ऐसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो स्पोर्ट्स एनर्जी ड्रिंक्स पीते हुए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। एनर्जी ड्रिंक्स बहुत मेहनत वाली कसरतों के साथ इस्तेमाल की जानी चाहिए जबकि ये लोग ऑफिस में बैठे-बैठे एनर्जी ड्रिंक्स की कई बोतल गले में उतार देते हैं। इसके नतीजे बीमारियों के रूप में सामने आ रहे हैं।
यह जानकारी एक शोध अध्ययन से सामने आई है कि स्पोर्ट्स एनर्जी ड्रिंक के ग़लत इस्तेमाल से कई लोगों ने अपनी जिंदगी को जोखिम में डाल दिया है। एनर्जी ड्रिंक्स में शक्कर बहुत अधिक डाली जाती है ताकि एथलीट या तीव्र कसरत करने वाले तत्काल ताकत हासिल कर सकें। इसकी हर २५० मिलीलीटर की बोतल में ३०० से अधिक कैलोरी होती हैं। साथ ही इसमें कैफीन भी अधिक मात्रा में होती है। शक्कर की अधिकता से अनेक नुकसान हैं जबकि कैफीन की ज्यादा मात्रा दिल की बीमारियाँ एवं सामाजिक व्यवहार में बदलाव के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। इस शोध अध्ययन का सुझाव है कि एनर्जी ड्रिंक केवल गहन कसरत करने वाले व्यक्तियों को ही पीना चाहिए। १८ प्रतिशत लोग ऑफिस में काम के दौरान थकान महसूस करने के साथ ही एनर्जी ड्रिंक की बोतल मुंह से लगा लेते हैं। कसरत से पहले पानी पीने से निर्जलीकरण की समस्या नहीं होती। ८० प्रतिशत लोग कसरत से पहले पानी पीना भूल जाते हैं।
नुकसान एनर्जी ड्रिंक के
-एनर्जी ड्रिंक्स के फायदों से अधिक नुकसान हैं। एनर्जी ड्रिंक्स पीने वालों को इसकी लत लग जाती है।
- इस तरह की ड्रिंक्स पर यह नहीं लिखा होता है कि यह पेय किस औषधि के साथ रिएक्शन कर सकता है। किस औषधि के साथ यह पेय प्रतिक्रिया कर सकता है यह लिखा जाना चाहिए।
-एनर्जी ड्रिंक्स में शक्तिशाली रसायन डाले जाते हैं जो शरीर के पूरे सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं।
-इस पेय से दिल की धड़कन एवं रक्तचाप प्रभावित होते हैं।
ध्यान रहे कि एनर्जी ड्रिंक कभी भी पानी का विकल्प नहीं हो सकता। जब भी प्यास लगे उसे पानी से ही बुझाएं। कसरत के बाद पसीने के रूप में शरीर का पानी निकल जाता है। इस समय एनर्जी ड्रिंक पानी का विकल्प नहीं है। इसलिए कसरत से पहले पानी पी लें ताकि शरीर में कसरतों के दौरान निर्जलीकरण न हो। पानी के स्थान पर एनर्जी ड्रिंक में कैफीन की वजह से और अधिक निर्जलीकरण हो सकता है।
एनर्जी ड्रिंक्स को कभी भी शराब के साथ मिलाकर न पिएं। एनर्जी ड्रिंक ऊर्जा को सक्रिय करती है जबकि शराब अवसादग्रस्त करती है(डॉ. प्रीति शुक्ला,सेहत,नई दुनिया,अप्रैल चतुर्थांक 2012)।
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