैं , फिर चाहे वह आपकी जॉब परफॉर्मेंस , रिलेशनशिप या जिंदगी के दूसरे पहलुओं को भी खराब कर दे। आपका बिहेवियर बदल जाता है। आप ज्यादा सिक्रेटिव और डिफेंसिव हो जाते हैं। (जीनिया एफ. बारिया का यह आलेख नवभारत टाइम्स,दिल्ली संस्करण,9.6.12 में कहीं आप पिल्स अडिक्ट तो नहीं शीर्षक से प्रकाशित हुआ है)।

13 टिप्‍पणियां:

  1. चिकित्सा-सम्बन्धी आवश्यक सुझाव !

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  2. बेनामीजून 11, 2012

    बड़ा अच्छा सन्देश दिया आपने.


    Hindi Dunia Blog (New Blog)

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  3. बढ़िया..................
    नेक सलाह.........................

    सादर.

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  4. बिलकुल सही सलाह दी है आपने ... खास कर के एलोपेथिक दवाइयां डाक्टर की राय से ही खानी चाहियें ...

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  5. मान प्राथमिक उपचार जरूरी है पर दवाईयां तो डाक्‍टर की सलाह से ही लेनी चाहिये

    युनिक तकनीकी ब्‍लाग

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  6. जब तक पूरी जानकारी न हो कोई भी दवा लेना खतरनाक है....

    सचेत करती प्रस्तुति....
    सादर आभार।

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