गुरुवार, 10 मई 2012

कब्ज़ का प्राकृतिक उपचार

यदि आँतों में मल जमा हो जाए तो वह कब्ज़ में तब्दील हो जाता है। जमा हुए मल से छुटकारा पाने के लिए हर साल दुनिया भर में अरबों रुपयों की औषधियाँ खरीदी जाती हैं। जो वयस्क नियमित रूप से दिन में दो बार शौच के लिए नहीं जाते उनकी आँतों में मल सड़ने लगता है। भोजन में मैदे से बने पदार्थों का अधिक सेवन करना और रेशेदार फल अथवा सब्जियों से दूरी बनाए रखने से भी यह रोग होता है। जमे हुए मल के कारण विषाक्त पदार्थ शरीर में बढ़ने लगते हैं। 

ये कारण भी हो सकते है कब्ज़ के 
-खानपान में असंयम के कारण कब्ज़ रहने लगता है।

-भूख से अधिक भोजन का सेवन करना

-विपरीत प्रकृति के खाद्य पदार्थों का एक साथ सेवन करना

-रात्रि जागरण करना एवं समय पर भोजन नहीं करना 

- आँतों की कमज़ोरी (बीमारी के कारण)

-चाय-कॉफी का अत्यधिक सेवन करना

-दोनों समय अधिक मसालेदार भोजन करना।

-शौच को अनावश्यक रोकना। 

लक्षण
-भूख न लगना

-पेट भारी रहना

-आलस्य भरा रहना

-जीभ पर मैले से पदार्थ का जमा हो जाना

-चिड़चिड़ापन एवं सिरदर्द बना रहना 

- मुँहासे एवं त्वचा रोग होना 

- भोजन के तत्काल बाद बार-बार शौच की हाजत होना, एक बार में मल साफ न होना। 

प्राकृतिक उपचार 
ठंडे पानी या मिट्टी की पट्टी ३० मिनट तक पेट पर रखें। ठंडे पानी से कटि स्नान करें। कुनकुने पानी में नींबू का रस डालकर एनिमा लगाया जा सकता है। रात को सोते समय ऊनी अथवा सूती कपड़े की पेट लपेट की जा सकती है। तीन दिन तक उपवास करें तथा दिन भर में चार बार कुनकुने पानी में नीबू का रस डालकर सेवन करें। नारंगी रंग का सूर्य तप्त पानी दिन में आधा-आधा कप तीन बार लें।

आहार सुबह का नाश्ता : 
नाश्ते में मौसमी फल तथा अंकुरित धान्य लें। नाश्ते के तीन-चार घंटे के बाद भोजन करें। आँवले को पानी में गुड़ के साथ उबालें। ठंडा होने पर बीज निकालकर मिक्सी में क्रश कर लें। इसे घूँट-घूँट पिएं।

लंच : 
दोपहर के भोजन से पहले १५०-२०० ग्राम सलाद खा लें। हरी एवं पत्तीदार उबली हुई सब्जियों का सेवन करें। इसमें मसाले अल्प मात्रा में डालें। यदि बिना मसाले के खा सकें तो उससे बेहतर परिणाम आएँगे। लंच में चोकर युक्त आटे से बनी रोटी खाएँ। दही अथवा छांछ ज़रूर लें। हरी चटनी भी ले सकते हैं।

शाम का नाश्ता : 
कब्ज़ दूर करने में रात्रिकालीन भोजन का त्याग बहुत असरकारक माना गया है। शाम को अन्न का त्याग करते हुए फलों का हल्का नाश्ता लें। इससे पेट हल्का रहेगा तथा कब्ज़ को आँतों से हटाने में मदद मिलेगी। एक गिलास फलों का रस अथवा सूप पिएँ। पपीता, अमरूद, सेब फल, खजूर, प्राकृतिक चाय, तुलसी चाय, या नींबू शिकंजी ली जा सकती है। डिनर से पहले सूप अवश्य पी लें। सब्ज़ियों सहित बनाए गए दलिए अथवा पुलाव का सेवन करें। हफ्ते में दो से तीन बार हरी पत्तीदार सब्ज़ियों का सेवन करें। सांभर और खट्टे रसम का रोज़ाना सेवन करें।

जल चिकित्सा करें 
सुबह उषःपान की आदत डालें। इसके लिए तांबे के बरतन में रात भर रखे हुए पानी के चार गिलास पिएं। सूखे आँवले का पावडर ३० ग्राम पानी में भिगोकर रात भर के लिए रख दें। सुबह छानकर पी लें। बेड टी पीने की आदत वालों को एक कटोरी पानी में नींबू का रस निचोड़कर पीना चाहिए। सफेद कद्दू (पेठे का कद्दू) का रस २०० मिली लीटर रोज़ लें। सूर्य नमस्कार एवं घर्षण से कब्ज़ दूर होता है। फास्ट फूड, मैदा, वनस्पति घी तथा नॉनवेज भोजन न करें। ये सभी कब्ज़ कारक माने गए हैं(डॉ. अमिता शाह,सेहत,नई दुनिया,अप्रैल चतुर्थांक 2012)। 


कुछ अन्य उपायः 
- कच्चे पालक का रस पीते रहने से कब्ज कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है। 


- पालक, बथुए की सब्जी, चौलाई, मसूर की दाल और सुखे मेवे खाने से भी कब्ज दूर होती है। 


- एक कच्चा प्याज नियमित रूप से भोजन के साथ खाने से कब्ज नहीं होती। 


- कब्ज की शिकायत हो तो रात को सोने से पहले पपीता खाएं। 


- मुनक्का दूध में उबालकर लेने पर इस समस्या से राहत मिलती है। 


- गर्म दूध में दो चम्मच गुलाब का गुलकंद डालकर लेने से पेट साफ होता है। 


- सोने से पहले पचास ग्राम शहद दूध में या पानी मिलाकर पीएं। 


- छाछ में अजवाइन मिलाकर पीने से भी कब्ज दूर होती है। 


- खाली पेट सेब खाने से कब्ज का नाश होता है। 


- सोते समय एरण्ड का तेल दूध में मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है(दैनिक भास्कर,उज्जैन,5.5.12)।

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